दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कंझावला में 31 दिसंबर की रात घटित हुई घटना को लेकर गुरुवार को दिल्ली पुलिस ने 2 बड़े खुलासे किए। पहला- आरोपी 5 नहीं, बल्कि 7 हैं। दो नए आरोपी आशुतोष और अंकुश खन्ना की तलाश की जा रही है। दूसरा- आरोपियों का मृतक लड़की अंजलि और चश्मदीद निधि के साथ पुराना कनेक्शन नहीं है।
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को पीसी की और खुलासा किया किया कि इस घटना में 5 नहीं बल्कि 7 लोग शामिल हैं। बाकी दो लोगों को पकड़ने के लिए पुलिस छापामारी कर रही है। इस बीच, पुलिस अभी इस घटना को दुर्घटना के एंगल से ही जांच कर रही है। दिल्ली पुलिस ने कहा कि वह इस घटना पर पुख्ता सबूत एकत्र करने में लगी है. ताकि अदालत के सामने कोई खामी नहीं रह जाए। दिल्ली पुलिस ने बताया कि मृतक अंजलि के दोस्त निधि का बयान कोर्ट के सामने दर्ज हो चुका है। हालांकि, पुलिस अभी कई और चीजें अंजलि से जानने की कोशिश कर रही है।
दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर (लॉ एंड ऑर्डर) सागर प्रीत हुड्डा ने आज बताया कि जो आरोपी हैं और जो मृतक हैं उनका कोई लिंक नहीं मिला है। इसके अलावा आरोपी और प्रत्यक्षदर्शी के बीच भी कोई पुराना कनेक्शन नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि मृतका के पोस्टमार्टम में यौन उत्पीड़न का कोई सबूत नहीं मिला है। उन्होंने बताया यह घटना 31 दिसंबर की रात 2.04 से 2.06 बजे के बीच हुई थी। पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि ये 304 का फिट केस है। इसमें आरोपी को ये मालूम होता है कि मैं ऐसी गाड़ी करूंगा तो किसी की मौत हो सकती है। या गाड़ी को आगे ले जाऊंगा तो किसी इंसान की मौत हो जाएगी। ये जानकारी है आरोपियों को, इसमें कोई शक नहीं है इसीलिए हमने 304 का सेक्शन लगाया है।
हुड्डा ने बताया कि इस घटना की जांच के लिए दिल्ली पुलिस की 18 टीमें लगी हुई हैं। उन्होंने बताया कि अभी कई अहम चीजें बची हुई हैं। हमारी कुछ रिपोर्ट आनी हैं। इसके बाद कानूनी राय ली जाएगी। डीसीपी खुद एसआईटी को हेड कर रहे हैं। डीसीपी द्वारका भी इस मामले में सहयोग कर रहे हैं।
पुलिस ने बताया कि जो दो नए नाम हैं उसमें से एक आरोपी का भाई है। चूंकि गाड़ी अमित चला रहा था और उसके पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं था तो उसके भाई ने जांच को भटकाने के लिए दीपक से गाड़ी चलवाने की बात कहवाई थी। तो पुलिस की जांच भटकाने के आरोप में गांड़ी के मालिक को भी इसमें शामिल किया गया है। पुलिस उन्हें पकड़ने के लिए छापे मार रही है। हुड्डा ने बताया गाड़ी के मालिक को मालूम था कि गाड़ी दीपक लेकर नहीं गया था।
स्पेशल सीपी हुड्डा ने बताया कि निधि के जरिए हम प्रत्यक्षदर्शी तक पहुंचे हैं। सीसीटीवी और होटल के रिकॉर्ड और सबूत है। निधि इस केस में अहम गवाह है। कुछ बातें हमारे दिमाग में भी हैं। हम उसपर काम कर रहे हैं। आखिर निधि ने इस घटना की जानकारी क्यों नहीं दी। क्या ट्रामा इसका कारण है या कोई दूसरी वजह भी हो सकती है। जबतक हम चार्जशीट फाइल नहीं कर लेते हैं तबतक सारी चीजें जारी रहेंगी।
पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने ये नृशंस अपराध किया है, जिन्होंने आरोपियों को बचाने की कोशिश की है, उन्हें भी गिरफ्तार किया जाएगा। इसके बाद जांच आगे बढ़ेगी। जिस तरह से डिटेल आ रही है। जांच में बयानों के माध्यम से पता चल रहा है, ये घटना काफी क्रूर है। इसके लिए सही मायने में अंजलि को न्याय मिल सके हम सख्त से सख्त सबूत एकत्र कर रहे हैं। जिससे हम सही सेक्शन चार्जशीट तैयार कर सकें। उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी इसपर चर्चा कर रहे हैं, कानूनी राय भी ली जा रही है। किसी तरह भी ये केस खराब नहीं हो, लूपहोल नहीं रह जाए। हुड्डा ने बताया कि सेक्शन 302 लगना या 304 लगना ये कानून का मैटर है। बिना सबूत के ये नहीं हो सकता है। मर्डर के लिए एक इंटेशन होना जरूरी होती है, अभी तक हम इस स्टेज तक नहीं पहुंचे हैं कि आरोपी और पीड़ित का कहीं कोई कनेक्शन नहीं मिला है। आरोपी और प्रत्यक्षदर्शियों का कनेक्शन नहीं मिला है। दिल्ली पुलिस ने बताया कि जब कोई हादसा होता है तो उसका कोई मोटिव होता है। अगर कोई इंटेशन न हो तो 302 सेक्शन लगाना बहुत मुश्किल होता है। पुलिस को कानून के हिसाब से काम करना होता है। 304 के लिए ये फिट केस है पर उसके लिए भी हमें काफी सबूत जुटाना है।