दिल्लीः पिछले 11 दिन में दिल्ली तीसरी बार हिली। गुरुवार को दिल्लीदिल्ली-एनसीआर (NCR) यानी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र  और जम्मू- कश्मीर में 7:56 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.9 मापी गई। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक इसका केंद्र अफगानिस्तान के फैजाबाद से 79 किलोमीटर दूर हिंदू कुश इलाके में था। ​​​​​​​

आपको बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नए साल के पहले दिन यानी रविवार देर रात भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। उस दिन राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने बताया था कि देर रात 1:19 बजे महसूस किए गए भूकंप की तीव्रता 3.8 थी और केंद्र हरियाणा के झज्जर में धरती की सतह से पांच  किमी की गहराई में था। हालांकि इसमें कोई नुकसान नहीं हुआ था।

इससे पहले 29 नवंबर को दिल्ली हिली थी। उस दिन दिल्ली-एनसीआर में 2.5 तीव्रता के झटके महसूस किए गए थे। उस समय भूकंप का केंद्र दिल्ली का पश्चिमी इलाके में धरती की सतह से पांच किलोमीटर नीचे था।

नवंबर को दिल्ली-NCR और उत्तराखंड में 12 नवंबर को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। भूकंप आने के बाद लोग घरों और दफ्तरों से बाहर आ गए थे। तब दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, बिजनौर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।

भारत के पड़ोसी मुल्क में दो मिनट छह सेकेंड तक भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। पाकिस्तान के जर्नलिस्ट मंसूर अली खान ने ट्वीट कर कहा कि इस्लामाबाद में भूकंप के झटके काफी तेज थे। लाहौर में इनका असर काफी कम था। पाकिस्तानी सेना के हेडक्वॉर्टर रावलपिंडी में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। उज्बेकिस्तान और अफगानिस्तान में भी इसका असर देखा गया है। अब तक किसी नुकसान की खबर नहीं है। भूकंप की तीव्रता 5.5 बताई गई है। पाकिस्तान से मिल रही खबरों के मुताबिक झटके 2 मिनट 6 सेकेंड तक महसूस किए गए। हालांकि इनकी तीव्रता एक जैसी नहीं थी और ये कम होती गई।

इब आपको दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के असर के बारे में जानकारी देते हैं… राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में तीन फॉल्ट लाइन हैं। आपको बता दें कि जहां फॉल्ट लाइन होती है, वहां पर भूकंप का एपिसेंटर बनता है। दिल्ली-एनसीआर में जमीन के नीचे दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइन, मथुरा फॉल्ट लाइन और सोहना फॉल्ट लाइन हैं। भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक भूकंप की असली वजह टेक्टोनिकल प्लेटों में तेज हलचल होती है।

इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। रिक्टर स्केल पर 2.0 या 3.0 तीव्रता का भूकंप हल्का होता है, जबकि 6 तीव्रता का मतलब शक्तिशाली भूकंप होता है।

अब बात अगर पूरे भारत की करें, तो देश को भूकंप के चार जोन में बांटा गया है। इसकी वजह यह है कि भारत में भूकंप का खतरा हर जगह पर है। इसी के हिसाब से देश को चार हिस्सों में बांटा गया है, जैसे जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5। आपको बता दें कि सबसे कम खतरे वाला जोन-2 है, तथा सबसे ज्यादा खतरे वाला जोन-5 होता है। अब आपको बताते हैं कि किस जोन में देश का कौन सा हिस्सा है…

 

जोन-1 : पश्चिमी मध्यप्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और उड़ीसा के हिस्से आते हैं। यहां भूकंप का सबसे कम खतरा है।

जोन-2 : तमिलनाडु, राजस्थान और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा। यहां भूकंप की आशंका रहती है।

जोन-3 : केरल, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी गुजरात, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा आता है। इस जोन में भूकंप के झटके आते रहते हैं।

जोन-4 : मुंबई, दिल्ली जैसे महानगर, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी गुजरात, उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश के पहाड़ी इलाके और बिहार-नेपाल सीमा के इलाके शामिल हैं। यहां भूकंप का खतरा बना रहता है।

जोन-5 : भूकंप के लिहाज से ये सबसे खतरनाक इलाका है। इसमें गुजरात का कच्छ इलाका, उत्तरांचल का एक हिस्सा और पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्य शामिल हैं।

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