रायपुरः छत्तीसगढ़ में एक पुलिस अधीक्षक को पीटने का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है। य वीडियो छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले की है और 02 जनवरी की है। इस वीडियो में आदिवासी महिलाएं नारायणपुर के SP को पीटती नजर आ रही है और SP भागते दिख रहे हैं। वहीं महिलाओं के साथ भीड़ उनका पीछा करती रही।
यह पूरा पूरा मामला छत्तीसगढ़ में ईसाई मिशनरी और आदिवासियों के बीच टकराव है। बताया जा रहा है कि ईसाई मिशनरी कथित रूप से धर्मांतरण कर रही है। नाराज भीड़ ने पहले चर्च में तोड़फोड़ की। इसके बाद यह टकराव हिंसा में तब्दील हुआ। भीड़ ने पुलिस पार्टी पर हमला किया, जिसमें SP का सिर फूट गया।
हिंसा और बवाल के बीच सवाल यह है कि आखिरकार जब भीड़ SP पर हमला कर रही थी, तो पुलिस ने बल प्रयोग क्यों नहीं किया। जब हमने इस सवाल का जवाब खोजा, तो तीन अहम वजह सामने आईं…
आपको बता दें कि आदिवासियों की रक्षा के लिए सख्त कानून है। अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) एक्ट 1989 के तहत पहले शिकायत होने पर FIR के बगैर गिरफ्तारी का प्रावधान है। गिरफ्तारी के लिए पहले से मंजूरी लेने की जरूरत भी नहीं होगी। इसके तहत CRPC की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत भी नहीं दी जा सकती।
ऐसे मामलों में केवल कोर्ट यह तय कर सकता है कि मामला कायम करने में कानून की धारा 18-ए के तहत किसी के मौलिक अधिकारों का ध्यान रखा गया है या नहीं। साथ ही केवल कोर्ट ही तय कर सकता है कि ऐसे मामलों में जीने के अधिकार, समानता और स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन तो नहीं हुआ है। यानी पुलिस के पास मामला पहुंचने पर गिरफ्तारी तय है।
सोशल मीडिया में नारायणपुर के जो वीडियो वायरल हो रहे हैं उनमें पुलिस भीड़ के सामने डिफेंसिव ही नजर आ रही थी। यहां तक कि भीड़ में शामिल लोगों के पास लाठी-डंडे थे, उन पर भी पुलिस ने बल प्रयोग नहीं किया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि ऐसे हालात इसलिए बने कि सरकार की तरफ से आदिवासियों पर बल प्रयोग न करने के निर्देश मिले थे। ऐसे में जब भीड़ हमलावर हो गई, तब भी पुलिस खुद को बचाने के लिए भागती नजर आई।
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ समेत देश के 10 राज्यों में 2023 के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। छत्तीसगढ़ में राज्य की कुल 90 विधानसभा सीटों में से 29 आदिवासियों (ST) के लिए रिजर्व हैं। चुनाव से चंद महीने पहले कोई भी राजनीतिक पार्टी राज्य की एक तिहाई सीटों के नतीजे तय करने वाले आदिवासी समुदाय की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहेगी। यह भी एक वजह है कि इस मामले में नाराज आदिवासी लोगों पर सख्ती नहीं बरती गई।
क्या है पूरा मामलाः छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में विवाद शनिवार रात कथित धर्म परिवर्तन से गुस्साए कुछ लोग गोर्रा गांव में हथियार और लाठी-डंडा लेकर घुस गए। रविवार को भी दो पक्षों में मारपीट हुई। इसके बाद आदिवासी समाज ने बैठक बुलाई और दूसरे पक्ष पर जबरदस्ती धर्मांतरण करने का आरोप लगाया। इसी दौरान हिंसा भड़क गई।
भीड़ ने स्थानीय चर्च में तोड़फोड़ की। हालात काबू में करने पुलिस पहुंची, तो प्रदर्शनकारियों ने उस पर भी हमला कर दिया। इसी घटना में नारायणपुर SP का सिर फट गया। इससे पहले, रविवार को आदिवासी समाज और दूसरे पक्ष के लोगों में झड़प हुई थी। हिंसक भीड़ ने ऐंड़का थाने के TI पर हमला कर दिया था।
कानून-व्यवस्था को कायम रखने के लिए काफी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। आपको बता दें कि नारायणपुर जिला में शांति नगर इलाके में ज्यादातर ईसाई समुदाय के लोग रहते हैं। ग्रामीणों की भीड़ इसी इलाके में घुसी। IG सुंदरराज पी समेत 4 आईपीएस ऑफिसर नाराज लोगों को समझाने वहां पहुंचे थे। कोंडागांव से अतिरिक्त पुलिस बल को भी बुलाया गया।
वहीं, धर्मातरण को लेकर छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में पिछले कई दिनों से माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। इस दौरान हमले और झड़प भी हुई हैं। इससे पहले 18 दिसंबर को ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासियों को उनके गांवों से निकाल दिया गया था, जिसके बाद से तनाव बना हुआ है।
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