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कभी फिल्म निर्माता-निर्देशकों की लगती थी लाइन, लड़कियां लिखती थी खून से खत, कभी अकेलापन में खूदकुशी के बारे में सोचने लगे थे काका, जानें राजेश खन्ना से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां - Prakhar Prahari
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कभी फिल्म निर्माता-निर्देशकों की लगती थी लाइन, लड़कियां लिखती थी खून से खत, कभी अकेलापन में खूदकुशी के बारे में सोचने लगे थे काका, जानें राजेश खन्ना से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां

मुंबईः जिसके बारे में एक कहावत मशहूर था ऊपर आका नीचे काका…जी हां हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना की, जिनकी एक झलक पाने के लिए लड़ियां बेचैन हो जाती थी। जिन्हें अपनी फिल्म में लेने के लिए निर्माता-निर्देशक लाइन लगाकर उनके घर के सामने खड़े होते थे। वह का एक समय अकेलापन से इस कदर हताश हो गए थे कि खुदकुशी करने के बारे में सोचने लगे थे। हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना की आज 80वीं बर्थ एनिवर्सरी है, जिन्हें प्यार से काका कहा जाता था। इनका स्टारडम इस कदर था कि बॉलीवुड में एक कहावत आम थी ‘ऊपर आका, नीचे काका’। यानी ऊपर भगवान और नीचे राजेश खन्ना, ये दो ही लोग पावरफुल हैं। देव आनंद के बाद राजेश खन्ना दूसरे फिल्मी सितारे थे, जिनके लिए लड़कियों में बेहद दीवानगी थी। 1970 के दशक में इनके बंगले पर लड़कियों के इतने खत आते थे कि उन्हें पढ़ने के लिए अलग से एक आदमी रखना पड़ा। इनमें कई खत खून से लिखे होते थे। काका यानी राजेश खन्ना के पास अधिकतर खत लड़कियों के आते थे। उनमें से कुछ खत तो खून से लिखे रहते थे।

अमृतसर में जन्मे राजेश खन्ना को गरीबी के कारण माता-पिता ने इन्हें अपने एक रिश्तेदार को गोद दे दिया था। फिल्मों में आने के लिए इन्होंने खूब कोशिशें कीं। एक टैलेंट हंट में 10 हजार लोगों को हराकर राजेश खन्ना कॉम्पिटिशन जीते और इसी के जरिए उन्हें दो फिल्में मिलीं। यहां से शुरू हुआ स्टारडम का सिलसिला ऐसा चला कि आज तक किसी दूसरे स्टार ने ऐसा खूबसूरत दौर नहीं देखा। करीब 20 साल बॉलीवुड पर अकेले राजेश खन्ना ही छाए रहे। अमिताभ की एंग्री यंग मैन इमेज वाली एंट्री के बाद इनका स्टारडम हिल गया। फिर, वह दौर भी आया जब राजेश खन्ना अकेले रह गए।

बॉलीवुड के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसंबर 1942 को अमृतसर में हुआ। उनका जन्म लाला हीरानंद खन्ना और चंद्ररानी खन्ना के घर हुआ। उनके एक बड़े भाई भी थे। राजेश खन्ना का पहला नाम जतिन खन्ना था।उनके पिता स्कूल टीचर थे। 1947 में जब देश का बंटवारा हुआ तो उस विभाजन में राजेश खन्ना के परिवार ने भारत को चुना और अमृतसर में बस गए।

देश विभाजन में उनके पिता की नौकरी चली गई, जिस वजह से उन्हें तंगी का सामना करना पड़ा। हालात इस कदर बदतर थे कि वह परिवार का पालन-पोषण नहीं कर पा रहे थे। इसी वजह से उन्होंने 6 साल के राजेश खन्ना को मुंबई में रहने वाले रिश्तेदार चुन्नी लाल खन्ना और लीलावती को सौंप दिया।

बचपन से राजेश खन्ना को काका नाम से बुलाया जाता था। पंजाबी भाषा में काका का मतलब छोटा बच्चा होता है। 10 साल में ही राजेश खन्ना थिएटर से जुड़ गए थे। उन्हें बोंगो और तबला बजाने में खासा दिलचस्पी थी। स्कूल के दिनों में जितेंद्र उनके बहुत अच्छे दोस्त थे। एक्टिंग से बहुत प्यार था तो वह कॉलेज के दिनों में भी थिएटर और स्टेज शोज से जुड़े रहे। साथ ही स्टेज शोज से कई अवॉर्ड्स भी अपने नाम किए।

अभिनेता राजेश खन्ना ने अंधा युग नाम के एक नाटक में सैनिक का किरदार निभाया, जिसे देख चीफ गेस्ट ने कहा था कि बेटा तुम्हें फिल्मों में काम करना चाहिए,  लेकिन पिता नहीं चाहते थे कि राजेश खन्ना फिल्मी दुनिया में कदम रखे।

पिता के मना करने के बाद भी वे नहीं माने, सिनेमा के लिए उनका लगाव कम नहीं हुआ। ये बात उन्होंने अपने मामा को बताई जिन्होंने फिल्मों के लिए उनका नाम बदलकर राजेश खन्ना रख दिया।

राजेश खन्ना को स्पोर्ट्स कारों का शौक था। वह ऑडिशन भी MG Sport कार से देने जाया करते थे। उस समय ऐसी कारों का कलेक्शन फिल्मी सितारों के पास भी नहीं होता था। जब वह ऑडिशन देने जाते थे तो उनकी कार वहां पार्क होती थी जहां कई फिल्मी सितारे और डायरेक्टर-प्रोड्यूसर की गाड़ियां खड़ी रहती थीं।

कभी-कभार जब राजेश खन्ना की मुलाकात किसी डायरेक्टर से होती थी तो वे कहते थे कि अगर आप जूनियर आर्टिस्ट का भी रोल मुझे दे देंगे तो मैं उसे भी पूरी शिद्दत से करुंगा,  लेकिन कोई भी उनकी बातों को तवज्जो नहीं देता था।

काका यानी राजेश खन्ना की पहली फिल्म आखिरी खत 1966 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म को 40वें ऑस्कर अवॉर्ड के बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म के तहत एंट्री मिली थी, लेकिन फिल्म नॉमिनेशन राउंड से बाहर हो गई थी। हालांकि राजेश खन्ना की पहली फिल्म फ्लॉप रही। 1967 में उनकी दूसरी फिल्म राज रिलीज हुई, जिसने बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई की। फिल्म का बजट 65 लाख था, जिसने इंडियन बॉक्स ऑफिस पर 1 करोड़ का कलेक्शन किया था।

राजेश खन्न की फिल्म फिल्म आराधना का टाइटल पहले वंदना था। ठीक इसी कहानी पर एक और फिल्म लिखी गई थी जिसका टाइटल एक श्रीमान, एक श्रीमती था। जब ये बात फिल्म आराधना के डायरेक्टर शक्ति सामंत को पता चली तो शुरुआत में उन्होंने फिल्म बनाने से मना कर दिया। हालांकि बाद में कहानी में कुछ बदलाव किए गए, डबल रोल का कान्सेप्ट लाया गया, जिसके बाद आराधना बनी।

फिल्म आराधना के गाने मेरे सपनों में कब आएगी तू गाना को लोगों ने खूब पसंद किया था, लेकिन क्या आपको पता है कि गाने में नजर राजेश खन्ना ने सड़कों पर शूटिंग की थी, वहीं शर्मिला टैगोर ने स्टूडियो में गाने के हिस्से को शूट किया था।

दरअसल, जब इस गाने को फिल्माया गया तो शर्मिला टैगोर किसी कारणवश शूटिंग सेट पर नहीं जा पाई थीं। इसी वजह से राजेश खन्ना के हिस्से को सड़क पर शूट कर लिया गया था। वहीं बाद में एक स्टूडियो में शर्मिला टैगोर के हिस्से को शूट गया था, जिसे बाद में एडिट करके दर्शकों के सामने लाया गया।

इसके बाद काका स्टार बन गए थे। राजेश खन्ना की लोगों के बीच में जबरदस्त दीवानगी थी। जहां वो फिल्मों की शूटिंग करते थे वहां पर फैंस उन्हें देखने के लिए पहुंच जाते थे, जिससे कभी-कभी हादसा भी हो जाता था।

एक किस्सा है फिल्म कटी पतंग की शूटिंग का, जब राजेश खन्ना शूटिंग के लिए नैनीताल गए थे। शूटिंग लोकेशन नैनी झील के आस-पास का था, इसलिए उस झील को 3 दिनों के लिए चारों तरफ से नाव से बांध दिया गया। वजह ये थी कि लोग उन्हें देखने के लिए बड़ी तादाद में वहां जरूर पहुंचेंगे, जिस वजह से हादसा होने का भी खतरा था।

काका के बार में दूसरा किस्सा है फिल्म अमर प्रेम से जुड़ा हुआ है। इस फिल्म के एक सीन की शूटिंग कोलकाता के हावड़ा ब्रिज के नीचे होनी जहां पर राजेश खन्ना को शर्मिला टैगोर के साथ बोट में नजर आना था।

बाद में वहां के अथॉरिटी ने इसके लिए परमिशन नहीं दी। अथॉरिटी का कहना था कि राजेश खन्ना को देखने के लिए हावड़ा ब्रिज पर इतने लोग जमा हो जाएंगे कि पुल टूट भी सकता है, इसलिए शूटिंग वहां नहीं हो सकती है।

काका के बारे में एक और किस्सा है कि वे अपने दोस्त एवं साउथ एक्टर कमल हासन के साथ एक बार एक अमेरिकन फिल्म देखने गए थे। वहां मौजूद लोगों को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वहां पर राजेश खन्ना भी हैं। सब कुछ ठीक था और फिल्म भी खत्म हो गई, लेकिन राजेश खन्ना फिल्म खत्म होने के बाद उसके टाइटल एंड को देखने लगे। उधर कमल हासन को इस बात की चिंता सताने लगी कि अगर ये बात वहां मौजूद लोगों को पता चल गई तो थिएटर में भगदड़ मच जाएगी। आखिरकार वही हुआ। लोगों ने राजेश खन्ना को पहचान लिया और उन्हें छूने के लिए वहां मौजूद लोगों में खींचातानी होने लगी। कमल हासन ने उस भीड़ से राजेश खन्ना को बचाकर बाहर निकाला, लेकिन लोगों की खींचातानी में राजेश खन्ना की शर्ट फट गई। हालांकि इसके बावजूद वे मुस्कुरा रहे थे।

बॉलीवुड के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना के लिए फैंस की दीवानगी कभी खत्म नहीं हुई। एक बार उनसे एक फैन की मुलाकात हुई जिसने उन्हें एक उनकी फोटो का कलेक्शन दिखाया। उसे देखकर राजेश खन्ना हैरान रह गए और खुश भी हुए। वे कलेक्शन उन्हें इतना पसंद आया कि उन्होंने उस फैन को एक फूड ट्रक गिफ्ट में दिया जो आज भी दिल्ली में चालू है। इस फूड ट्रक पर खुद राजेश खन्ना 500 बार गए थे और वहां के खानों का जायका लिया था।

फिल्म रोटी 1974 में रिलीज हुई थी जिसमें राजेश खन्ना के साथ मुमताज नजर आईं थीं। फिल्म का क्लाईमैक्स सीन था जिसमें राजेश खन्ना को मुमताज को अपने कंधों पर लेकर बर्फ से भरी वादियों में लेकर दौड़ना था। इस सीन का परफेक्ट शॉट देने के लिए राजेश खन्ना ने 8 दिनों तक प्रैक्टिस की थी, जिसके बाद इस सीन को शूट किया गया था।

जब इस सीन की शूटिंग पूरी हो गई थी तो उनके बायी ओर के कंधे पर लाल निशान बन गए थे क्योंकि उस समय मुमताज का वजन थोड़ा अधिक था। इस वजह से राजेश खन्ना का कंधा चोटिल हो गया था।

बर्फ की वादियों से था बेहद प्यारः काका को हिल स्टेशन से बहुत प्यार था। यही वजह थी कि कश्मीर को उनका दूसरा घर कहा जाता था। जब भी वे कोई फिल्म करते थे तो डायरेक्टर से जरूर कहते थे कि फिल्म का कोई एक गाना हिल स्टेशन में ही शूट हो। यही वजह है कि उनकी अधिकतर फिल्मों में कोई एक गाना जरूर हिल स्टेशन पर फिल्माया गया है।

साल 1969-1972.. ये दौर था जब राजेश खन्ना किसी भी फिल्म में नजर आते थे तो उनकी एक खास फरमाइश होती थी कि उनकी फिल्मों के गाने किशोर कुमार ही गाएं। यही वजह थी 1987 तक राजेश खन्ना के फिल्मों के गाने किशोर कुमार ने ही गाए। दोनों ने 132 फिल्मों में एक साथ काम किया था। फिल्म दुश्मन का एक गाना था वादा तेरा वादा। जब इस गीत के लिए किशोर कुमार को चुना गया तो उन्होंने मना कर दिया। उनका कहना था कि उनसे बेहतर इस गीत को रफी साहब गा सकते हैं।

यह बात जब राजेश खन्ना को पता चली तो उन्होंने किशोर कुमार से मुलाकात की। किशोर कुमार ने उन्हें बहुत समझाया लेकिन वे नहीं माने और कहा कि, ‘अगर तुम ये गाना नहीं गाओगे तो इस गीत को फिल्म से हटा दिया जाएगा।’ राजेश खन्ना के इस जिद के आगे किशोर कुमार को झुकना पड़ा और आखिरकार उन्होंने इस गीत को गाया।

आत्महत्या करना चाहते थे काकाः काका यानी राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया के रिश्ते में शादी के 11 साल बाद ही दरार आनी शुरू हो गई थी। खबरें ये थीं कि राजेश खन्ना नहीं चाहते थे कि डिंपल फिल्मों में काम करें। इसी वजह से दोनों में काफी बहस होती थी। कुछ समय बाद दोनों अलग-अलग रहने लगे थे लेकिन तलाक कभी नहीं लिया। एक इंटरव्यू में खुद राजेश खन्ना ने बताया था कि डिंपल से अलग रहने के बाद उन्होंने 14 महीनों के लिए खुद के आस-पास एक दीवार बना ली थी। लोगों पर उन्होंने विश्वास करना छोड़ दिया था, नई फिल्में साइन नहीं करते थे। आत्मविश्वास कम हो गया था। लगातार फिक्र में डूबे रहते थे और आत्महत्या करने के बारे में सोचते थे।

ऑन स्क्रीन मौत पर मां हो जाती थीं दुखीः आपको बता दें कि राजेश खन्ना की 20 फिल्मों में ऑन स्क्रीन मौत हुई है। किस्सा ये है कि जब किसी फिल्म में उनकी मौत हो जाती थी तो उनकी मां दुखी हो जाती थीं। वह उनसे कहती थीं, ‘उन डायरेक्टर्स के साथ काम मत करो जो तुम्हें फिल्मों में मार देते हैं।’ राजेश खन्ना एक्टिंग के ऐसे जादूगर थे कि फिल्मों में रोने वाले सीन के लिए उनको ग्लिसरीन लगाने की जरूरत नहीं पड़ती थी। वे सीन में इतना रम जाते थे कि आंसू खुद-ब-खुद निकल आते थे।

काका ने अपने करियर में कई हिट फिल्में दीं, लेकिन उनका स्टारडम भी एक समय के बाद कम हो गया। रिपोर्ट्स की माने तो जब फिल्म दुनिया में एंग्री मैन अमिताभ बच्चन की एंट्री हुई तो उनका जादू लोगों में फीका पड़ने लगा। वजह ये थी कि उन्होंने एक्शन फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन दर्शक सिर्फ उन्हें रोमांटिक फिल्मों में ही देखना चाहते थे।

फिल्मों के ऑफर जब कम मिलने लगे तो उन्होंने छोटे पर्दे पर भी हाथ आजमाया और कई टीवी सीरियल भी किए। हालांकि इन टीवी सीरियल में रोल के लिए भी उन्हें काफी जद्दोजहद करनी पड़ती थी और बहुत मुश्किल से रोल मिलता था।

एक समय ऐसा था कि राजेश खन्ना के घर के बाहर लोगों का हुजूम रहता था, वहीं जिंदगी के आखिरी सफर में वो बिल्कुल अकेले थे। राजेश खन्ना ने एक इंटरव्यू में अपने करियर के सफर को याद करते हुए कहा था कि एक दौर हुआ करता था जब उनके बंगले आशीर्वाद के बाहर लोगों का हुजूम लगा रहता था। उनका ड्राइंग रूम गुलदस्तों से भरा रहता था। लेकिन ऐसा भी वक्त आया जब उनके पास एक फूल तक नहीं आया। यह बताते हुए वो भावुक हो गए थे।

2005 में राजेश खन्ना को फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड देने का ऐलान हुआ। फिल्म फेयर की मैनेजिंग एडिटर मीरा जोशी ने राजेश खन्ना से मुलाकात की थी और पूछा था क्या वह अवॉर्ड फंक्शन में आएंगे और ट्रॉफी कबूल करेंगे? राजेश खन्ना ने इस बात पर हामी भर दी थी।

साथ ही उन्होंने मीरा से फंक्शन के कुछ एक्स्ट्रा पास मांग लिए थे, लेकिन वो फंक्शन में अकेले पहुंचे थे जिस बात से सभी हैरान रह गए थे। उन्होंने एक्स्ट्रा पास लिया फिर भी उनके साथ अवॉर्ड फंक्शन में कोई नहीं आया था।

2011 में राजेश खन्ना को पता चला था कि उन्हें कैंसर है, लेकिन वो ये बात सिर्फ अपने करीबियों तक ही सीमित रखना चाहते थे। उन्होंने परिवार के लोगों से कह दिया था कि ये बात उनके फैंस तक ना पहुंचे। जून 2012 में उनकी तबीयत खराब होने लगी थी जिस वजह से उन्हें 23 जून को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तबीयत में सुधार होने के बाद उन्हें 8 जुलाई को अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी।

14 जुलाई को फिर से राजेश खन्ना को लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उन्हें इस बात का अंदेशा हो गया था कि उनके पास अब ज्यादा दिन नहीं हैं। इसलिए उन्होंने अपने परिवार वालों से कहा था कि वो अपने घर में आखिरी सांस लेना चाहते हैं।

16 जुलाई को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था जिसके 2 दिन बाद, 18 जुलाई 2012 को राजेश खन्ना का निधन उनके बंगले आशीर्वाद में हो गया। राजेश खन्ना के निधन के बाद दुनिया को पता चला था कि वो कैंसर से पीड़ित थे। उनकी अंतिम यात्रा में करीब 10 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए थे।

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