दिल्लीः एक दिन बाद यानी गुरुवार को भारत अपना 74वां गणतंत्र दिवस मनाएगा। इस मौके पर देशभर में विभिन्न तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। मुख्य समारोह का आयोजन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आयोजित होगा, जहां पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्र ध्वज को सलामी देंगी। इस मौके पर भारतीय सैनिक अपने शौर्य का प्रदर्शन करेंगे। गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों की संस्कृतियों और कलाओं की झलक भी दिखाई देगी। इस साल गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि इजिप्ट, यानी मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सिसी है। आपको बता दें कि वैश्विक महामारी कोविड-19 की शुरुआत से अब तक इजिप्ट करीब-करीब दिवालिया होता नजर आया है। मिस्र पर कुल विदेशी कर्ज 170 अरब डॉलर और महंगाई दर करीब 25% हो चुकी है।
ऐसे में कई लोगों के जेहन में यह सवाल है कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन चुके भारत ने आखिर इतने अहम मौके पर चीफ गेस्ट के तौर पर अल सिसी को ही क्यों चुना। आखिर भारत भारत चाहता क्या है और इससे उसे क्या फायदा होगा। यहां हम कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब दे रहे हैं।
इतिहास और देश हित की बातें.. भारत की आजादी के बाद का इतिहास देखें तो ये पहली बार होगा जब इजिप्ट का कोई लीडर रिपब्लिड डे सेरेमनी में चीफ गेस्ट बन रहा है। अरब देशों में उसकी आबादी सबसे ज्यादा (करीब 10.93 करोड़) है। इस्लामिक देशों के संगठन (OIC) में इजिप्ट आतंकवाद और कट्टरता के खिलाफ सबसे बड़ी आवाज है। वहीं, भारत और इजिप्ट के बीच डिप्लोमैटिक रिलेशन एस्टेबिलिश हुए भी 75 साल हो चुके हैं।
आपको बता दें कि अरब देशों में भारतीयों की बहुत बड़ी तादाद है। यहां इंडियन डायस्पोरा न सिर्फ मजबूत है, बल्कि उसका काफी सम्मान भी है। सऊदी अरब और UAE के बाद अब भारत पूरे अरब वर्ल्ड में साख बनाना चाहता है। सभी गल्फ कंट्रीज और खासतौर पर सऊदी अरब, UAE और बहरीन से भारत के बहुत अच्छे ताल्लुकात हैं। इनके इजिप्ट से भी करीबी रिश्ते हैं। लिहाजा, भारत खाड़ी देशों में बड़ी मिलिट्री, IT और टेक्नो पावर बन सकता है। यहां चीन भी पैर पसारने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अमेरिका और यूरोपीय देश चाहते हैं कि भारत यहां बड़ा रोल प्ले करे।
मौजूदा समय में मिस्र के सामने सबसे बड़ी मुश्किल उसकी खस्ताहाल इकोनॉमी है। हाल ही में उसने IMF से 3 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज लिया था। सऊदी अरब और UAE मजबूती से इजिप्ट के साथ खड़े हैं। रूस-यूक्रेन जंग की वजह से इजिप्ट में फूड क्राइसिस हुआ तो भारत ने 61 हजार टन गेहूं एक्सपोर्ट किया। सऊदी अरब ने हाल ही में मिस्र को 5 अरब डॉलर नए कर्ज के तौर पर दिए हैं।
मिस्र की करंसी पाउंड में मार्च 2022 से अब तक 50% की गिरावट आई, लेकिन दोस्त मुल्कों ने उसे डिफॉल्ट नहीं होने दिया। महंगाई दर करीब 25% हो चुकी है। दिसंबर 2022 में विदेशी कर्ज 170 अरब डॉलर हो चुका था।
दुनिया के देश इजिप्ट की खुलकर मदद इसलिए करते हैं, क्योंकि उसे भरोसेमंद मुल्क माना जाता है। आतंकवाद, ड्रग स्मगलिंग और कट्टरता के खिलाफ मिस्र बहुत सख्ती से कार्रवाई करता है।