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जजों की उम्र से ज्यादा समय से लंबित पड़े हैं भारतीय अदालतों में केस - Prakhar Prahari
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जजों की उम्र से ज्यादा समय से लंबित पड़े हैं भारतीय अदालतों में केस

दिल्लीः चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की उम्र जितनी है, उससे ज्यादा समय से न्यायालय में केस पेंडिंग हैं। आपको बता दें कि मौजूदा सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की उम्र 63 साल है। वहीं अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक देश का सबसे पुराना पेंडिंग केस 69 साल पुराना है। यह मामला 18 मई, 1953 को महाराष्ट्र के रायगढ़ में दर्ज किया गया था।

आपको बता दें कि 2022 के आखिरी दिन देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ ने आंध्र प्रदेश में कहा था कि देश के ज्यूडिशियल सिस्टम को तारीख पे तारीख वाली छवि बदलने की जरूरत है। CJI के इस कमेंट की वजह देश की अदालतों में करोड़ों पेंडिंग केस हैं।

महाराष्ट्र के रायगढ़ में दर्ज किया गया केस ही नहीं देश के कई सिविल और क्रिमिनल केस तब दाखिल किए गए थे, जब सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा 27 जजों में से किसी का जन्म तक नहीं हुआ था। आपको बता दें कि इस समय सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी सबसे सीनियर हैं। उनका जन्म 15 मई, 1958 को हुआ था। यानी सबसे सीनियर जज का जन्म भी इस केस के दाखिल होने के पांच साल बाद हुआ था।

आपराधिक मामले में 69 साल से फैसले का इंतजारः महाराष्ट्र के रायगढ़ में पुलिस ने 18 मई 1953 को नशीले पदार्थ रखने के मामले में केस दर्ज किया था। महाराष्ट्र निषेध अधिनियम 1949 की धारा 65-E के इस मामले में उसी साल रायगढ़ के फर्स्ट क्लास ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया। इस मामले में दोषी पाए जाने पर तीन साल जेल और 25 हजार रुपये जुर्माने से लेकर पांच साल की जेल और 50 हजार रुपए जुर्माना किया जा सकता है।

नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड के आंकड़ों से पता चलता है कि यह केस 9 फरवरी 2023 को सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है। इस रिकॉर्ड में इसका जिक्र नहीं है कि 69 साल पुराने केस का आरोपी अब जिंदा है या नहीं। अगर आरोपी जिंदा भी होगा, तो बुजुर्ग हो चुका होगा।

66 साल से चल रहा है चोरी का केसः महाराष्ट्र के ही रायगढ़ में 25 मई 1956 को एक चोरी का मामला दर्ज हुआ था। इसमें मालिक की संपत्ति चोरी करने के मामले में धारा 381 के तहत क्रिमिनल केस दाखिल हुआ था। इसमें दोषी साबित होने पर सात साल की जेल की सजा सुनाई जा सकती है। यह मामला अभी भी फर्स्ट क्लास ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में चल रहा है।

70 साल से संपत्ति विवाद में फैसला नहीः पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में 3 अप्रैल 1952 को दायर हुए केस का भी अभी तक फैसला नहीं आया है। पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे का यह मामला मालदा के सिविल कोर्ट में दायर हुआ था। केस के 66 साल बाद 2018 में कोर्ट को बताया गया कि इस मामले के फरियादी नंबर 4 की मौत हो गई है। इसके बाद जज ने उसकी पत्नी और तीन बच्चों को पार्टी बनाने का आदेश दिया। तब से इस केस में कोई प्रगति नहीं हुई।

फैसले का 70 साल से इंतजार कर रहा है सिविल केसः देश का दूसरा सबसे पुराना सिविल केस भी मालदा के सिविल कोर्ट में ही है। इस मामले में 18 जुलाई 1952 को पार्वती रॉय ने बिप्रचरण सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। इस केस में 2018 में सुलह की कोशिश हुई। तब से सिविल कोर्ट में मामला इसके नतीजों पर रिपोर्ट के इंतजार में रुका हुआ है।

 

ट्रायल कोर्ट्स में पेंडिंग हैं 4.34 करोड़ केसः देश की विभिन्न निचली अदालतों में में कुल 4.34 करोड़ केस लंबित हैं। सबसे ज्यादा केस उत्तर प्रदेश 1.09 करोड़ में पेंडिंग हैं, इसके बाद दूसरा स्थान महाराष्ट्र का है, जहां 49.34 लाख केस पेंडिंग हैं। आंकड़े बताते हैं कि निचली अदालतों में पेंडिंग 70 हजार 587 क्रिमिनल केस 30 साल से ज्यादा पुराने हैं। वहीं, 36 हजार 223 सिविल केस 30 साल से ज्यादा वक्त से पेंडिंग हैं। ऊपर दिए ग्राफिक को देखें तो पता चलता है कि निचली अदालतों में पांच साल या इससे ज्यादा समय से पेंडिंग केसेस की संख्या करीब साढ़े तीन करोड़ के आसपास है।

कलकत्ता हाई कोर्ट में सिविक से 71 साल से जारी है सुनवाईः कलकत्ता हाई कोर्ट के रिकॉर्ड में सबसे पुराना सिविल केस 1951 से चल रहा है। वहीं सबसे पुराने क्रिमिनल केस में 1969 से फैसले का इंतजार है। देश के 25 हाई कोर्ट्स में सिविल और क्रिमिनल केस मिलाकर करीब 60 लाख मामले लंबित हैं। इनमें 51 हजार 846 सिविल केस और 21 हजार 682 क्रिमिनल केस 30 साल से ज्यादा वक्त से चल रहे हैं।

आपको बता दें कि केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में बताया था कि पिछले 10 साल में सिविल और क्रिमिनल पेंडिंग केस की संख्या जिला स्तर पर 34 लाख से ज्यादा और हाई कोर्ट में 12.5 लाख से ज्यादा है। सुप्रीम कोर्ट में कुल 11 हजार मामले पेंडिंग हैं।

उन्होंने बताया था कि जनवरी से सितंबर 2022 के पीरियड में देशभर की निचली अदालतों ने 1.76 करोड़ से ज्यादा मामलों का निपटारा किया है। हाई कोर्ट ने लगभग 15 लाख, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2022 तक 29 हजार से ज्यादा मामले निपटाए।

 

 

 

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