दिल्लीः जेपी नड्डी जून 2024 तक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे। पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बतौर अध्यक्ष नड्डा का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि जेपी नड्डा के लिए राष्ट्रीय कार्यकारणी ने आज प्रस्ताव किया है। उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस प्रस्ताव को रखा है और पार्टी के सभी सदस्यों ने इसे स्वीकार किया है। उन्होंने बताया कि बीजेपी अध्यक्ष के रूप में नड्डा का कार्यकाल जून 2024 तक के लिए बढ़ाया जा रहा है

इस दौरान शाह ने उम्मीद जताई की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में बीजेपी 2024 में और भी बड़े बहुमत से जीत हासिल करेगी। उन्होंने कहा कि एक बार फिर नरेंद्र मोदी देश का नेतृत्व पीएम के रूप में करेंगे।

नड्डा के नेतृत्व को शाह ने सराहाः अमित शाह ने इस दौरान नड्डा के नेतृत्व की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि उनकी अध्यक्षता में भाजपा को कई अहम चुनावों में जीत मिली। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक राष्ट्रीय राजधानी स्थित नई दिल्ली नगरपालिका परिषद् (एनडीएमसी) के कन्वेंशन सेंटर में सोमवार को शुरु हुई थी।

समाप्त हो रहा था नड्डा का कार्यकालः बीजेपी अध्यक्ष के रूप में जेपी नड्डा का तीन साल का कार्यकाल इसी साल 20 जनवरी को समाप्त हो रहा था। वह जुलाई 2019 में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए थे। उसके बाद 20 जनवरी 2020 को उन्होंने पूर्णकालिक अध्यक्ष के तौर पर पार्टी की कमान संभाली थी। बीजेपी के संविधान के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष को लगातार तीन साल के लिए दो कार्यकाल दिए जाने का प्रावधान है। आपको बता दें कि मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले नड्डा का जन्म बिहार की राजधानी पटना में दो दिसंबर 1960 को हुआ था।

प्रधानमंत्री मंगलवार सुबह कार्यकारिणी स्थल पहुंचे। उनके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के करीब 350 वरिष्ठ नेताओं ने कार्यकारिणी में भाग लिया। इनमें पार्टी शासित 12 राज्यों के मुख्यमंत्री व पांच उपमुख्यमंत्री तथा 35 केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं।

नड्डा के सामने चुनौतीः आपको बता दें कि अगले साल देश में आम चुनाव होने वाले हैं। यानी प्रधानमंत्री मोदी साल 2024 में तीसरी बार देश की जनता से जनमत मांगेगे। इसके पहले 2023 में 09 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और यह चुनाव आम चुनाव को लेकर राजनीतिक धारणा बनाने में भूमिका निभाते हैं। इनमें खासतौर पर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक में पार्टी का प्रदर्शन लोकसभा की दृष्टि से बेहद अहम होगा। गौरतलब है कि इन राज्यों की 93 में से 87 सीटें इस समय पार्टी के पास है।

चुनावों की बनी रणनीतिः सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपि की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में विधानसभा और लोकसभा चुनाव की ब्यूहरचना पर अलग-अलग चर्चा हुई। इस साल त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय, कर्नाटक, मिजोरम, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें से ज्यादातर राज्यों में भाजपा या फिर उसके सहयोगी दलों की सरकार है। बैठक में इन राज्यों में सत्ता बचाने और राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सत्ता में वापसी पर गंभीर विमर्श हुआ। खासतौर से छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव को केंद्र की सत्ता के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है।

क्यों बढ़ाया गया नड्डा का कार्यकालः  
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा हिमचाल प्रदेश से आते हैं और हिमाचल में हाल ही में विधानसभा चुनाव हुआ हैं, जिसमें बीजेपी को हार नसीब हुई है। इसके बावजूद नड्डा का कार्यकाल बढ़ाया गया है। ऐसे में सवाल यह पैदा हो रहा है कि उनका कार्यकाल क्यों बढ़ाया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि जेपी नड्डा, अमित शाह और पीएम मोदी का कॉम्बिनेशन काफी ठीक चल रहा है। नड्डा ने जनवरी 2020 में बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर कार्यभार संभाला था। उस दिल्ली और फिर बिहार में चुनाव हुए थे। दिल्ली में बीजेपी बुरी तरह से हारी थी, जबकि बिहार चुनाव में बीजेपी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था और नीतीश कुमार के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। जेपी नड्डा की अगुआई में भी बीजेपी ने मध्य प्रदेश में फिर से सरकार बनाई। मणिपुर में भी ऐसा ही हुआ था। इसके बाद 2021 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे। जिनमें दो राज्यों में भाजपा की सरकार बनी। पश्चिम बंगाल में भी भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन काफी बेहतर हो गया। भाजपा तीन से सीधे 77 सीटों पर पहुंच गई। 2022 में सात राज्यों में चुनाव हुए और इनमें से पांच पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली।’

विशेषज्ञों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में भले ही बीजेपी चुनाव हार गई, लेकिन गुजरात की जीत ने पार्टी का मनोबल बढ़ा दिया। ये पार्टी और सरकार के बीच बेहतर तालमेल का नतीजा था। यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश में मिली हार को पार्टी के दिग्गज नेताओं ने भूलते हुए नड्डा को इसका इनाम दिया। नड्डा ने अपने कार्यकाल के दौरान सरकार और पार्टी के बीच अच्छे रिश्ते बनाए। तो चलिए टटोलने की कोशिश करते हुए उन सवालों के जवाब जो आपके जेहन में नड्डा के कार्यकाल को बढ़ाए जाने को लेकर उठ रहे हैं….

  • 2023 नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान, तेलंगाना शामिल है। इसके ठीक बाद अगले साल यानी 2024 की शुरुआत में लोकसभा चुनाव होना है। नड्डा की अगुआई में पूरे देशभर में संगठन काफी मजबूत हुआ है। जहां, पार्टी कमजोर थी, वहां दूसरे दलों के बड़े नेताओं को जोड़ा गया। नड्डा ने हर वर्ग के लिए अलग से सदस्यता अभियान चलाया। इसका फायदा चुनावों में भाजपा को मिला। यही कारण है कि नड्डा के कार्यकाल को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है।
  • जेपी नड्डा की दूसरी सबसे बड़ी उपलब्धि है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष होते हुए भी उन्होंने पार्टी और सरकार के बीच अच्छे तालमेल रखे। नड्डा के रिश्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से भी अच्छे हैं। इसके अलावा पार्टी के पुराने नेताओं के भी नड्डा पसंदीदा हैं। इसका फायदा भी उन्हें मिला।
  • इस बार हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को हार मिली। जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश से ही आते हैं। ऐसे में अगर उन्हें अध्यक्ष पद से हटाया जाता तो इसका गलत संदेश भी जाता। विपक्ष इसे मुद्दा बना लेता। हिमाचल प्रदेश की हार की जितनी चर्चा नहीं हुई थी, उससे कहीं ज्यादा चर्चा नड्डा के हटने की होती। ऐसे में हिमाचल प्रदेश की हार का नुकसान भाजपा को दूसरे राज्यों के चुनाव में भी उठाना पड़ सकता था।

अब जाने कैसे होता है बीजेपी अध्यक्ष का चुनावः  बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव प्रदेश संगठनों के चुनाव के बाद होता है। नियम के अनुसार अगर 50 प्रतिशत राज्यों में संगठन का चुनाव हो गया है तो राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कराया जा सकता है। एक राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल तीन वर्ष के लिए होता है। नड्डा ने 2020 में पार्टी की कमान संभाली थी। इस साल जनवरी में उनका कार्यकाल खत्म हो रहा था। जिसे अब जून 2024 तक बढ़ा दिया गया है।

पार्टी के संविधान की धारा 19 में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की व्यवस्था है। इसके अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक निर्वाचक मंडल कराएगा। इसमें राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषद के वर्णित सदस्य होते हैं।

बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष वही बन सकता है जो कम से कम चार अवधियों तक पार्टी का सक्रिय सदस्य रहा हो। न्यूनतम 15 वर्ष से पार्टी का सदस्य हो। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की योग्यता रखने वाले किसी नेता का नाम निर्वाचक मंडल में से कुल 20 सदस्य प्रस्तावित करेंगे। यहां यह भी जरूरी है कि यह संयुक्त प्रस्ताव कम से कम पांच राज्यों से भी आना चाहिए, जहां चुनाव हो चुके हों।

अध्यक्ष और बाकी सदस्यों का कार्यकाल: बीजेपी के संविधान की धारा 21 के अनुसार, कोई भी शख्स तीन-तीन साल के दो कार्यकाल तक ही भाजपा का अध्यक्ष रह सकता है। प्रदेश कार्यकारिणी, परिषद, समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों के कार्यकाल की भी तीन वर्षों तक निर्धारित की गई है।

जेपी नड्डी जून 2024 तक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे। पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बतौर अध्यक्ष नड्डा का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि जेपी नड्डा के लिए राष्ट्रीय कार्यकारणी ने आज प्रस्ताव किया है। उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस प्रस्ताव को रखा है और पार्टी के सभी सदस्यों ने इसे स्वीकार किया है। उन्होंने बताया कि बीजेपी अध्यक्ष के रूप में नड्डा का कार्यकाल जून 2024 तक के लिए बढ़ाया जा रहा है।इस दौरान शाह ने उम्मीद जताई की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में बीजेपी 2024 में और भी बड़े बहुमत से जीत हासिल करेगी। उन्होंने कहा कि एक बार फिर नरेंद्र मोदी देश का नेतृत्व पीएम के रूप में करेंगे।

नड्डा के नेतृत्व को शाह ने सराहाः अमित शाह ने इस दौरान नड्डा के नेतृत्व की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि उनकी अध्यक्षता में भाजपा को कई अहम चुनावों में जीत मिली। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक राष्ट्रीय राजधानी स्थित नई दिल्ली नगरपालिका परिषद् (एनडीएमसी) के कन्वेंशन सेंटर में सोमवार को शुरु हुई थी।

समाप्त हो रहा था नड्डा का कार्यकालः बीजेपी अध्यक्ष के रूप में जेपी नड्डा का तीन साल का कार्यकाल इसी साल 20 जनवरी को समाप्त हो रहा था। वह जुलाई 2019 में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए थे। उसके बाद 20 जनवरी 2020 को उन्होंने पूर्णकालिक अध्यक्ष के तौर पर पार्टी की कमान संभाली थी। बीजेपी के संविधान के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष को लगातार तीन साल के लिए दो कार्यकाल दिए जाने का प्रावधान है। आपको बता दें कि मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले नड्डा का जन्म बिहार की राजधानी पटना में दो दिसंबर 1960 को हुआ था।

प्रधानमंत्री मंगलवार सुबह कार्यकारिणी स्थल पहुंचे। उनके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के करीब 350 वरिष्ठ नेताओं ने कार्यकारिणी में भाग लिया। इनमें पार्टी शासित 12 राज्यों के मुख्यमंत्री व पांच उपमुख्यमंत्री तथा 35 केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं।

नड्डा के सामने चुनौतीः आपको बता दें कि अगले साल देश में आम चुनाव होने वाले हैं। यानी प्रधानमंत्री मोदी साल 2024 में तीसरी बार देश की जनता से जनमत मांगेगे। इसके पहले 2023 में 09 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और यह चुनाव आम चुनाव को लेकर राजनीतिक धारणा बनाने में भूमिका निभाते हैं। इनमें खासतौर पर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक में पार्टी का प्रदर्शन लोकसभा की दृष्टि से बेहद अहम होगा। गौरतलब है कि इन राज्यों की 93 में से 87 सीटें इस समय पार्टी के पास है।

चुनावों की बनी रणनीतिः सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपि की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में विधानसभा और लोकसभा चुनाव की ब्यूहरचना पर अलग-अलग चर्चा हुई। इस साल त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय, कर्नाटक, मिजोरम, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें से ज्यादातर राज्यों में भाजपा या फिर उसके सहयोगी दलों की सरकार है। बैठक में इन राज्यों में सत्ता बचाने और राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सत्ता में वापसी पर गंभीर विमर्श हुआ। खासतौर से छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव को केंद्र की सत्ता के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है।

  • क्यों बढ़ाया गया नड्डा का कार्यकालः  
    बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा हिमचाल प्रदेश से आते हैं और हिमाचल में हाल ही में विधानसभा चुनाव हुआ हैं, जिसमें बीजेपी को हार नसीब हुई है। इसके बावजूद नड्डा का कार्यकाल बढ़ाया गया है। ऐसे में सवाल यह पैदा हो रहा है कि उनका कार्यकाल क्यों बढ़ाया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि जेपी नड्डा, अमित शाह और पीएम मोदी का कॉम्बिनेशन काफी ठीक चल रहा है। नड्डा ने जनवरी 2020 में बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर कार्यभार संभाला था। उस दिल्ली और फिर बिहार में चुनाव हुए थे। दिल्ली में बीजेपी बुरी तरह से हारी थी, जबकि बिहार चुनाव में बीजेपी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था और नीतीश कुमार के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। जेपी नड्डा की अगुआई में भी बीजेपी ने मध्य प्रदेश में फिर से सरकार बनाई। मणिपुर में भी ऐसा ही हुआ था। इसके बाद 2021 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे। जिनमें दो राज्यों में भाजपा की सरकार बनी। पश्चिम बंगाल में भी भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन काफी बेहतर हो गया। भाजपा तीन से सीधे 77 सीटों पर पहुंच गई। 2022 में सात राज्यों में चुनाव हुए और इनमें से पांच पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली।’

    विशेषज्ञों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में भले ही बीजेपी चुनाव हार गई, लेकिन गुजरात की जीत ने पार्टी का मनोबल बढ़ा दिया। ये पार्टी और सरकार के बीच बेहतर तालमेल का नतीजा था। यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश में मिली हार को पार्टी के दिग्गज नेताओं ने भूलते हुए नड्डा को इसका इनाम दिया। नड्डा ने अपने कार्यकाल के दौरान सरकार और पार्टी के बीच अच्छे रिश्ते बनाए। तो चलिए टटोलने की कोशिश करते हुए उन सवालों के जवाब जो आपके जेहन में नड्डा के कार्यकाल को बढ़ाए जाने को लेकर उठ रहे हैं….

  • 2023 नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान, तेलंगाना शामिल है। इसके ठीक बाद अगले साल यानी 2024 की शुरुआत में लोकसभा चुनाव होना है। नड्डा की अगुआई में पूरे देशभर में संगठन काफी मजबूत हुआ है। जहां, पार्टी कमजोर थी, वहां दूसरे दलों के बड़े नेताओं को जोड़ा गया। नड्डा ने हर वर्ग के लिए अलग से सदस्यता अभियान चलाया। इसका फायदा चुनावों में भाजपा को मिला। यही कारण है कि नड्डा के कार्यकाल को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है।
  • जेपी नड्डा की दूसरी सबसे बड़ी उपलब्धि है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष होते हुए भी उन्होंने पार्टी और सरकार के बीच अच्छे तालमेल रखे। नड्डा के रिश्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से भी अच्छे हैं। इसके अलावा पार्टी के पुराने नेताओं के भी नड्डा पसंदीदा हैं। इसका फायदा भी उन्हें मिला।
  • इस बार हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को हार मिली। जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश से ही आते हैं। ऐसे में अगर उन्हें अध्यक्ष पद से हटाया जाता तो इसका गलत संदेश भी जाता। विपक्ष इसे मुद्दा बना लेता। हिमाचल प्रदेश की हार की जितनी चर्चा नहीं हुई थी, उससे कहीं ज्यादा चर्चा नड्डा के हटने की होती। ऐसे में हिमाचल प्रदेश की हार का नुकसान भाजपा को दूसरे राज्यों के चुनाव में भी उठाना पड़ सकता था।

अब जाने कैसे होता है बीजेपी अध्यक्ष का चुनावः  बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव प्रदेश संगठनों के चुनाव के बाद होता है। नियम के अनुसार अगर 50 प्रतिशत राज्यों में संगठन का चुनाव हो गया है तो राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कराया जा सकता है। एक राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल तीन वर्ष के लिए होता है। नड्डा ने 2020 में पार्टी की कमान संभाली थी। इस साल जनवरी में उनका कार्यकाल खत्म हो रहा था। जिसे अब जून 2024 तक बढ़ा दिया गया है।
पार्टी के संविधान की धारा 19 में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की व्यवस्था है। इसके अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक निर्वाचक मंडल कराएगा। इसमें राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषद के वर्णित सदस्य होते हैं।

बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष वही बन सकता है जो कम से कम चार अवधियों तक पार्टी का सक्रिय सदस्य रहा हो। न्यूनतम 15 वर्ष से पार्टी का सदस्य हो। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की योग्यता रखने वाले किसी नेता का नाम निर्वाचक मंडल में से कुल 20 सदस्य प्रस्तावित करेंगे। यहां यह भी जरूरी है कि यह संयुक्त प्रस्ताव कम से कम पांच राज्यों से भी आना चाहिए, जहां चुनाव हो चुके हों।

अध्यक्ष और बाकी सदस्यों का कार्यकाल: बीजेपी के संविधान की धारा 21 के अनुसार, कोई भी शख्स तीन-तीन साल के दो कार्यकाल तक ही भाजपा का अध्यक्ष रह सकता है। प्रदेश कार्यकारिणी, परिषद, समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों के कार्यकाल की भी तीन वर्षों तक निर्धारित की गई है।

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