मथुराः इन दिनों कथित चमत्कारों को लेकर बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के बाबा धीरेंद्र शास्त्री चर्चा में हैं। एक ओर उन पर विश्वास करने वाले लोगों का कहना है कि बाबा के ऐसी सिद्धि है, जिससे वह बालाजी की कृपा से लोगों के दुख दूर कर देते हैं। वहीं कई लोग उनकी कथित सिद्धि को लेकर धीरेंद्र शास्त्री पर निशाना साध रहे हैं। बागेश्वर धाम के बाबा पर तंज कसने वालों में संत और शंकराचार्य भी शामिल हैं। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने तो धीरेंद्र शास्त्री को चेतावनी दे डाली है कि अगर वह उत्तराखंड के जोशीमठ की धंसती जमीन को अपने चमत्कारों से रोक दें तो उनकी सिद्धि को वह भी मान्यता दे देंगे। इस बीच एक और बाबा चर्चा में हैं। यह वह बाबा है, जिनकी शरण में पिछले दिनों टीम इंडिया के पूर्व कप्तानी पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ गए थे। जी हां हम बात कर रहे हैं। स्वामी प्रेमानंद शरण जी का।
आपको बता दें कि कोहली से मिलते स्वामी जी का वीडियो भी कोहली से मिलते हुए वीडियो भी सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ था, जिन्होंने बड़ी सहजता से कोहली से मुलाकात की और उन्हें अपने अन्य भक्तों से मुलाकात का हवाला देकर उसी सहजता से विदा भी कर दिया था। स्वामी प्रेमानंद की सादगी और महानता पर सोशल मीडिया भी फिदा हो गया था। अब स्वामी जी का एक और वीडियो सामने आया है, जिसमें वह ‘कृपा’ बरसाने वाले बाबाओं को तुक्केबाज बता रहे हैं। हालांकि, उन्होंने कहीं भी धीरेंद्र शास्त्री का जिक्र नहीं किया है लेकिन लोग उनके इस उपदेश को इसी कड़ी से जोड़ रहे हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में प्रेमानंद कहते हैं कि सब लोग यह भ्रम छोड़ दो कि बाबा का दर्शन करने जा रहे हैं तो हमारा काम हो जाएगा। अगर उन कामों के लिए बाबागिरी होती तो हम भी वह काम करते। जो लोग हस्तरेखा देख भाग्य बताने का दावा करते हैं, पहले उन्हीं से पूछ लो कि क्या उन्होंने अपना भाग्य देखा है? अगर उन्हें भाग्य रेखा की जानकारी होती और वह भाग्य सुधारने वाले होते तो वह खुद अरबपति होते। वह आगे कहते हैं कि संत समागम, भगवन चिंतन और नाम जप असलियत में पहुंचने के लिए है। ऐसा नहीं होता कि कृपा हो जाए और काम बन जाएगा। तुक्का लग जाए तुम्हारे पुण्य का, वह भी बाहर से कुछ नहीं। तुम्हारा पुण्य फलित हो गया और कहे कि बाबा के पास गए और काम हो गया। हम इन बातों पर विश्वास नहीं करते। हमारे पास इन बातों पर मत आना।
स्वामी प्रेमानंद ने कहा, “हमारी बातों को सुनो और नियमपूर्वक उसको मानो, आप आगे बढ़ जाओगे। चमत्कार एक भ्रम है। तुक्का लग जाता है न। किसी का भी लग जाता है। पुण्य है तो लग गया। ये सब ड्रामा है, नाटक है माया का। संतों की कृपा जानते हो, संत बन जाओगे। संतों की कृपा का फल ये होता है। संतों का चमत्कार, स्थान का चमत्कार ये सब नहीं होता। ये तुक्का है। पुण्य का तुक्का लग गया।“
आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल है, उससे साफ नहीं है कि यह टिप्पणी उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री पर की है या नहीं, लेकिन इस वीडियो को लेकर लोग बागेश्वर धाम के शास्त्री पर निशाना जरूर साध रहे हैं। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि स्वामी प्रेमानंद, नीम करोली बाबा, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जैसे बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो सच्चे अर्थों में हिन्दुत्व के रक्षक हैं। जो किसी की आलोचना नहीं बल्कि सत्य का ज्ञान करवाते हैं। कोई जादू नहीं दिखाते। चिल्लाते भी नहीं। सिर्फ अच्छी बातें बताकर आम आदमी को मानसिक तौर पर मजबूत कर देते हैं।
नीम करोली बाबा, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जैसे बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो सच्चे अर्थों में हिन्दुत्व के रक्षक हैं। जो किसी की आलोचना नहीं बल्कि सत्य का ज्ञान करवाते हैं। कोई जादू नहीं दिखाते। चिल्लाते भी नहीं। सिर्फ अच्छी बातें बताकर आम आदमी को मानसिक तौर पर मजबूत कर देते हैं। pic.twitter.com/8JxCAYuwRS
— Raksha (@raksha_s27) January 22, 2023
गंभीरता और सादगी से भरे व्यक्तित्व के जरिए सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ बटोर रहे स्वामी प्रेमानंद का हाल ही में एक वीडियो सामने आया था। इस वीडियो में भारतीय क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी विराट कोहली अपनी पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ उनके दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचे थे। इस दौरान अन्य भक्तों को स्वामी जी के दर्शन के लिए मौका देने की बात कहकर सेवादारों ने कोहली और अनुष्का को जाने के लिए कह दिया था। दोनों बहुत ही विनम्रता के साथ वहां से चले भी गए। कोहली के वीआईपी होने से प्रभावित हुए बिना सभी श्रद्धालुओं को बराबर नजर से देखने की स्वामी प्रेमानंद की इस भावना ने लोगों को काफी प्रभावित किया था।
कौन हैं बाबा प्रेमानंदः स्वामी प्रेमानंद का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में सरसोल ब्लॉक के अखरी गांव में हुआ था। संन्यास से पहले उनका नाम अनिरुद्ध पांडेय थे। उनके दादा भी संन्यासी थे। स्वामी प्रेमानंद 13 साल की उम्र में रात में 3 बजे घर छोड़कर चले गए थे। वह ज्यादातर गंगा किनारे ही रहते थे। बाद में वह मथुरा के मोहितमल गोस्वामी के संपर्क में आए और 10 साल तक गुरु की सेवा की। इसके बाद वह बेहद कम संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए सत्संग और भगवान की भक्ति में लगे रहते हैं।