Old compass on vintage map with rope closeup. Retro stale

दिल्लीः आज से 18 साल पहले यानी 26 दिसंबर 2004 को हिंद महासागर में आई सुनामी लहर ने भारत समेत दुनिया के कई देशों में भारी तबाही मचाई थी। हिंद महासागर में आए 9.1 की तीव्रता वाले भूकंप के बाद सुनामी की जिस तरह की लहरें उठी थीं, उनके बारे में कहा गया था कि ऐसी लहरें पिछले 40 सालों में नहीं देखी गईं। ये लहरें 65 फीट ऊंची उठी थीं।

सिर्फ भारत में ही सुनामी से 12 हजार 405 लोग मारे गए थे और 3 हजार 874 लापता हो गए थे। करीब 12 हजार करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ था। सबसे ज्यादा 8 हजार 9 मौतें तमिलनाडु में हुई थीं। 3 हजार 513 लोग अंडमान-निकोबार में मारे गए थे। इनके अलावा पुड्डुचेरी में 599, केरल में 177 और आंध्र प्रदेश में 107 मौतें हुई थीं। जबकि, श्रीलंका में 13 और मालदीव में 1 भारतीय की मौत हुई थी।

इसके अलावा 12 देशों को मिलाकर मरने वालों की तादाद 2 लाख से भी ऊपर थी। सबसे ज्यादा नुकसान इंडोनेशिया में हुआ था। यहां 1.28 लाख लोग मारे गए और 37 हजार से ज्यादा लोग लापता हो गए थे। उसके बाद श्रीलंका था, जहां 35 हजार से ज्यादा लोग या तो मारे गए थे या लापता हो गए थे।
ये चौथी प्राकृतिक आपदा थी, जिसमें सबसे ज्यादा जानें गई थीं। इससे पहले 1931 में चीन में आई बाढ़ में 10 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। उसके बाद 1970 में बांग्लादेश में आए साइक्लोन ने 3 लाख जानें ले ली थीं। 1976 में चीन में ही एक भूकंप में 2.55 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
पानी की ऊंची-ऊंची लहरें जब 800 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज रफ्तार से तटीय इलाकों में दाखिल हुईं, तो लोगों को संभलने के लिए कुछ सेकंड भी नहीं मिले। इसके बाद भारत, श्रीलंका, इंडोनेशिया जैसे देशों से सैकड़ों लोगों की जान जाने की खबरें आने लगीं। भारत के कई सैकड़ों मछुआरे लापता हो गए थे। बाद में इनके शव समुद्र से बहकर वापस आए थे।

इस सुनामी के कारण जानने के लिए वैज्ञानिकों ने कई सालों तक रिसर्च की। इसके बाद 26 मई 2017 को जर्नल साइंस में एक रिसर्च पब्लिश हुई। रिसर्च में आया कि 26 दिसंबर 2004 को आई इस तबाही का कारण हिमालय पर्वत था।

दरअसल, सुमात्रा में आए भूकंप का केंद्र हिंद महासागर में 30 किलोमीटर की गहराई में रहा, जहां भारत की टेक्टोनिक प्लेट आस्ट्रेलिया की टेक्टोनिक प्लेट के बॉर्डर को छूती हैं। आपको बता दें कि सैकड़ों सालों से हिमालय और तिब्बती पठार से कटने वाली तलछट गंगा और अन्य नदियों के जरिए हजारों किलोमीटर तक का सफर तय कर हिंद महासागर की तली में जाकर जमा हो जाती हैं।
हिंद महासागर की तली में जमा होने वाली ये तलछट प्लेटों के बॉर्डर पर भी इकट्टा हो जाती हैं, जिसे सब्डक्शन जोन भी कहते हैं, जो तबाही मचाने वाली सुनामी का कारण बनती हैं। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 26 दिसंबर को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर…

1530: मुग़ल सम्राट बाबर का निधन हुआ।
1606: शेक्सपियर ने अपने लोकप्रिय नाटक किंग लियर को पहली बार इंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम के दरबार में पेश किया था।
1748: फ्रांस और ऑस्ट्रिया के बीच दक्षिणी हॉलैंड को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किये गये।
1899: स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद उधम सिंह का जन्म हुआ।
1904 : दिल्ली से मुंबई के बीच देश की पहली क्रॉस कंट्री मोटरकार रैली की शुरुआत।
1925 : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना।
1978 : भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जेल से रिहा किया गया। मोरारजी देसाई की सरकार ने 19 दिसंबर को इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया था।
1997 : ओडिशा के प्रमुख नेता बीजू पटनायक के पुत्र नवीन पटनायक ने बीजू जनता दल (बीजद) की स्थापना की।
1999 : भारत के नवें राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा का निधन हुआ।
2003 : ईरान के दक्षिण पूर्वी शहर बाम में रिक्टर पैमाने पर 6.6 की तीव्रता वाले भूकंप से जान और माल का भारी नुकसान।
2004 : शक्तिशाली भूकंप के बाद भारत, श्रीलंका, इंडोनेशिया, थाईलैंड, मलेशिया, मालदीव और आसपास के क्षेत्रों में सुनामी ने भारी तबाही मचाई। दो लाख तीस हजार लोगों की मौत।
2006 : आस्ट्रेलिया के फिरकी गेंदबाज शेन वार्न ने अंतरराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट में 700 विकेट लेकर इतिहास रचा।
2012 : चीन की राजधानी बीजिंग से देश के एक अन्य प्रमुख शहर ग्वांग्झू तक बनाए गए दुनिया के सबसे लंबे हाई स्पीड रेलमार्ग की शुरुआत।

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