दिल्लीः आज 23 जनवरी यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती है। नेताजी की जयंती को भारत सरकार पराक्रम दिवस के तौर पर मनाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में दो साल पहले एक कमेटी बनी थी, जिसने नेताजी की 125वीं जयंती के अवसर पर सालभर चलने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तय किया था। नेताजी का निधन हुए 77 साल हो चुके हैं, लेकिन, उनकी मौत आज भी रहस्य बनी हुई है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत का सच जानने के लिए तीन कमेटियां बनीं। दो ने कहा उनकी मौत प्लेन क्रैश में हुई। तीसरी रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसा कोई प्लेन क्रैश ही नहीं हुआ तो हादसे में जान जाने की बात कैसे सही मानी जाए। उनके निधन के सालों बाद तक देश के अलग-अलग हिस्सों में नेताजी को देखेे जाने के दावे किए जाते रहे।
बात 18 अगस्त 1945 की है। जापान दूसरा विश्व युद्ध हार चुका था। अंग्रेज नेताजी के पीछे पड़े हुए थे। इसे देखते हुए उन्होंने रूस से मदद मांगने का मन बनाया। 18 अगस्त 1945 को उन्होंने मंचूरिया की तरफ उड़ान भरी। इसके बाद किसी को फिर वो दिखाई नहीं दिए।
05 दिन बाद टोक्यो रेडियो ने जानकारी दी कि नेताजी जिस विमान से जा रहे थे वो ताइहोकू हवाई अड्डे के पास क्रैश हो गया। इस हादसे में नेताजी बुरी तरह से जल गए। ताइहोकू सैनिक अस्पताल में उनका निधन हो गया। उनके साथ सवार बाकी लोग भी मारे गए। आज भी उनकी अस्थियां टोकियो के रैंकोजी मंदिर में रखी हुई हैं।
इधर, आजाद भारत की सरकार ने तीन बार इस घटना की जांच के आदेश दिए। पहले दोनों बार प्लेन क्रैश को हादसे का कारण बताया गया। 1999 में तीसरा आयोग मनोज कुमार मुखर्जी के नाम पर बना। इस आयोग की रिपोर्ट में ताइवान सरकार के हवाले से कहा गया कि 1945 में कोई प्लेन क्रैश की घटना ही नहीं हुई। इस प्लेन क्रैश का कोई रिकॉर्ड नहीं है। हालांकि, सरकार ने इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया था।
नेताजी के निधन के बाद भी देश के कई इलाकों में उनको देखेे जाने के दावे किए जाते रहे। फैजाबाद में गुमनामी बाबा से लेकर छत्तीसगढ़ में उनको देखे जाने की खबरें आईं। छत्तीसगढ़ में ये मामला राज्य सरकार के पास गया, लेकिन, सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया।
जिन गुमनामी बाबा के नेताजी होने का दावा किया जाता है, उनके निधन के बाद उनके पास से नेताजी के परिवार की तस्वीरें, पत्र-पत्रिकाओं में छपे नेताजी से जुड़े लेख, कई अहम लोगों के पत्र, नेताजी की कथित मौत के मामले की जांच के लिए गठित शाहनवाज आयोग एवं खोसला आयोग की रिपोर्ट जैसी चीजें मिलीं। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 23 जनवरी को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर…
1474: पेंटाट्यूच यहूदियों की पवित्र पुस्तकेें पहली बार प्रिंट की गईं। ये मूसा की बनाई पांच पुस्तकें थीं।
1565: टेलीकोटा की लड़ाई के बाद संपन्न हिंदू साम्राज्य विजयवाड़ा का पतन हो गया।
1664: शिवाजी के पिता शाहूजी का निधन।
1897: भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंकने वाले सुभाष चंद्र बोस का जन्म।
1920: वायु परिवहन और वायु डाक सेवा की शुरुआत।
1926: महाराष्ट्र की राजनीति की नब्ज समझने वाले बाल ठाकरे का जन्म। उन्होंने क्षेत्रीय दल शिवसेना का गठन किया और सत्ता के गलियारों तक रास्ता बनाया।
1965: दुर्गापुर इस्पात संयंत्र ने काम करना शुरू किया।
1971: सिंगापुर में राष्ट्रमंडल देशों के सम्मेलन में राष्ट्रमंडल के आदर्शों पर तैयार हो रहे घोषणापत्र में बदलाव किया गया, जिससे ब्रिटेन द्वारा दक्षिण अफ्रीका को हथियारों की बिक्री का रास्ता साफ।
1973: अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन द्वारा वियतनाम शांति समझौते की घोषणा और इसके साथ ही अमेरिका द्वारा लड़ा गया सबसे लंबा युद्ध समाप्त हो गया। युद्धविराम 27 जनवरी से लागू हुआ।
1976: गौतम बुद्ध के लापता शहर कपिलवस्तु को खुदाई के बाद ढूंढ़ निकाला गया।
1977: इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस के खिलाफ आम चुनाव लड़ने के लिए कई राजनीतिक दलों को मिलाकर जनता पार्टी की स्थापना की गई।
1989: ताजिकिस्तान में शक्तिशाली भूकंप में सैकड़ों लोगों की मौत।
1997: मेडलीन अल्ब्राइट ने राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की सरकार में विदेश मंत्री का पदभार संभाला। वह अमेरिका की पहली महिला विदेश मंत्री थीं।
2002: अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल का पाकिस्तान के कराची से अपहरण कर लिया गया। बाद में उनकी हत्या कर दी गई।
2009: फिल्मों और टीवी प्रोग्राम पर धूम्रपान के दृश्यों पर प्रतिबंध लगाया गया।
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