छपरौलीः कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को मीडिया और सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि मैं जहां जाता हूं, कहता हूं प्रेस के मित्रों, लेकिन ये मित्रों का काम नहीं करते। हमारा छोड़ो, जनता की बात नहीं करते ये। ये चीते दिखाते हैं। हम जब पार्लियामेंट में बोलने की कोशिश करते हैं, तो वे माइक बंद कर देते हैं। आपको बता दें कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का बुधवार को उत्तर प्रदेश में दूसरा दिन है। राहुल की यात्रा बुधवार को बागपत होते हुए शाम को बड़ौत के छपरौली चुंगी पहुंची, जहां पर उन्होंने सभा को संबोधित किया।
केरल के वायनाड से सांसद राहुल ने कहा, “एक तरफ मीडिया आवाज नहीं उठाती, दूसरी तरफ वे माइक बंद कर देते हैं, तो हमने सोचा कि चलो जनता की बात सुनते हैं। 3000 किमी यात्रा कर चुका हूं। मगर कोई थकान नहीं। आप मेरा चेहरा देखो। मुझे ठंड भी नहीं लग रही, न थकान है।“
उन्होंने कहा कि मैं यात्रा में चल रहा हूं, मैं टीशर्ट में हूं, मेरे साथ किसान गरीब के बच्चे चलते हैं। वे फटी टीशर्ट में चलते हैं, लेकिन मीडिया ये सवाल नहीं पूछता कि किसान बिना जैकेट में क्यों घूम रहा? सवाल ये है कि हिंदुस्तान के बच्चे सर्दी में टीशर्ट में क्यों घूम रहे हैं। दरअसल मीडिया पर लगाम है। जैसे ही ये दौड़ने की कोशिश करते हैं, वे लगाम कस देते हैं। मुझे मीडिया वाले बताते हैं कि राहुल जी हम सच्चाई बोलना जानते हैं, लेकिन बोल नहीं पाते।”
उन्होंने कहा, “यात्रा का लक्ष्य देश में नफरत, हिंसा को मिटाने का है। बीजेपी की पॉलिसी हिंदुस्तान के युवाओं, मजदूरों को डराने की है। नोटबंदी, GST लोगों को डराने के लिए है। डरो मत…ये बात समझ लो ये मेरा डायलॉग नहीं, ये शिवजी का डायलॉग है।”
राहुल ने कहा, “अरबपतियों का लाखों करोड़ों का कर्जा माफ कर देंगे और किसान का कर्जा माफ नहीं कर सकते। यूपी के किसान UPA सरकार में हमारे पास आए। 10 दिन में 70 हजार करोड़ कर्जा माफ किया हमने। हम डर को मिटाने की राजनीति करते हैं।“
उन्होंने कहा कि UPA की सरकार में मोदी जी 400 रुपए के गैस सिलेंडर पर चिल्लाते थे। आज 1100 का सिलेंडर है। ये 700 रुपए का अंतर किसी की जेब में जा रहा है। मोदी के 3-4 खास मित्रों की जेब में इस सिलेंडर का पैसा जा रहा है। पेट्रोल के 60 रुपए अंतर का पैसा भी मोदी के मित्रों की जेब में जा रहा है। हमारा दूसरा मुद्दा महंगाई है। तीसरा मुद्दा बेरोजगारी है। आज युवा इंजीनियरिंग, डॉक्टरी करके मजदूरी कर रहे हैं। आलू के पकौड़े बना रहे हैं।”
कांग्रेस सांसद ने कहा, “एक रास्ता अग्निवीर था युवाओं के लिए। सुबह 4 बजे युवा उठते थे, दौड़ते थे। सपना बॉर्डर पर जाकर रक्षा करने का था। युवा 15 साल सेना में सेवा कर सकता था। मोदी जी ने 6 महीने ट्रेनिंग करो, बंदूक पकड़ो और 4 साल बाद जूता मारकर बेरोजगार करने की स्कीम ला दी। युवाओं ने जब विरोध किया तो मोदी ने कहा कि अगर तुम्हारी फोटो ले ली गई तो तुम्हें सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी।
एयरपोर्ट, पोर्ट, रेलवे, BHAL.. सब उनके हाथ में जाएगा और युवा बेरोजगार होंगे। ये है नरेंद्र मोदी के सपनों का भारत। और हम इसका विरोध करते हैं। आपने जो प्यार दिया, मैं इसके लिए जिंदगी भर आभारी हूं।”
उधर, राहुल की भारत जोड़ो यात्रा का समर्थन करने के लिए 86 साल की शूटर दादी प्रकाशी तोमर भी बागपत पहुंची हैं। आपको बता दें कि फिल्म सांड की आंख इन्हीं दादी बहनों पर आधारित है। प्रकाशी तोमर ने कहा, “राहुल गांधी बढ़िया काम कर रहे हैं। उन्हें आशीर्वाद देने आई हूं कि वे प्रधानमंत्री बनें।
उन्होंने कहा कि मैं चौधरी चरण सिंह, उनकी पत्नी गायत्री देवी, सोनिया गांधी से भी पहले मिल चुकी हूं। राहुल गांधी से करीब 15 साल पहले मिली थी। तब उन्होंने बागपत में घर पर आकर मक्का की रोटी और साग खाने का वादा किया था। आज उनको पुरानी बातें भी याद दिलाने आई हूं। वे समाज को जोड़ने का काम कर रहे हैं, उन्हें मेरी शुभकामनाएं।
इससे पहले, कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा बागपत के मवी कलां से शुरू हुई। यहां पर सबसे पहले तिरंगा फहराने के साथ राष्ट्रगान, फिर आतिशबाजी हुई। राहुल की यात्रा में बुधवार को राष्ट्रीय लोक दल के कार्यकर्ता भी शामिल हुए। यूपी में यह पहला राजनीतिक दल है जो ऑफिशियल तौर पर यात्रा में शामिल हुआ। रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने UP में इस यात्रा के पहले दिन सोमवार को ट्वीट करके कहा,”तप कर ही धरती से बनी ईंट छू लेती है आकाश। भारत जोड़ो यात्रा के तपस्वियों को सलाम। देश के संस्कार के साथ जुड़कर उत्तर प्रदेश में भी चल रहा यह अभियान सार्थक हो और एक सूत्र में लोगों को जोड़ते रहें।”
48 किलोमीटर की यह यात्रा शामली के एलम में नाइट स्टे करेगी। आपको बता दें कि यह कस्बा पलायन के लिए चर्चित रहे कैराना से 15 किमी दूर है। कल यानी 5 जनवरी को सुबह यात्रा कैराना पहुंचेगी। हालांकि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा का कैराना में ही बुधवार को नाइट स्टे का कार्यक्रम था। हालांकि वहां इतनी बड़ी जगह नहीं मिल पाई, जहां सभी 60 कंटेनर और 10 हजार कार्यकर्ताओं के रुकने का इंतजाम हो सके। इसके बाद कैराना से पहले ही एलम में नाइट स्टे का कार्यक्रम रखा गया।
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