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31 मार्च 2023 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में सात प्रतिशत रह सकती है भारत की विकास दर, विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन से गत वर्ष की तुलना में 1.7 फीसदी की गिरावट - Prakhar Prahari
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31 मार्च 2023 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में सात प्रतिशत रह सकती है भारत की विकास दर, विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन से गत वर्ष की तुलना में 1.7 फीसदी की गिरावट

बिजनेस डेस्कः विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन से भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2022-23 में सात प्रतिशत रहने का अनुमान है। यानी 31 मार्च 2023 को खत्म होने वाले वित्तीय वर्ष में 7% की दर से बढ़ने की उम्मीद है। आपको बता दें कि गत वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत थी। इस तरह से इस साल देश की अर्थिक विकास दर में 1.7 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है।

एनएसओ (NSO) यानी राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान में यह संभावना जताई।  आपको बता दें कि 2022-23 के लिए नेशनल इनकम का यह पहला एडवांस एस्टिमेट बेहद जरूरी है। क्योंकि, इस डेटा का यूज 2023-24 के अगले वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र सरकार के बजट को तैयार करने में किया जाता है।

NSO ने कहा है कि 2021-22 में 8.7% की तुलना में 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7% बढ़ने की उम्मीद है। यह गिरावट मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के खराब प्रदर्शन के कारण आएगी।

एनएसओ ने कहा, ‘वर्ष 2022-23 में स्थिर (2011-12) कीमतों पर रियल GDP और GDP 157.60 ट्रिलियन रुपए अनुमानित है। जबकि, 31 मई 2022 को जारी वर्ष 2021-22 के लिए GDP का प्रोविजनल एस्टीमेट 147.36 ट्रिलियन रुपए था।’

एनएसओ (NSO) के मुताबिक ‘वित्त वर्ष-22 में 9.9% की ग्रोथ के मुकाबले मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का आउटपुट घटकर 1.6% रहने का अनुमान है। 2022-23 के दौरान नोमिनल GDP में ग्रोथ 2021-22 में 19.5% की तुलना में 15.4% अनुमानित है।

वित्त वर्ष 23 में ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्ट, संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाएं जैसी इंडस्ट्रीज के FY22 की तुलना में अनुमानित 13.7% के साथ सबसे तेजी से बढ़ने वाला सेक्टर होने की उम्मीद है।

इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले महीने चालू वित्त वर्ष के लिए देश के जीडीपी (GDP) यानी सकल घरेलू उत्पाद के विकास के अनुमान को 7% से घटाकर 6.8% कर दिया था, जो कि जारी जियोपॉलिटिकल टेंशन और ग्लोबल फाइनेंशियल कंडीशंस के कड़े होने के कारण था।

RBI ने 2022-23 के लिए रियल GDP ग्रोथ 6.8%, तीसरी तिमाही में 4.4% और चौथी तिमाही में 4.2% रहने का अनुमान लगाया था। इसने दिसंबर 2022 में तीसरी बार 2022-23 के लिए विकास अनुमान को पार किया था।

इस साल की शुरुआत में अर्थशास्त्रियों ने इस वित्तीय वर्ष में भारत की विकास दर के लिए अपने अनुमानों को लेटेस्ट गवर्नमेंट प्रोजेक्शन के आसपास तक घटा दिया था। तब उन्होंने एक्सपोर्ट्स में कमी और हाई इन्फ्लेशन के जोखिम से परचेसिंग पावर में कमी का हवाला दिया था।

इसके बावजूद इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, केवल सऊदी अरब को छोड़कर G-20 देशों के बीच भारत के दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी बने रहने की उम्मीद है।

क्या है GDP: सकल घरेलू उत्पाद (GDP) किसी एक साल में देश में पैदा होने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कुल वैल्यू को कहते हैं। यह  किसी देश के आर्थिक विकास का सबसे बड़ा पैमाना है। अधिक GDP का मतलब है कि देश की आर्थिक बढ़ोतरी हो रही है, अर्थव्यवस्था ज्यादा रोजगार पैदा कर रही है। इससे यह भी पता चलता है कि कौन से सेक्टर में विकास हो रहा है और कौन सा सेक्टर आर्थिक तौर पर पिछड़ रहा है।

क्या है GVA:  ग्रॉस वैल्यू ऐडेड यानी जीवीए, साधारण शब्दों में कहा जाए तो GVA से किसी अर्थव्यवस्था में होने वाले कुल आउटपुट और इनकम का पता चलता है। यह बताता है कि एक तय अवधि में इनपुट कॉस्ट और कच्चे माल का दाम निकालने के बाद कितने रुपए की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हुआ। इससे यह भी पता चलता है कि किस खास क्षेत्र, उद्योग या सेक्टर में कितना उत्पादन हुआ है।

नेशनल अकाउंटिंग के नजरिए से देखें तो मैक्रो लेवल पर GDP में सब्सिडी और टैक्स निकालने के बाद जो आंकड़ा मिलता है, वह GVA होता है। अगर आप प्रोडक्शन के मोर्चे पर देखेंगे तो आप इसको नेशनल अकाउंट्स को बैलेंस करने वाला आइटम पाएंगे।

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