दिल्लीः भारत की ओर से यूनेस्को (UNESCO) यानी संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन की विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता के लिए एक मात्र नामांक होगा और वह है असम के चराइदेव जिले में अहोम युग का माइडेम्स (शाही परिवार का कब्रिस्तान)। इस बात की जानकारी असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने दी है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 52 विरासत स्थलों में से ‘असम के पिरामिड’ कहे जाने वाले ‘माइडेम्स’ को ‘संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन’ (यूनेस्को) के विश्व धरोहर स्थल के लिए देश के एकमात्र नामांकन के रूप में चुना है।
असम से सीएम ने कहा, “इस डोजियर को अस्थायी सूची से नामांकन की स्थिति तक पहुंचने में नौ साल लग गए और यह प्रधानमंत्री की पहल के कारण ही संभव हो सका। मुख्यमंत्री ने कहा कि अहोम जनरल लचित बोरफुकन की 400वीं जयंती समारोह के दौरान नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में एक प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिसमें ‘माइडेम्स’ का एक प्रारूप शामिल था।“
असम के पिरामिड है प्रसिद्धः प्राप्त जानकारी के मुताबिक यूनेस्को की टीम सितंबर में चराइदेव का दौरा करेगी और इसके मार्च 2024 तक विश्व धरोहर स्थल घोषित होने की उम्मीद है। भारत ने असम में 1228 से 1826 तक छह शताब्दियों तक शासन करने वाले अहोम राजवंश के चराइदेव के शाही दफन टीले को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया है। इसे असम के पिरामिड के रूप में भी जाना जाता है।
चीन के शाही मकबरे से होती है तुलनाः असम के पिरामिड शिवसागर शहर से 28 किमी दूर चराईदेव में है। मोइदम की तुलना प्राचीन चीन के शाही मकबरों से की गई है। सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि चराइदेव मोइदम्स पर डोजियर को पीएम मोदी ने नामांकन के लिए चुना है। पीएम मोदी ने नामांकन के लिए असम के ‘मोयदाम’ को चुना |
Moidams को 52 साइट्स की सूचियों में से चुना गयाः Moidams की तुलना प्राचीन चीन के शाही मकबरों और मिस्र के पिरामिडों से की गई है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने अन्य राज्यों के प्रस्तावित 52 साइटों की सूची से प्रतिष्ठित यूनेस्को टैग के लिए 2023-2024 के लिए देश के नामांकन के रूप में चराइदेव मोइदम्स पर डोजियर चुना है।
राजा सुकफा से संबंधः चराइदेव, जिसका अर्थ ताई-अहोम भाषा में एक प्रमुख पहाड़ी शहर है, राजा सुकफा की स्थापित पहली राजधानी थी। राज्य के संस्थापक जो दक्षिण पूर्व एशियाई मूल के थे और उन्होंने असम को इसका वर्तमान नाम भी दिया। हालांकि अहोम ने कई बार अपनी राजधानी बदली।
राजा को मानते थे धरती के देवताः पटकाई पहाड़ियों के नीचे कई एकड़ में फैले राजाओं और रानियों के 42 मकबरों के कारण चराइदेव (चे = शहर, राय = प्रमुख, दोई = पहाड़ी) एक पूजनीय स्थान बना रहा। ताई-अहोम्स का मानना था कि उनके राजा पृथ्वी पर देवता (स्वर्गदेव) थे और इसलिए उन्होंने मृत राजघरानों को उनके राज्य के पवित्र केंद्र चराइदेव में दफनाने का फैसला किया।
असम के अहोमः आपको बता दें कि दुनिया भर में शाही मकबरों की तरह, मोइदाम को भी गहनों, रोजमर्रा के सामान, गहनों और यहां तक कि नौकरों से भरा गया ताकि मरने के बाद भी वे उनका प्रयोग कर सकें। डोजियर में कहा गया है कि मोइदाम को उत्तरी वियतनाम, लाओस, थाईलैंड, उत्तरी बर्मा, दक्षिणी चीन और पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में देखा गया है लेकिन चाराइदेव में मोइदाम बड़े पैमाने में ग्रुप में हैं। एकाग्रता और ताई-अहोम्स की सबसे पवित्र स्थान में स्थित होने के मामले में खुद को अलग करता है।
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