दिल्ली डेस्कः वैश्विक महामारी कोरोना वायरस एक बार फिर लोगों के दिलों में दहशत पैदा करने लगा है। कोविड-19 के कारण चीन में स्थिति बदतर है। चीन ने कोरोना मामले बढ़ने के बाद 24 दिसंबर को बॉर्डर सील करना शुरू कर दिया था, लेकिन अब सरकार ने 8 जनवरी से बॉर्डर खोलने का फैसला किया है। चीन के झेजियांग प्रोविंस में कोरोना तेजी से फैल रहा है। वहां एक दिन में संक्रमण के 10 लाख नए मामले आ रहे हैं।

इस बीच चीन ने फैसला किया है कि वह जानलेवा विषाणु से निपटने के लिए निपटने के लिए फाइजर के कोविड ड्रग का इस्तेमाल शुरू करेगा। सीएनएन न्यूज चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों में चीन के स्वास्थ्य केंद्रों पर फाइजर के पैक्सलोविड कोविड दवा का इस्तेमाल शुरू हो जाएगा। इस पर पूरी ट्रेनिंग मिलने के बाद कम्युनिटी डॉक्टर्स इसे कोरोना के मरीजों में बांटेंगे।

आपको बता दें कि जनवरी 2020 से चीन में कोरोना को A कैटेगरी की बीमारी माना जा रहा था। ग्वांगडोंग, फुजियान और जिआंगसु में स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि उन्हें राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने कहा है कि वे 8 जनवरी से कोरोना को B कैटेगरी में डाउनग्रेड कर दिया जाए। इसके अलावा बाहर से आने वाले लोगों के लिए क्वारंटाइन भी खत्म कर दिया जाएगा। इससे साफ हो रहा है कि सरकार अब कोरोना को आम फ्लू मान रही है। हालांकि चीन जाने वाले लोगों को 48 घंटे पहले तक की RT-PCR रिपोर्ट दिखानी होगी।

चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने 24 दिसंबर को कहा था कि वह अब कोरोना केसेस की जानकारी नहीं देगा। कोरोना से लड़ने वाली एक समिति की प्रमुख सुन चुनलान का कहना है कि देश में कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट कमजोर हो गया है। इससे अब कोई खतरा नहीं है। सरकार एडवाइजरी जारी करते हुए कह रही है कि कोरोना का खतरा न के बराबर है।

वहीं चीन के सिचुआन प्रोविंस में 60 % लोगों ने एक सर्वे में बताया है कि उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। वहां के प्रशासन ने 1 लाख 58 हजार लोगों का सर्वे किया था इनमें से 9 लाख से ज्यादा लोग कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।

वहीं,. ब्रिटेन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने कहा है कि वह जनवरी 2023 से कोरोना केसेस की जानकारी नहीं देगी। यानी अब ब्रिटेन की तरफ से नए कोरोना मामलों और संक्रमण से हुई मौतों का डेटा नहीं दिया जाएगा। ब्रिटिश प्राधिकरण के अनुसार कोरोना आम हो गया है। लोग हर दिन इसके साथ जी रहे हैं। अब इसे आम वायरल और सीजनल फ्लू की तरह ही ट्रीट किया जाएगा। इसकी मॉनिटरिंग होती रहेगी, लेकिन डेटा जारी नहीं होगा।

आपको बता दें कि कुछ विशेषज्ञों ने हाल ही में दवा किया था कि हर नया वैरिएंट कोरोना के म्यूटेशन में हेल्प कर सकता है, जिससे वे और अधिक खतरनाक हो सकते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर वायरस का म्यूटेशन हुआ तो और भी तबाही मच सकती है।

अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के इंफेक्शन डिसीज एक्सपर्ट डॉ. स्टुअर्ट कैंपबेल रे ने ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में कहा कि कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन वैरिएंट की तरह हो सकता है, स्ट्रेन का कॉम्बिनेशन हो सकता है या पूरी तरह अलग भी हो सकता है। चीन की आबादी बहुत बड़ी है और बहुत कम लोगों में कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी बनी है। ऐसे में नए वैरिएंट के पैदा होने का डर और ज्यादा है।

इस बीच worldometer की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में अब तक 66 करोड़ 21 लाख 50 हजार 064 लोग इस जानलेवा विषाणु से प्रभावित हो चुके हैं। इस महामारी से 11 जनवरी 2020 को चीन के वुहान में 61 साल के बुजुर्ग की मौत हो गई। ये दुनिया में कोविड से हुई पहली मौत थी। इसके बाद मौत का सिलसिला बढ़ने लगा। अब तक 66 लाख 87 हजार 211 मौतें हो चुकी हैं।

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