देहरादूनः उत्तराखंड के जोशीमठ में असुरक्षित भवनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यहां अब तक कुल 678 भवन चिह्नित किए जा चुके हैं। सीबीआरआई (CBRI) यानी केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान की टीम ने सोमवार को मलारी इन और माउंट व्यू होटल का सर्वे किया था। आज इन दोनों होटलों से भवनों को ढहाने की शुरुआत होगी। इन होटलों को अत्यधिक क्षति पहुंची है।
उधर, मंलवार की देर शाम आक्रोशित लोग माउंट व्यू होटल के सामने धरने पर बैठ गए। इसके बाद लोगों ने सरकार तथा एनटीपीसी के नारे लगाते हुए जाम लगा दिया। लोगों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक मुआवजा तय नहीं होगा, तब तक वे होटल टूटने नहीं देंगे।
आपको बता दें कि जोशीमठ भू धंसाव के बारे में अब तक कई रिपोर्ट आ चुकी हैं, लेकिन आज तक इसकी कोई तकनीकी जांच नहीं हुई। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा के मुताबिक, पहली बार इसकी तकनीकी जांच होने जा रही है। यानी जोशीमठ क्यों धंस रहा है, इसके कारणों का पता अब भूगर्भ विज्ञानी अपनी जांच में लगाएंगे।
उन्होंने बताया कि अभी तक जोशीमठ भूस्खलन के बारे में जितने भी रिपोर्ट आई हैं, वे बाहर की परिस्थितियों के आधार पर आई हैं। लेकिन इसका वैज्ञानिक और तकनीकी कारण क्या है, इस बारे में पहली बार जांच होने जा रही है। इस कार्य के लिए जियो टेक्निकल और जियो फिजिकल सर्वे कराया रहा है। आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञ यह पता लगाएंगे कि जोशीमठ की धारण क्षमता कितनी है। राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की की टीम क्षेत्र में ड्रेनेज की मैपिंग, पानी के नमूनों की जांच और स्रोत का पता लगाएगी। राष्ट्रीय भू भौतिकी अनुसंधान संस्थान जियो फिजिकल सर्वे की जांच करेगी। साथ ही जोशीमठ में हो रहे मिट्टी कटाव और टो कटिंग भी जांच होगी।
जोशीमठ में सरकार जल निकासी (ड्रेनेज) सिस्टम बनाएगी। सचिव आपदा प्रबंधन के मुताबिक, अगस्त महीने में जोशीमठ में जांच करके लौटी विशेषज्ञ टीम की सिफारिश पर जांच सिंचाई विभाग कार्यदायी एजेंसी के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। ये निविदा 20 जनवरी को खुलनी थी। लेकिन अब यह 13 जनवरी को खुलेगा। ये कार्य सिंचाई अनुसंधान संस्थान(आईआरआई) कराएगा।
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) के वैज्ञानिक जोशीमठ में भू-धंसाव की जद में आए लोगों के लिए सुरक्षित जमीन की फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करेंगे। केंद्र सरकार के निर्देश पर संस्थान ने पांच वैज्ञानिकों की टीम गठित कर दी है, जो मंगलवार को जोशीमठ रवाना होगी।
जीएसआई के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉक्टर प्रसून जाना ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से गठित विशेषज्ञों की टीम में संस्थान के वैज्ञानिक पहले से ही सहयोग कर रहे हैं। लेकिन, अब विस्थापन के लिए सुरक्षित जमीन की तलाश के लिए भी जीएसआई के पांच वैज्ञानिकों की टीम बनाई गई है।
टीम सरकार की ओर से उपलब्ध कराई गई जमीनों का वैज्ञानिक पहलुओं से अध्ययन कर फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करेगी। टीम यह बताएगी कि जिस जमीन पर विस्थापितों को नए सिरे से बसाया जाना है, वह प्राकृतिक आपदा के लिहाज से कितना सुरक्षित है। बताया कि वह केंद्र सरकार, पीएमओ और राज्य सरकार के लगातार संपर्क में हैं। इस आपदा से निपटने के लिए राज्य सरकार को जो भी तकनीकी मदद चाहिए, वह मुहैया कराई जाएगी। इस संबंध में विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर ली गई है।
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