दिल्ली डेस्कः गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं। बीजेपी ने विधानसभा की 182 सीटों में से 156 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि कांग्रेस 17 सीटों पर सिमट कर रह गई है। इससे पहले 2017 के चुनाव में बीजेपी सिर्फ 99 सीटों पर सिमट गई थी। आपको बता दें कि सत्ता में आने के बाद से पहली बार बीजेपी की सीटें 100 से नीचे रही थीं। इससे लीडरशिप ने सबक लिया और 2022 में जीत की तैयारी डेढ़ साल पहले शुरू कर दी। इलेक्शन के हफ्तेभर पहले से गृहमंत्री अमित शाह ने बूथ लेवल पर हो रही तैयारियों का रोज फीडबैक लेना शुरू कर दिया।
अमित शाह ने हर दूसरे दिन बूथ लेवल पर मीटिंग की। कैंपेन का रिव्यू किया। जो जगहें रैली के लिए चुनी गईं, उन्हें क्यों चुना गया, इस पर भी शाह ने डिटेल में डिस्कशन किया।
बीजेपी नेताओं के मुताबिक उनकी मीटिंग कई-कई घंटे चलती थी। केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और सीनियर लीडर्स को अलग-अलग जगह भेजा गया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा इस लिस्ट में टॉप पर रहे। तो चलिए अब आपको उन वजहों के बारे में जानकारी देते हैं, जिसकी वजह से बीजेपी ने राज्य में जीत का नया रिकॉर्ड बनाया…
- विधानसभा चुनाव से करीब एक साल पहले बीजेपी ने गुजरात में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी सहित पूरी कैबिनेट बदल दी। रूपाणी को हटाकर पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया। नो रिपीट फॉर्मूले के तहत पुराने मंत्रियों को नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई। सिर्फ मुख्यमंत्री ही नहीं, विधानसभा अध्यक्ष भी बदल दिया गया।
- बीजेपी ने भारतीय राजनीति में पहली बार ऐसा प्रयोग गुजरात में ही किया था, जो अब पूरी तरह कामयाब लग रहा है। पूरी सरकार बदलने से BJP ने सत्ता विरोधी लहर को खत्म कर दिया। नई कैबिनेट में जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश की।
- कांग्रेस छोड़कर BJP में आए तीन नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह दी गई। पाटीदार समुदाय को खुश करने के लिए मुख्यमंत्री के साथ ही पटेल समुदाय से सबसे ज्यादा विधायकों को कैबिनेट में जगह मिली।
- कोरोना महामारी के बाद यह गुजरात में पहला इलेक्शन था। कोविड के दौरान मिसमैनेजमेंट की वजह से सरकार की काफी आलोचना हुई थी। लोगों में गुस्सा था। बीजेपी ने रूपाणी सरकार को बदला तो ये गुस्सा खत्म हो गया।
- बीजेपी ने जमीनी स्तर पर मिले फीडबैक के आधार पर बड़े नेताओं के टिकट काटने का खतरा भी उठाया। मेहसाणा से नितिन पटेल का टिकट काट दिया गया। इसी तरह अगस्त 2016 से सितंबर 2021 तक CM रहे विजय रूपाणी का टिकट भी काट दिया गया। रूपाणी 1987 से राजकोट की राजनीति में एक्टिव रहे हैं। वे BJP की गुजरात यूनिट के प्रेसिडेंट भी रहे हैं। खास बात ये रही कि इन दोनों नेताओं ने मीडिया में खुद आकर कहा कि हम चुनाव नहीं लड़ना चाहते।
- गुजरात में जीत के हिसाब से ही टिकट बांटे। 42 विधायकों के टिकट काट दिए गए। 2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को मौका दिया गया। सूत्रों ने बताया कि परफॉर्मेंस लिस्ट में 80% से कम नंबर लाने वाले 25% विधायकों के टिकट पार्टी ने काटे थे। कांग्रेस से BJP में आए उन नेताओं को टिकट दिए गए, जो जीत सकते थे।
- साल 2017 में बीजेपी मोरबी, सुरेंद्रनगर, अमरेली जैसी जिन सीटों पर हारी थी, इस बार वहां पहले से ही प्रचार शुरू कर दिया गया। सौराष्ट्र में तो BJP का अभियान चुनाव के 6 महीने पहले से शुरू हो गया था। पार्टी ने नए सिरे से पन्ना प्रमुख बनाए। ऐसे विधायकों को ड्रॉप किया, जिन्हें लेकर पब्लिक में गुस्सा था। PM मोदी और अमित शाह ने ऐसी सीटों को कवर किया, जिन्हें 2017 में BJP को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
- BJP लीडरशिप ने सितंबर 2021 में गुजरात की पूरी सरकार बदली, उस वक्त कुल 24 मंत्री बनाए गए थे। इनमें 10 कैबिनेट और 14 राज्य मंत्री थे। इस चुनाव में पार्टी ने 5 मंत्रियों के टिकट काट दिए। जिन्हें टिकट मिला, उनमें से 19 मंत्री जीत गए। सिर्फ एक को हार मिली। नतीजे बताते हैं कि कैबिनेट बदलना और नए मंत्री बनाना BJP के लिए सही साबित हुआ।
- विधानसा चुनाव में बड़े नेताओं के टिकट काटने के बाद भी बीजेपी का जमीनी स्तर पर कोई मिस मैनेजमेंट नहीं दिखा। किसी ने भी बगावत की कोशिश की, तो उस पर सख्ती से एक्शन लिया गया। चुनाव के बीच में BJP ने 12 नेताओं को सस्पेंड कर दिया, जिन्होंने पार्टी कैंडिडेट के खिलाफ इंडिपेंडेंट कैंडिडेट के तौर पर नॉमिनेशन किया था। नितिन पटेल और विजय रूपाणी जैसे बड़े नेताओं के टिकट कटे, लेकिन इनमें से कोई भी बगावत करने की हिम्मत नहीं कर सका।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील ‘मैं गुजरात का बेटा हूं’ इस चुनाव में BJP की जीत का बड़ा फैक्टर रही। उन्होंने बार-बार गुजरात में ये बात कही।
- आम आदमी पार्टी ने सीधे तौर पर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है। सौराष्ट्र और साउथ गुजरात में कांग्रेस अच्छा करती थी, लेकिन इस बार AAP ने उसे बुरी तरह से डैमेज किया। इसका सीधा फायदा BJP को मिला।