देहरादूनः हमारी आंखों के सामने ही हमारी दुनिया उजड़ रही है, इसे बचा लीजिए। हमें अपने घरों में रहने में डर लग रहा है। उत्तराखंड के जोशीमठ शहर निवासियों ने सूबे के मुखिया पुष्कर सिंह धामी को देखते ही फफक पड़े। दरअसर जोशीमठ धंस रहा है और शहर के मकानों में दरारें आ रही हैं। लोगों के सामने उनका घर-संसार बचाने की चेतावनी है।
अपने आशियाने को खोने का यहां के लोगों का दर्द उस समय सामने आया, जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोशीमठ पहुंचे। लोग उनके सामने बिलखकर रोने लगे। महिलाओंने उन्हें घेर लिया। वे बोलीं कि हमारी आंखों के सामने ही हमारी दुनिया उजड़ रही है, इसे बचा लीजिए। हमें अपने घरों में रहने में डर लग रहा है।
सीएम धामी के सामने अपना दर्द बयां करने के लिए लोग इतने बेकाबू हो रहे थे कि सुरक्षाकर्मियों के लिए उन्हें संभालना भी मुश्किल हो रहा था। इस दौरान धामी ने प्रभावितों से कहा कि उत्तराखंड सरकार हर मुश्किल में उनके साथ खड़ी है। धामी ने जोशीमठ में डेंजर जोन वाले इलाकों में बने मकानों को तुरंत खाली कराने को कहा। इधर, चमोली जिला प्रशासन ने बताया कि जोशीमठ के 09 वार्डों के 603 भवनों में अब तक दरारें आई हैं। 55 परिवारों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है।
जोशीमठ के 561 घरों में दरारें आ गई हैं। राज्य आपदा प्रबंधन के अधिकारियों और विशेषज्ञों की टीम ने जोशीमठ में प्रभावित क्षेत्रों में डोर-टु-डोर सर्वे शुरू किया। खतरनाक मकानों में रह रहे 600 परिवारों को प्रशासन ने तत्काल शिफ्ट करने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री राहत कोष से उन्हें 6 महीने तक किराये के तौर पर हर महीने 4 हजार रुपए दिए जाएंगे।
वहीं, ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल की है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि पिछले एक साल से जमीन धंसने के संकेत मिल रहे थे। सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया गया। ऐतिहासिक, पौराणिक और सांस्कृतिक नगर जोशीमठ खतरे में हैं।
दरअसल उत्तराखंड का जोशीमठ धंस रहा है। यहां के 561 घरों में दरारें आ गई हैं। 4,677 वर्ग किमी में फैले इलाके से करीब 600 परिवारों को निकालने का काम चल रहा है। करीब 5 हजार लोग दहशत में हैं। उन्हें डर है कि उनका घर कभी भी ढह सकता है। सबसे ज्यादा असर शहर के रविग्राम, गांधीनगर और सुनील वार्ड में है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जोशीमठ के मकानों में दरार आने की शुरुआत 13 साल पहले हो गई थी। हालात काबू से बाहर निकले तो NTPC पॉवर प्रोजेक्ट और चार धाम ऑल वेदर रोड का काम रोकने के आदेश दे दिए गए। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ब्लास्टिंग और शहर के नीचे सुरंग बनाने की वजह से पहाड़ धंस रहे हैं। अगर इसे तुरंत नहीं रोका गया, तो शहर मलबे में बदल सकता है।
हिमालय के इको सेंसेटिव जोन में मौजूद जोशीमठ बद्रीनाथ, हेमकुंड और फूलों की घाटी तक जाने का एंट्री पॉइंट माना जाता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जोशीमठ की स्थिति क्यों संवेदनशील है। जोशीमठ की जियोलॉजिकल लोकेशन पर जारी रिपोर्ट्स में बताया गया है कि ये शहर इतना अस्थिर क्यों है। तो अब आपको इसके बारे में बताते हैं…
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