दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की हवा जहरीली हो चुकी है। यहां पर 14 जनवरी को एक्यूआई 353 (बहुत खराब) था जिसमें 15 जनवरी को 213 (खराब) मामूली सुधार हुआ है। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के कारण कई प्रकार की दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम काफी बढ़ गया है। आपको बता दें कि इन क्षेत्रों में अक्टूबर महीने से ही हवा की गुणवत्ता (एक्यूआई) ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बनी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के वातावरण में सांस लेना गंभीर रोगकारक हो सकता है।
आपको बता दें कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने दिल्ली में गैर-आवश्यक निर्माण कार्यों पर पिछले दिनों प्रतिबंध लगाया था, जिसके बाद थोड़ा सुधार जरूर आया है, लेकिन एक्यूआई अब भी गंभीर श्रेणी में ही है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार के वातावरण में सांस लेना लोगों में कई प्रकार की दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती है। पिछले कुछ दिनों में अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। खराब हवा की गुणवत्ता न सिर्फ सांस के गंभीर रोगों का कारण बनती है साथ ही इससे अध्ययनों में और भी कई प्रकार के स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे के बारे में पता चलता है।
आईसीयू में मरीजों की संख्याः हाल ही में फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों ने एक रिपोर्ट तैयार किया था, जिससे पता चलता है कि ठंड के मौसम और प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण अस्पतालों में सांस के रोगियों की संख्या भी बढ़ती हुई देखी जा रही है। इसमें से कई रोगियों की स्थिति काफी गंभीर भी है, जिसमें उन्हें तत्काल चिकित्सा या आईसीयू की जरूरत हो रही है। लंबे समय तक प्रदूषित वायु के संपर्क में रहने से वायुमार्ग और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों का जोखिम बढ़ गया है
ईएनटी विशेषज्ञ क्या कहते हैः विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में जारी वृद्धि के कारण साइनोसाइटिस, एलर्जी, खांसी, संक्रमण और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों में लगभग 30 फीसदी तक की उछाल आई है। नाक बहने-बंद नाक, गले में खराश, खांसी, सूंघने की क्षमता में कमी, थकान, सिरदर्द जैसी समस्याओं के साथ लोग अस्पतालों में आ रहे हैं। इस तरह के वातावरण के कारण कई दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम भी काफी बढ़ गया है। हानिकारक वायु कणों के कारण फेफड़ों की क्षमता में कमी देखी जा रही है, जोकि चिंताजनक है।
न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का खतराः दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के कारण सिर्फ सांस ही नहीं, कई और भी गंभीर बीमारियों के विकसित होने का खतरा हो सकता है। मैक्सिको में न्यूरोपैथोलॉजिस्ट लिलियन काल्डेरोन ने इसके दुष्प्रभावों को जानने के लिए कुत्तों के मस्तिष्क का अध्ययन किया। 40 कुत्तों पर किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहने वाले कुत्तों में न्यूरोडीजेनेरेशन की शुरुआत आठ महीने की उम्र में शुरू हो गई। जबकि इनकी तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले कुत्तों का दिमाग स्वस्थ पाया गया।
अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि प्रदूषण के कारण न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है, इसपर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। गंभीर स्थितियों में इससे ब्रेन डैमेज का भी खतरा हो सकता है।
कैसे करें बचावः स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर के अलावा कई अन्य महानगरों की हालात भी कुछ इसी तरह की है। प्रदूषण से बचाव करते रहना सभी के लिए आवश्यक है। हवा को साफ रखन के प्रयास किए जाने चाहिए। इनडोर पौधे लगाएं जिससे इसमें लाभ मिल सके। अपनी नाक और गले की सुरक्षा के लिए N95 मास्क का प्रयोग करें, खूब पानी पिएं और सांस के अभ्यास करें।
जिन लोगों को पहले से ही सांस की दिक्कत है, वह डॉक्टर द्वारा सुझाई दवाइयां समय पर लेते रहें। इसके अलावा इनडोर प्रदूषण को कम करने के लिए कमरे में वेंटिलेशन का ध्यान रखें।
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