दिल्लीः देश के नौ राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इनमें से तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघायल तथा नागालैंड में चुनाव की तारीखें घोषित हो चुकी है। इस बीच पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम होने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी तेल कंपनियों से पेट्रोल-डीजल के दाम घटाने की अपील की है। उन्होंने रविवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें नियंत्रण में हैं और तेल कंपनियां भी अब घाटे से उबर चुकी हैं, ऐसे में मेरा अनुरोध है कि तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के दाम कम करें।
इस दौरान केंद्रीय मंत्री पुरी ने कुछ राज्यों के वैट नहीं घटाने पर भी निशाना साधा और कहा, “अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ने के बावजूद केंद्र सरकार ने नवंबर 2021 और मई 2022 में एक्साइज ड्यूटी कम की थी, लेकिन कुछ राज्य सरकारों ने वैट नहीं घटाया। इस वजह से उन राज्यों में अब भी तेल की कीमतें ज्यादा हैं। हरदीप पुरी बनारस में गंगा घाट पर CNG बोट रैली में बोल रहे थे।“
इन नौ राज्यों में होने वाले हैं चुनावः आपको बता दें कि इस साल 09 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। त्रिपुरा में 16 फरवरी को मतदान होगा। मेघालय और नगालैंड में 27 फरवरी को वोटिंग होगी। सभी राज्यों के नतीजों का ऐलान 2 मार्च को होगा। जबकि कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना में भी इस साल के अंत तक चुनाव होने हैं।
इन चुनावों को 2024 के लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। मध्य प्रदेश, त्रिपुरा और कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है, जबकि नगालैंड, मेघालय और मिजोरम की सत्ता पर क्षेत्रीय दल काबिज हैं, लेकिन बीजेपी वहां सहयोगी दल के तौर पर है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस तो तेलंगाना में KCR की पार्टी BRS सत्ता में है।
इसके अलावा अगर सरकार चाहेगी तो जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव हो सकते हैं। यानी देश के 10 राज्यों में विधानसभा के चुनाव इस साल हैं। वहां राज्य चुनाव आयोग ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि यह दस राज्यों का चुनावी साल हैं। चुनावों में डीजल-पेट्रोल की कीमतें बड़ा मुद्दा होती हैं, ऐसे में सरकार चाहेगी कि इनके दाम कम हों। तो चलिए आपको सबसे पहले बताते हैं कि मौजूदा समय में देश के किस शहर में पेट्रोल-डीजल की कीमत क्या है…
शहर………….. पेट्रोल………… डीजल
दिल्ली………… 96.72……….. 89.62
कोलकाता……..106.03………. 92.76
मुंबई……………106.31………. 94.27
चेन्नई………….102.63……… 94.24
चंडीगढ़…………96.20…………84.26
भोपाल…………108.65………. 93.90
जयपुर………….108.48………. 93.72
रायपुर………….102.45………. 95.44
अहमदाबाद…… .96.39……….. 92.15
बेंगलुरू……….. 101.94………. 87.89
लखनऊ……… 96.57……….. 89.76
नोएडा………… 96.79……….. 89.96
गुरुग्राम ………..97.18……….. 90.05
नोट: यह दाम रुपए प्रति लीटर में है
कैसे तय होती हैं कीमतेः आपको बता दें कि जून 2010 तक सरकार पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण ऑयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी, लेकिन 19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑयल कंपनियों को सौंप दिया।
अभी ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं।
कीमत में बड़ा हिस्सा टैक्स का होता हैः मौजूदा समय में जब आप 100 रुपए का पेट्रोल लेते हैं तो 52 रुपए टैक्स के रूप में सरकार की जेब में जाता है। इससे आम लोगों की जेब खाली हुई, वहीं, सरकार का खजाना तेजी से भरता गया। ऐसे में अगर सरकार चाहे तो टैक्स में कटौती करके आम आदमी को राहत दे सकती है। टैक्स वसूलने में महाराष्ट्र सबसे आगे है।
85% कच्चा तेल आयात करता है भारतः हम अपनी जरूरत का 85% से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदते हैं। इसकी कीमत हमें डॉलर में चुकानी होती है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से पेट्रोल-डीजल महंगे होने लगते हैं। कच्चा तेल बैरल में आता है। एक बैरल यानी 159 लीटर कच्चा तेल होता है।
सबसे ज्यादा डीजल की खपत ट्रांसपोर्ट और एग्रीकल्चर सेक्टर में हैः भारत में डीजल की सबसे ज्यादा खपत ट्रांसपोर्ट और एग्रीकल्चर सेक्टर में होती है। दाम बढ़ने पर यही दोनों सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। डीजल के दाम बढ़ने से खेती से लेकर उसे मंडी तक लाना महंगा हो जाता है। इससे आम आदमी और किसान दोनों का बजट बिगड़ सकता है।