अहमदाबादः गुजरात के अहमदाबाद में बुधवार को स्वामी नारायण संस्थान (BAPS) के प्रमुख स्वामी नारायण स्वरूप दास जी की जन्म शताब्दी के मौके पर भव्य कार्यक्रम का आगाज हुआ। इस इस कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि प्रमुख स्वामी जी से मेरा एक अध्यात्मिक नाता था, एक पिता-पुत्र का स्नेह था, एक अटूट बंधन था। आज भी वह जहां होंगे मेरे हर पल को देखते होंगे, बारीकी से मेरे हर काम को देखते होंगे।

उद्घाटन समारोह में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद थे। पीएम मोदी ने कहा, “प्रमुख स्वामी जी से मेरा एक अध्यात्मिक नाता था, एक पिता-पुत्र का स्नेह था, एक अटूट बंधन था। आज भी वह जहां होंगे मेरे हर पल को देखते होंगे, बारीकी से मेरे हर काम को देखते होंगे। उन्होंने, मुझे जो सिखाया-समझाया क्या मैं उसी राह पर चल रहा हूं या नहीं, वह जरूर देखते होंगे।“

उन्होंने कहा कि प्रमुख स्वामी जी का कहना था कि जीवन का एक सर्वोच्च लक्ष्य सेवा ही होना चाहिए, अंतिम सांस तक सेवा में ही जुटे रहना चाहिए। हमारे यहां नारायण कहते हैं कि ‘नर सेवा ही नारायण सेवा है’ और ‘जीव में ही शिव है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि  दुनिया के किसी भी हिस्से में चले जाइए आपको प्रमुख स्वामी महाराज जी की दृष्टि का परिणाम दिखाई देगा। उन्होंने सुनिश्चित किया कि हमारे मंदिर आधुनिक हैं और वे हमारी परंपराओं को उजागर करते हैं। उनके जैसे महान लोगों और रामकृष्ण मिशन ने संत परंपरा को फिर से परिभाषित किया।

एक महीना चलेगा समारोह, बनाया गया 600 एकड़ में भव्य शहरः प्रमुख स्वामी नारायण स्वरूपदासजी का जन्म 1921 में हुआ था। उनका जन्म शताब्दी समारोह 15 दिसंबर 2022 से 15 जनवरी 2023 तक चलेगा और इस समारोह में 15 देशों के प्रधानमंत्री उप प्रधानमंत्री और हजारों मिनिस्टर्स शामिल होंगे। इसके साथ ही तीन लाख एनआरआई इस समारोह में आएंगे।

इसके लिए अहमदाबाद में एक शहर बसा दिया गया है और इस शहर की खासियत यह है कि इसके लिए 600 एकड़ जमीन दान की है और  जिन पैसों से निर्माण हुआ है, वह भी दान का है। यहीं नहीं इसके निर्माण में लगे मजदूरों में ऐसे लोग शामिल हैं, जिनकी संपत्ति करोड़ों-अरबों में है।

इस जगह का डिजाइन सबसे अधिक चर्चा में है। जरूरत की चीजें आपको ढूंढनी नहीं पड़तीं। खुद-ब-खुद दिखाई दे जाती हैं। डिजाइन करने वाले 6वीं पास श्री स्वरूपदास स्वामी दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर को भी डिजाइन कर चुके हैं। गांधीनगर के अक्षरधाम के डिजाइन में भी इसका प्रमुख योगदान था। वह कहते हैं कि उन्हें कंप्यूटर का कोई ज्ञान नहीं है। कागज पर पेंसिल से डिजाइन बनाते हैं। उनके लिए ये सबसे आसान होता है।

इस शहर में जो भी बन रहा है या आ रहा है… सब दान का है। जो भी लोग काम कर रहे हैं, वह सेवाभाव में कर रहे हैं। इस काम में 2 महीने तक 50 हजार से ज्यादा लोग लगे। श्रमदान करने वालों में 5000 करोड़ की संपत्ति वाले अजमेरा परिवार की बहू गोराल अजमेरा भी शामिल हैं। इसके साथ ही सूरत के डायमंड किंग लवजी बादशाह की बेटी, विमल डेयरी के मालिक अनीश पटेल, सिंटेक्स के योगेश पटेल जैसे कई लोग शामिल हैं।​​​​​​​

आपको बता दें कि ​​​​​​​​​​​​​​एक महीने तक चलने वाला ये इवेंट जब खत्म हो जाएगा तो इसमें लगी सारी चीजें दान कर दी जाएंगी। जिनकी जमीन है, उसे नापकर लौटा दिया जाएगा। स्वामी नारायण संस्थान के दुनिया में लाखों फॉलोवर्स हैं। इवेंट को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराया जाएगा। संस्थान का दावा है कि यह दुनिया का ऐसा सबसे बड़ा इवेंट होगा, जिसकी कास्ट जीरो है। रिकॉर्ड भी तय माना जा रहा है।​​​​​​​

इस समारोह में 55 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। अहमदाबाद के सभी फाइव स्टार होटलों में से 90 फीसदी और अलग-अलग कैटेगरी के 70  प्रतिशत होटलों में कमरे बुक हो चुके हैं। करीब 20 हजार से ज्यादा कमरों की बुकिंग हो चुकी है।

एक नजर डालते हैं प्रमुख स्वामी नारायण स्वरूप दासजी से जुड़ी अहम घटनाओं पर…

  • 7 दिसंबर 1921 को गुजरात के वड़ोदरा में शांतिलाल का जन्म हुआ। बचपन में ही वे घर छोड़कर आध्यात्म की ओर चले गए। 1940 में वे शास्त्री महाराज के शिष्य बने। इसी दौरान उनका नाम बदलकर नारायण स्वरूपदास स्वामी रख दिया गया।
  • 1950 में शास्त्री जी महाराज ने उन्हें BAPS का अध्यक्ष नियुक्त किया। तभी से वे “प्रमुख स्वामी’ के नाम से पहचाने जाने लगे। शास्त्री महाराज के कहने पर नारायण स्वरूपदासजी ने आध्यात्मिक सफर शुरू किया।
  • नारायण स्वरूपदास के गुरु शास्त्री महाराज का 1951 में निधन हो गया। 1971 में नारायण स्वरूपदास BAPS के आध्यात्मिक प्रमुख भी बने।
  • स्वामी प्रमुख का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। भारत से बाहर सबसे ज्यादा क्षेत्रफल में बनाए गए BAPS के मंदिर के कारण मिला। यह मंदिर लंदन में डेढ़ एकड़ जमीन पर है। इसमें 26,300 पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है। 1971 से 2000 के बीच 11 देशों में 355 मंदिर बनाने की वजह से भी स्वामी प्रमुख का ना गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here