संवाददाता-नरेन्द्र कुमार वर्मा, प्रखर प्रहरी
दिल्लीः भारतीय सेना में अहीर रजिमेंट की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। अहीर रजिमेंट के गठन की मांग को लेकर ग्रामीण उत्थान भारत निर्माण संस्था के साथ सैकड़ो पूर्व अधिकारी आज प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एकत्र हुए।
भारतीय सेना में कुमांउ, गढ़वाल, डोगरा, सिख, महार, जाट, लद्दाखी, नागा, असमी और मद्रास रजिमेंट के नाम से अनेक रजिमेंट कार्यरत है। आजादी के बाद से ही भारतीय सेना और सरकार से अहीर रजिमेंट का गठन किए जाने की मांग की जा रही है। मगर सरकार ने कभी इस मांग पर ध्यान केंद्रीत नहीं किया। परमवीर चक्र विजेता कैप्टन योगेन्द्र यादव के नेतृत्व में भारतीय सेना के अनेक पूर्व अधिकारियों ने एक बार फिर अहीर रजिमेंट के गठन की मांग को लेकर केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपा है।
दिल्ली के प्रेस क्लब में जुटे सेना के पूर्व अधिकारियों ने कहा कि आज अहीरवाल क्षेत्र का नौजवान सेना में सेवा करने से वंचित होता जा रहा है। जिन अहीर सैनिकों की वीरता और साहस का लोहा अंग्रेज अफसर भी मानते थे उन अहीर सैनिकों की शहादत और वीरता को आज देश के युवा भूलते जा रहे हैं। कैप्टन योगेन्द्र यादव ने कहा कि वीर अहीर सैनिकों ने प्रथम विश्व युध्द से लेकर व्दितीय विश्व युध्द तक और भारत चीन युध्द से लेकर भारत पाकिस्तान युध्द के दौरान दुश्मन सेना के छक्के छुड़ाने काम किया। मगर आज देशभर के अहीर नौजवान सेना में भर्ती से विमुख जाते जा रहे हैं। इस मौके पर डॉक्टर ईश्वर सिंह यादव ने कहा कि आजादी के पूर्व जब अंग्रेजी शासन में सेना के पुर्नगठऩ का काम किया गया तो एक साजिश के तहत अहीर रजिमेंट का गठन नहीं किया, क्योंकि अंग्रेज अहीर सैनिकों के विद्रोह से खफा थे।
डॉक्टर ईश्वर सिंह यादव ने कहा कि आजादी के बाद से ही तमाम सरकारों ने इस मुद्दे पर अहीर समाज के साथ वादा किया मगर किसी ने अपना वादा नहीं निभाया। इस अवसर पर ग्रामीण उत्थान भारत निर्माण संस्था के अध्यक्ष डॉक्टर टी.सी.राव ने कहा कि वर्तमान सरकार से उन्हें बहुत उम्मीद हैं। विभिन्न दलों के अनेक सांसदों ने भी अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग के मुद्दे को संसद में उठाया है। डॉक्टर राव ने बताया कि केंद्र सरकार अगर अहीर रजिमेंट का गठन करती है तो हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, झारखंड़, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश लाखों अहीर नौजवानों के सेना में भर्ती का रास्ता साफ होगा। इस अवसर पर सेना के पूर्व अधिकारियों ने अहीर सैनिकों की वीरता के अनेक किस्सों को सांझा किया।
उन्होंने बताया कि अहीरवाल का नौजवान आज देशसेवा से विमुख होता जा रहा है और गलत रास्ते अख्तियार कर रहा है। कैप्टन योगेन्द्र यादव ने कहा कि सेना जाति-पंथ अथवा समुदाय की भावना को त्याग कर केवल राष्ट्र भावना से काम करती है। मगर देश में जाति और पंथ के नाम पर प्रचलित अनेक रजिमेंट से उनकी जातियों का मनोबल बढ़ता और उनकी जातियों के लोग अपनी रेजिमेंट का हिस्सा बन कर गौरव का अनुभव करते है। लिहाजा भारत सरकार के एक प्रशासनिक आदेश के बाद अहीर रजिमेंट का गठन हो सकता है। जिसके गठन से अहीर सैनिकों की वीरता और साहस की परंपरा और इतिहास को संजोया जा सकता है। इस मौके पर पूर्व अधिकारियों ने कहा कि अहीर रजिमेंट की मांग के पीछे सम्मान और मनोबल बढ़ाने की भावना है यह अभियान किसी भी तरह जातिगत दृष्टिकोण से नहीं चलाया जा रहा है।
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