मुंबईः आज 17 जनवरी यानी एक ऐसे महानायक का जन्म दिन है, जिसकी दीवानगी का अंदाजा आप इसी से लगा सकते है कि उसकी किडनी फेल होने की खबर फैली, तो 13 लोगों ने आत्महत्या कर ली। जब MGR की मौत हुई तो 30 फैंस ने जान दे दी। अंतिम संस्कार में 12 लाख फैन शामिल हुए। लोग इतने दुःखी थे कि उन्होंने दुःख और गुस्से में उपद्रव मचाना शुरू कर दिया। दुकानें, बसें, गाड़ियां जलाईं। इस दंगे में 29 लोगों की मौत हो गई और 49 पुलिसकर्मी गंभीर घायल हुए। जी हां हम बात कर रहे हैं एमजीआर (MGR) यानी मारुदुर गोपालन रामचन्द्रन की। एमजीआर तमिल फिल्मों के सुपर स्टार भी रहे और तमिलनाड़ु के मुख्यमंत्री भी। आज MGR की 106वीं बर्थ एनिवर्सरी है।
17 जनवरी 1917 को श्रीलंका के नावालापिटिया में जन्मे एमजीआर एक सांस्कृतिक आइकन हैं। उन्हें तमिल फिल्म उद्योग के सबसे प्रभावशाली अभिनेताओं में से एक माना जाता है। MGR पहले ऐसे स्टार थे जिनकी फैन फॉलोइंग ने दुनिया को चौंका दिया था। पहली बार ये महसूस किया गया कि किसी फिल्म स्टार के लिए फैन इतने दीवाने हो सकते हैं। ऐसे कई मौके आए, जब लोगों में उनकी दीवानगी का आलम देखने को मिला।
MGR की फिल्में रिकॉर्ड तोड़ कमाई करती थीं। राजनीति में आए तो मुख्यमंत्री बने। उनके फैंस उन्हें चमत्कारी मानते थे, फैंस को लगता था कि अगर MGR किसी बंजर जमीन पर खड़े हो जाएंगे तो वे उपजाऊ हो जाएगी। इस कारण कई लोग उन्हें अपने यहां सिर्फ बंजर जमीन को हरा-भरा बनाने के लिए आने का न्योता देते थे।
एमजीआर की जब किडनी खराब हुई तो ये खबर सुनकर ही 13 फैंस ने सुसाइड कर ली। मशहूर अभिनेत्री एवं तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता से उनके रिश्ते हमेशा सुर्खियों में रहे। जब MGR की मौत हुई तो 30 फैंस ने जान दे दी। अंतिम संस्कार में 12 लाख फैन शामिल हुए। लोग इतने दुःखी थे कि उन्होंने दुःख और गुस्से में उपद्रव मचाना शुरू कर दिया। दुकानें, बसें, गाड़ियां जलाईं। इस दंगे में 29 लोगों की मौत हो गई और 49 पुलिसकर्मी गंभीर घायल हुए।
ये सब रोकने के लिए सरकार को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी करना पड़ा। MGR के इस अंतिम संस्कार को आज भी मोस्ट वॉयलेंट फ्यूनरल ऑफ द सेंचुरी (सदी का सबसे हिंसक अंतिम संस्कार) माना जाता है। तो चलिए आज हम आपको एमजीआर की जयंती के मौके पर उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से बताते हैं…
MGR जब महज ढाई साल थे, तो उनके पिता का निधन हो गया और चंद दिनों बाद इनकी बहन की भी बीमारी से मौत हो गई। घर के आर्थिक हालात इतने बिगड़ गए कि मां MGR और उनके भाई के साथ श्रीलंका से भारत आ गईं।
केरल पहुंचीं तो रिश्तेदारों ने मदद करने से इनकार कर दिया। मुश्किल से एक रिश्तेदार ने रहने की जगह दी। उन्होंने ही बच्चों का दाखिला स्कूल में करवाया। MGR को कम उम्र से ही एक्टिंग में दिलचस्पी थी, तो उन्होंने 07 साल की उम्र में ड्रामा कंपनी बॉय्ज के नाटकों में काम करना शुरू कर दिया।
1936 में 19 साल की उम्र में एमजीआर को फिल्म सती लीलावती में पुलिस इंस्पेक्टर का रोल मिला और इस तरह से उनके फिल्मी करियर की शुरुआत हुई। इसके लिए उन्हें 100 रुपए फीस मिली। उन्हें पहला लीड रोल 1947 की फिल्म राजकुमारी में मिला। 1950 तक मंथिरी कुमारी जैसी कई हिट फिल्में देते हुए MGR को एक स्टार का दर्जा हासिल हुआ। 1954 की फिल्म मलाइक्कल्लन इतनी बड़ी हिट थी कि इसके बाद इन्हें भगवान की तरह पूजा जाने लगा था।
देवदास का रोल ठुकरायाः एमजीआर को जितना लोग पूजते थे, उससे कहीं ज्यादा फिक्र इन्हें अपने चाहने वालों की होती थी। इन्हें साउथ की देवदास फिल्म ऑफर हुई थी, जिसमें उन्हें शराबी की भूमिका निभानी थी। MGR ने इस फिल्म को ये कहते हुए ठुकरा दिया कि मैं नहीं चाहता कि जो फैंस मुझे भगवान की तरह पूजते हैं वे मुझे शराब पीते देखें। मैं ऐसा कोई भी रोल नहीं करूंगा जिससे चाहने वालों पर बुरा असर पड़े। इसके अलावा वे कोशिश करते थे कि उनकी फिल्मों के जरिए कोई समाज सुधार का मैसेज दर्शकों तक पहुंचे।
MGR बेहद सेंसिटिव व्यक्ति थे। वे चाहते थे कि उनके चारों तरफ गरिमामय माहौल हो। वे धीमी आवाज में जवाब देते थे और जब भी उनका लोगों से मिलना होता था तो उनके जवाब पहले से तैयार किए जाते थे। एक बार MGR थायै कथा थानायन (1962) की शूटिंग कर रहे थे। एक सीन के दौरान जब वो रुके तो डायरेक्टर अरुर्धास चिल्लाते हुए उन्हें दोबारा करने को कहने लगे। शॉट पूरा हुआ तो MGR ने उन्हें बुलाया और कहा- जब आप मुझे समझाते हुए चिल्ला रहे थे तो मुझे गुस्सा नहीं आया बल्कि शर्मिंदगी महसूस हुई। मैं कभी अपनी इज्जत का एक कतरा भी दूसरे लोगों की आंखों से कम नहीं होने दूंगा। मैं जब से बड़ा हुआ हूं, तब से ऐसा ही हूं। भविष्य में अगर आप कभी मुझे समझाएं तो नजदीक आकर कहें, ना कि दूर से चिल्लाकर।
सुपरस्टार MGR भीड़ के बीच जाने से बचते थे और उनके आदेश होते थे कि कोई भी एक्शन या रोमांटिक सीन जनता के सामने शूट ना किया जाए। वे चाहते थे कि लोगों के बीच सिनेमा का जादू बरकरार रहे और लोग यही सोचें कि फिल्मों में दिखाई जाने वाली कहानियां असली होती हैं, जबकि अगर वह भीड़ में शूटिंग करते तो लोग समझ जाते कि पर्दे पर बनावटी कहानी दिखाई गई है। यही कारण रहा कि MGR ने कभी जनता के सामने शूटिंग नहीं की।
MGR के चाहने वाले इतने थे कि उनके सड़क पर निकलने ही जनसैलाब आ जाया करता था। हर जगह पहुंचने में देरी होती थी, क्योंकि सड़कों पर उतरे फैंस इनकी एक नजर के लिए भगदड़ मचा दिया करते थे। दूर से इन पर फूल फेंके जाते और इनके नाम के नारे लगाए जाते थे।
जनता के लिए MGR हमेशा से ही एक मसीहा बनकर काम करते रहे। जब उनकी आमदनी कम थी तब भी आय का बड़ा हिस्सा लोगों की मदद के लिए इस्तेमाल किया करते थे। एक रिपोर्ट के अनुसार 1950 में MGR ने एक रिक्शेवाले को बारिश में भीगते हुए रिक्शा चलाते देखा। ये देखने के बाद उन्होंने चेन्नई के 6,000 रिक्शेवालों को बरसाती दान की। 1950 में एक बरसाती की कीमत 10 रुपए थी।
एमजीआर ने की थी तीन शादीः अभिनेता MGR की पहली शादी 1939 में चितारिकुलम बार्गवी से हुई थी। शादी के दो साल बाद ही 1942 में इनकी बीमारी से मौत हो गई। पहली पत्नी की मौत के चंद महीनों बाद दूसरी शादी इन्होंने सत्यानंदवती से की, जिनकी भी टीबी से चंद सालों में ही मौत हो गई। 1963 में MGR ने तमिल एक्ट्रेस वी.एन.जानकी से तीसरी शादी की थी। MGR ने तीन शादियां की थीं, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी।
जयललिता से बेइंतहा मोहब्बत, लेकिन नहीं की… MGR और जे. जयललिता की पहली मुलाकात फिल्म शूटिंग के दौरान हुई। जयललिता की बायोग्राफी अम्माः जर्नी फ्रॉम मूवी स्टार टु पॉलिटिशयन क्वीन की राइटर वासंती के मुताबिक MGR, जयललिता के साथ रहते हुए उनसे प्यार करने लगे थे। साउथ के ज्यादातर लोग सांवले होते हैं, लेकिन जयललिता बेहद गोरी और सुंदर थीं, जिन पर MGR की नजरें अक्सर टिक जाती थीं। शूटिंग के समय भी जयललिता अकेले कोने में बैठकर अंग्रेजी किताबें पढ़ती थीं और खुद भी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती थीं। MGR का चार्म ही ऐसा हुआ करता था कि साथ काम करते हुए उन पर 31 साल छोटी जयललिता का भी दिल आ गया।
जयललिता ने खुद कुमुदन पत्रिका में MGR से जुड़ा एक किस्सा शेयर किया था। जयललिता ने राजस्थान में MGR के साथ फिल्म अदिमैप्पन की शूटिंग की थी। गाने के फिल्मांकन के दौरान जयललिता को नंगे पांव रहना था। तेज धूप से जयललिता के पांव तप रहे थे। शूटिंग के बाद उनकी गाड़ी दूर खड़ी थी। जब जयललिता तपती रेत में नहीं चल पाईं तो MGR ने बिना किसी की परवाह किए उन्हें गोद में उठा लिया और गाड़ी तक छोड़कर आए।
करते थे जयललिता का घंटों इंतजारः मीडिया रिपोर्ट के अनुसार MGR चाहते थे कि जया चौबीसों घंटे उनके साथ रहें, जब जया अपनी दूसरी फिल्मों की शूटिंग किया करती थीं तो MGR सेट पर घंटों उनके इंतजार में बैठे रहते थे। कुछ समय बाद ऐसा हुआ कि घर या शूटिंग के दौरान MGR रोजाना जयललिता के लिए अपनी गाड़ी भिजवाते और उन्हें अपने पास बुलाते। जया भी शूटिंग छोड़कर रोजाना एक घंटे MGR के लिए ब्रेक लेती थीं।
एक बार जयललिता को शिवाजी गणेशन के साथ शूटिंग के लिए कश्मीर जाना था, लेकिन जैसे ही वो फ्लाइट में बैठीं तो देखा कि MGR उनकी साथ वाली सीट में पहले से ही बैठे थे। MGR की शूटिंग का शेड्यूल भी कश्मीर में ही रखा गया था, लेकिन दोनों के सेट में 40 किलोमीटर का फासला था। दोनों के ठहरने की व्यवस्था भी अलग थी, लेकिन कश्मीर पहुंचते ही MGR, जयललिता को अपने साथ ले गए। शूटिंग के लिए जयललिता रोज 40 किलोमीटर सफर करती थीं।
जयललिता करना चाहती थीं MGR से शादीः अभिनेत्री जयललिता अपने और 31 साल बड़े MGR के रिश्ते को नाम देना चाहती थीं, लेकिन पहले से तीन शादी कर चुके MGR इसके लिए राजी नहीं थे। जयललिता ने कई बार शादी की तैयारियां भी कीं, लेकिन MGR हर बार पीछे हट गए। MGR की बेरुखी से परेशान जयललिता दूसरे एक्टर शोभन बाबू के पास चली गईं। जब दोनों के रिश्ते की खबर आने लगीं तो MGR ने भी दूसरी एक्ट्रेसेस के साथ काम करना शुरू कर दिया। इसी बीच खबर उड़ने लगीं कि जयललिता ने शोभन बाबू से शादी कर ली है। चंद लोगों ने दोनों की वेडिंग एलबम देखने का दावा किया। हालांकि कहीं भी दोनों की शादी की पुख्ता जानकारी नहीं है। कुछ समय बाद ये भी खबरें उड़ीं कि दोनों ने तलाक ले लिया है।
राजनीति के महानायक बने MGR… 1953 में MGR कांग्रेस पार्टी का हिस्सा बने। आपको बता दें कि MGR के चाहने वालों की तादाद इतनी थी कि हर पॉलिटिकल पार्टी उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करना चाहती थी। फिल्म राइटर से पॉलिटिशियन बने सी.एन. अन्नादुरई ने MGR को अपनी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) में शामिल होने के लिए राजी कर लिया। 1962 में MGR पहली बार विधायक बने।
एम.आर. राधा ने रची थी MGR की हत्या की साजिशः MGR की फिल्मों में ज्यादातर एम.आर.राधा ही विलेन बना करते थे। दोनों ने 25 फिल्मों में साथ काम किया था और उनकी फिल्म पेत्रालथान पिल्लया की शूटिंग भी चंद दिनों पहले ही खत्म हुई थी। 12 जनवरी 1967 को एम.आर.राधा एक प्रोड्यूसर के साथ एक फिल्म के सिलसिले में बात करने MGR के घर पहुंचे थे। शाम करीब 5 बजे तीनों के बीच बातचीत चल ही रही थी कि एम.आर.राधा खड़े हुए और उन्होंने अपने जेब से गन निकालकर MGR पर दो बार फायरिंग की।
MGR को दो गोलियां लगने के बाद राधा ने गन अपनी तरफ की और आत्महत्या करने की कोशिश की। राधा MGR के दिमाग पर शूट करना चाहता था, लेकिन खुशकिस्मती से उसका निशाना चूक गया और गोलियां कान में लगीं। वहीं राधा की आत्महत्या करने की कोशिश भी निशाना चूकने के कारण नाकाम रही।
एक कान से बहरे हुए और गले में फंसी गोलीः MGR खुद जख्मी हालत में घर से बाहर निकले और ड्राइवर से अस्पताल ले जाने को कहा। वो अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर्स को लगा कि वो शूटिंग में जख्मी हुए हैं वहीं उस समय मौजूद ड्यूटी सर्जन डॉ. अब्राहम ने एक इंटरव्यू में कहा था कि चूंकि MGR बिना मेकअप और विग के थे, ऐसे में वो उन्हें पहचान नहीं सके। MGR को इमरजेंसी में तुंरत इलाज के लिए ले जाया गया।
ऑपरेशन के बावजूद उनका कान ठीक नहीं हो सका और उन्हें दाहिने कान से सुनाई देना बंद हो गया। गोली उनके गले में फंस चुकी थी, जिससे उनकी आवाज भी पूरी तरह बिगड़ गई। संयोग से एम.आर.राधा को भी रोयापेट्टाह हॉस्पिटल ही ले जाया गया था। वहीं दोनों को एक ही दिन एक ही एम्बुलेंस से सरकारी अस्पताल शिफ्ट किया गया था, जहां दोनों का इलाज एक ही सर्जन ने किया।
मातम का शोरः MGR को गोली लगने की खबर जैसे ही सामने आई, तो एक घंटे में ही 50 हजार फैंस अस्पताल के बाहर इकट्ठा हो गए। लोग सड़कों पर मातम मना रहे थे और रोने-चीखने की आवाजों से सड़कें गूंज रही थीं। भीड़ इतनी थी कि पुलिस और दूसरी गाड़ियां भी अस्पताल के नजदीक नहीं जा पा रही थीं। भीड़ रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स को बुलाया गया था।
शहर में मातम ऐसा था कि बड़ी संख्या में दुकानें बंद हो गईं और कर्फ्यू जैसा माहौल हो गया। जैसे ही फैंस को पता चला कि राधा ने MGR पर गोली चलाई है तो भीड़ उसके घर पहुंची और लोगों ने घर में खूब तोड़फोड़ की। MGR 6 हफ्तों तक अस्पताल में भर्ती रहे और उन सभी दिनों अस्पताल के बाहर भीड़ का यही आलम रहा। MGR पर गोली चलाने वाले राधा को पहले 7 साल की सजा हुई, लेकिन बाद में सजा कम कर दी गई।
फैंस और DMK पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनकी ये तस्वीर पूरे शहर में फैलाई। फायदा ये रहा कि 1967 में MGR पूरे 27 हजार वोटों से विधायक बने। ये मद्रास के इतिहास में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाले विधायक थे।
अन्नादुरई की मौत के बाद जब MGR ने DMK पार्टी में बढ़ते भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई तो उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। पार्टी छोड़ने के बाद MGR ने अपनी पार्टी अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम बनाई, जिसे बाद में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम नाम दिया गया। ये DMK की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी थी।
एमजीआर जब तमिलनाडु के सीएम बनेः MGR की पार्टी ने 1977 में 234 में से 130 सीटें हासिल कीं और MGR तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने। कुछ सालों बाद MGR ने जे. जयललिता को कॉल किया और उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने की बात कही। सालों बाद MGR की आवाज सुन रहीं जयललिता झट से मान गईं। पार्टी कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया और MGR को जयललिता को पद से हटाना पड़ा। MGR ने जयललिता को हर कदम पर साथ रखा, शायद यही कारण था कि जब MGR की मौत हुई तो जयललिता 21 घंटों तक उनके शव के पास खड़ी रहीं।
किडनी फेल हुई, तो 13 फैंस ने आत्महत्या की… एमजीआर की किडनी अक्टूबर 1984 में फेल हो गई, हार्ट अटैक भी आया और स्ट्रोक से हालत नाजुक हो गई। इन्हें इलाज के लिए न्यूयॉर्क ले जाया गया। इलाज के दौरान जयललिता उनसे मिलना चाहती थीं, लेकिन उन्हें MGR से मिलने की इजाजत नहीं मिली। जयललिता ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा को खत लिखकर MGR से मिलने की मांग की, लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं मिला।
जैसे ही MGR की बिगड़ी हालत का आम जनता को पता चला तो खबर सुनकर ही 13 फैंस ने आत्महत्या कर ली। MGR को ऐसी हालत में देखना भी चाहने वालों को मंजूर नहीं था। मास हिस्टीरिया के कई मामले सामने आए। वहीं 100 से ज्यादा फैंस ने अस्पताल और घर में टेलीग्राम भेजकर अपनी किडनी देने की इच्छा जाहिर की।
कई टेलीग्राम में डॉक्टर्स को धमकी दी गई कि अगर MGR को नहीं बचाया गया तो अस्पताल को इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा। एक ने अपना दिमाग दान करने की बात कही, तो वहीं एक ने लेटर में लिखा कि वह तब तक खाना नहीं खाएगा, जब तक डॉक्टर उसे ये नहीं बताते कि MGR सुरक्षित हैं।
जब से मिलने पहुंचीं जयललिता, तो एयरपोर्ट कर दिया गया बंदः बात 04 फरवरी 1985 को MGR इलाज के बाद भारत वापस आए तो इन्हें देखने के लिए भीड़ इकट्ठा हो गई। जे.जयललिता भी इन्हें लेने एयरपोर्ट पहुंची थीं, लेकिन कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं ने उन्हें रोकने के लिए VIP लॉन्ज में बंद कर दिया। भारत आने के 06 दिनों बाद MGR ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद के लिए 10 फरवरी 1985 को शपथ ली। इसके बाद करीब तीन सालों तक उनकी हालत नाजुक बनी रही और उन्हें आए दिन इलाज के लिए न्यूयॉर्क जाना होता था।
आखिरकार 24 दिसंबर 1987 को तड़के 3ः30 बजे MGR ने अपने रामावरम गार्डन घर में दम तोड़ दिया। 70 साल के MGR की मौत की खबर ने पूरे तमिलनाडु को हिलाकर रख दिया। ये खबर सुनकर ही 30 फैंस ने आत्महत्या कर ली और लाखों की तादाद में लोग मातम मनाने सड़कों पर उतर आए। मातम की आड़ में शहरों में दंगे शुरू हो गए।
12 लाख लोग और 10 किलोमीटर लंबी लाइनः MGR के शव को अंतिम दर्शन के लिए दो दिनों तक राजाजी हॉल में रखा गया था। यहां उन्हें देखने के लिए लाखों की तादाद में लोग इकट्ठा हुए। राजाजी हॉल के 10 किलोमीटर तक भीड़ खड़ी चीख-चीख कर रो रही थी। महिलाएं सिंदूर पोछ रही थीं, छाती पीट रही थीं तो कई सिर पटक-पटक कर रो रही थीं। छतें, होर्डिंग्स, लैंपपोस्ट और बालकनियां लोगों से ढंकी हुई थीं।
स्कूल- कॉलेज, पुलिस ने दिए थे शूट-एट-साइट के ऑर्डर… MGR के अंतिम संस्कार के दिन तमिलनाडु में दंगे भड़क चुके थे। दंगाई दुकानों, सिनेमाघरों को निशाना बना रहे थे। करीब 29 लोगों की दंगों में जान गई और दंगे रोकने की कोशिश कर रहे 49 पुलिस वाले बुरी तरह जख्मी हो गए। जब मरने वालों की संख्या बढ़ने लगी तो प्रशासन ने दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए। शहर भर में ऐसा हिंसक माहौल था कि सरकार ने स्कूल, कॉलेज को अगले आदेश तक बंद रखने के आदेश दिए।
MGR के शव के पास 21 घंटे खड़ी रहीं जयललिताः दिग्गज अभिनेता एवं राजनेता MGR की मौत की खबर मिलते ही जयललिता उनके घर पहुंचीं, तो घर में मौजूद MGR की विधवा जानकी ने दरवाजा खोलने से इनकार कर दिया। उन्होंने पूछा कि MGR का शव कहां रखा गया है तो उन्हें अपमानित किया गया। जैसे-तैसे जयललिता राजाजी हॉल पहुंचीं जहां दो दिनों तक MGR का शव रखा जाना था। जयललिता बिना हटे 21 घंटों तक शव के पास खड़ी रहीं और लगातार रोते हुए अपनी साड़ी के पल्लू से आंसू पोछती रहीं। जब MGR का शव मुक्तिवाहन में रखा गया तो जयललिता भी गाड़ी में चढ़ गईं, लेकिन तुरंत ही लोगों ने उन्हें खींचकर नीचे उतार दिया।
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