दिल्लीः आज 23 जनवरी यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है। भारत सरकार आज के दिन को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाती है। नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक में हुआ था। उनका अपने देश के प्रति प्रेम जगजाहिर है। वह देश की इतना प्रेम करते थे कि उसके आगे उन्होंने अपनी पत्नी एमिली शेंकल को बहुत ही कम समय दिया। सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनीता बोस फाफ ने कहा कि उनका जीवन भी पिता के प्यार के बिना ही बीता।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस और शर्मीली एमिली ने 1937 में विएना में शादी की थी। शादी के 09 साल से ज्यादा के अपने जीवन में उन्हें बहुत कम समय मिला। नेताजी की बेटी अनीता ने बताती हैं कि जो भी समय उन्हें मिला, दोनों एक-दूसरे के साथ बिताते थे। उनका पहला और सबसे महत्वपूर्ण प्यार उनका देश ही था।

आज अनीता 80 साल की हो चुकी हैं। वह ऑस्ट्रियाई मूल के अर्थशास्त्री हैं। वह और उनकी मां एमिली अपने पिता के बिना ऑस्ट्रिया में द्वितीय विश्व युद्ध में जीवित रहीं। वह कहती हैं, ‘उस समय, यह मेरी पीढ़ी में असामान्य नहीं था, और यूरोप में, जहां मैं रहती थी, मेरी उम्र के बच्चे बिना पिता के बड़े हो रहे थे, क्योंकि मैं द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पैदा हुई थी।

पिता की कमी हमेशा खलीः अनीता ने कहा कि मां के साथ कई एकल माताएं थीं, जो अपने और अपने बच्चों के लिए लड़ रही थीं। काश मेरे पास एक पिता होते, जो वहां होते और जो मेरी देखभाल करते। मेरी मां और नानी थीं… मेरी अच्छी तरह से देखभाल की गई, लेकिन, निश्चित रूप से, पिता की याद हमेशा आती थी।

अनीता जर्मनी में रहती हैं और ऑग्सबर्ग विश्वविद्यालय में प्रफेसर थीं और जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की सदस्य थीं। उन्होंने कहा कि मेरे पिता ने मुझे आखिरी बार तब देखा था, जब मैं चार सप्ताह की थी। जाहिर है, मुझे यह याद नहीं है।

अनीता बताती है कि मां एमिली अपने पिता के कारनामों के बारे में उन्हें कहानियां सुनाती थीं। जब वह उनकी सचिव थीं, तब उन्होंने एक साथ कैसे काम किया यह भी बताती थीं। अनीता ने बताया, “मेरे पिता 1930 के दशक में वियना में थे। वेल्स के राजकुमार बाद के राजा, वियना का दौरा कर रहे थे, और मेरे पिता को एक खतरनाक व्यक्ति माना जाता था। पुलिस साए की तरह उनके पीछे लगी थी। वियना के मौसम का फायदा उठाते हुए मेरे पिता जंगलों के जरिए निकले। नेताजी को चलने का शौक था। वह इतना तेज चलते थे कि उनकी परछाईं भी उनका पीछा नहीं कर पाती थी। जंगलों के रास्ते वह शहर आए। यहां ट्राम पर बैठकर निकले और रास्ते में चलती ट्राम से कूद गए। तब मेरी मां भी उनके साथ थीं।’

अनीता का मानना है कि 18 अगस्त 1945 को ताइवान में एक विमान दुर्घटना में उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। पिछले साल, उन्होंने जापान में रेंकोजी मंदिर में संरक्षित, संभवतः नेताजी की राख के डीएनए परीक्षण के लिए भारत सरकार को याचिका दी थी। उनका मानना है कि ये उनके पिता के अवशेष हैं।

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