संयुक्त राष्ट्रः आतंकवाद के मुद्दे पर भारत ने पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार किया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकवाद तथा सुधारित बहुपक्षवाद पर चर्चा के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जो देश आतंकवादी संगठन अल कायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन की मेहमाननवाजी कर रहा था, जिसने अपने पड़ोसी मुल्क की संसद पर हमला किया…वह संयुक्त राष्ट्र जैसे शक्तिशाली मंच पर उपदेश देने के काबिल नहीं है। डॉ. जयशंकर की यह टिप्पणी पाकिस्तान की ओर से संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने के बाद आई।
डॉ. जयशंकर मंगलवार को यूनाइटेड नेशंस पहुंचे, जहां सिक्योरिटी काउंसिल में भारत की अध्यक्षता में काउंटर टेररिज्म और रिफॉर्म्ड मल्टीलेटरिज्म (बहुपक्षवाद) पर दो अहम इवेंट हो रहे हैं। मल्टीलेटरिज्म पर चर्चा की अध्यक्षता यूएन में भारत की स्थायी सदस्य रुचिरा कंबोज कर रही थीं। इसी दौरान पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कश्मीर मुद्दा उठाया था।
विदेश मंत्री जयशंकर ने इस दौरान चीन और पाकिस्तान, दोनों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “स्वाभाविक तौर पर हम आज मल्टीलेटरलिज्म में सुधारों पर फोकस कर रहे हैं। हमारा अपना-अपना नजरिया हो सकता है, लेकिन एक आम राय बन रही है, कम से कम इसमें हमें ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए। दुनिया टेररिज्म के खिलाफ संघर्ष कर रही है और ऐसे दौर में कुछ लोग आतंकी हमलों को अंजाम देनेवालों, साजिश रचने वालों को सही ठहरा रहे हैं। उन्हें बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।”
डॉ. जयशंकर ने कहा, “दुनिया इमरजेंसी, युद्धों और हिंसा के दौरा से गुजर रही है, संघर्ष कर रही है। शांति लाने और इसका रास्ता दिखाने के लिए महात्मा गांधी के आदर्श आज भी जरूरी हैं। यूनाइटेड नेशंस की साख महामारी, जलवायु परिवर्तन, विवादों और आतंकवाद जैसी चुनौतियों पर प्रभावी जवाब देने पर निर्भर है।” ।
भारत के विदेश मंत्री ने कहा, “हम रास्तों की तलाश कर रहे हैं, तब हमें ऐसे खतरों को नॉर्मल करने की कोशिशों को स्वीकार नहीं करना चाहिए। अभी तक यह सवाल नहीं उठा है कि जिस चीज को पूरी दुनिया स्वीकार नहीं कर रही, उसे न्यायोचित बताने की कोशिश क्यों हो रही है। यह क्रॉसबॉर्डर टेररिज्म, आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों पर भी लागू होता है।”
विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान पर हमला बोलते हुए कहा, “दुनिया जिसे अस्वीकार्य मानती है, उसे सही ठहराने का सवाल ही नहीं उठना चाहिए। यह निश्चित रूप से सीमा पार आतंकवाद के प्रायोजन पर लागू होता है। न ओसामा बिन लादेन की मेजबानी करना और न ही पड़ोसी मुल्क की संसद पर हमला करना इस परिषद के सामने उपदेश देने के लिए प्रमाण के रूप में काम कर सकता है।”
उन्होंने कहा, “हमने 75 साल से भी पहले बनाए गए बहुपक्षीय संस्थानों की प्रभावशीलता के बारे में बातचीत करने के लिए बैठक बुलाई है। हमारे सामने सवाल यह है कि उनमें सुधार कैसे किया जा सकता है। हाल के वर्षों में दुनिया ने इंटरनेशनल सिस्टम पर बढ़ते तनाव से बदलाव की मांग तेजी से हुई है। बात जब क्लाइमेट जस्टिस और क्लाइमेट एक्शन की आती है, तब भी हालात बेहतर नहीं हैं। मंचों पर जरूरी मुद्दों पर बात होने की बजाय हमने ध्यान भटकाने और भ्रमित करने की कोशिशें देखी हैं।”
आपको बता दें कि भारत को सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनाने की मांग के बीच बिलावल भुट्टो ने कहा था कि कश्मीर का मुद्दा अब भी सुलझा नहीं है। यदि आप (भारत) बहुपक्षवाद की सफलता देखना चाहते हैं तो कश्मीर के मुद्दे पर आप UNSC के प्रस्ताव को लागू करने की अनुमति दे सकते हैं। आप साबित कर सकते हैं कि बहुपक्षवाद सफल होगा। आप ये साबित करें कि आपकी (भारत) अध्यक्षता में UNSC हमारे क्षेत्र (कश्मीर) में शांति ला सकता है।
इस साल दिसंबर के लास्ट में 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNCS) के निर्वाचित सदस्य के रूप में भारत का दो साल का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। इसके पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर आतंकवाद रोधी दो बैठकों की अध्यक्षता करने के लिए मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र पहुंचे।
भारत ने सुरक्षा परिषद की बारी-बारी से सौंपी जाने वाली मासिक अध्यक्षता एक दिसंबर को संभाली थी। अगस्त 2021 के बाद यह दूसरी बार है, जब भारत UNCS सदस्य के रूप में दो साल के अपने कार्यकाल के दौरान परिषद की अध्यक्षता कर रहा है।
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