स्पोर्ट्स डेस्कः क्रिकेट में भी अब फुटबॉल की तरह प्लेयर सब्स्टीट्यूशन देखने को मिल सकता है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक बीसीसीआई (BCCI) यानी भारतीय क्रिकेट बोर्ड आईपीएल (IPL) यानी इंडियन प्रीमियर लीग के 16वें सीजन से टैक्टिकल सब्स्टीट्यूशन का कॉनसेप्ट लागू करने की तैयारी में है। बीसीसीआई ने इसके लिए सभी फ्रेंचाइजी को मैसेज नोट भेजा है। यह नियम लागू होने के बाद एक मैच में एक टीम की ओर से 12 खिलाड़ी खेलते हुए दिखलाई दे सकते हैं। हालांकि, एक पारी में ज्यादा से ज्यादा 10 विकेट ही गिर सकते हैं।
BCCI के मैसेज नोट में बताया गया कि 2023 के सीजन से सब्स्टीट्यूशन रूल लागू होगा। नए नियम को जल्द ही विस्तार से एक्सप्लेन किया जाएगा। रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि टैक्टिकल सब्स्टीट्यूशन का नियम वैसा ही होगा जैसा घरेलू टी-20 टूर्नामेंट सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में अपनाया गया था।
सब्स्टीट्यूशन रूलः
इसके लिए टॉस के समय मैच खेल रहीं दोनों टीमों को प्लेइंग इलेवन के साथ 4-4 सब्स्टीट्यूट प्लेयर्स के नाम भी देने होंगे। इनमें से एक-एक प्लेयर को दोनों टीमें मैच के दौरान प्लेइंग इलेवन में शामिल किसी खिलाड़ी से रिप्लेस कर सकेंगी। हालांकि, सब्स्टीट्यूशन का फैसला पूरी तरह से टीमों पर रहेगा। वे चाहें तो पहली बॉल से लेकर आखिरी बॉल तक 11 प्लेयर्स के साथ ही खेल सकती हैं।
रिप्लेस होने के बाद नया खिलाड़ी ही पूरा मैच खेलेगा। मैच के दौरान एक बार बेंच पर भेजे जाने के बाद रिप्लेस किया जा चुका खिलाड़ी वापस मैदान में नहीं आ सकेगा।
आपको बता दें कि भारत का घरेलू टी-20 टूर्नामेंट सैयद मुश्ताक अली (SMAT) इसी साल अक्टूबर-नवंबर के दौरान खेला गया। इस टूर्नामेंट में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने इम्पैक्ट प्लेयर रूल शामिल किया था। इसके तहत टॉस के समय टीमें 4-4 सब्स्टीट्यूशन प्लेयर्स का नाम दे रही थीं। जिन्हें मैच के दौरान रिप्लेस किया जा रहा था।
बदलाव के नियमः IPL के नए रूल को अभी तक डिटेल में एक्सप्लेन नहीं किया, लेकिन अगर यह रूल SMAT के इम्पैक्ट प्लेयर रूल की तरह ही हुआ तो दोनों ही पारियों में 14वें ओवर तक टीमें प्लेयर्स को सब्स्टीट्यूट कर सकेंगी। यानी कि आखिर के 6 ओवरों में टीमें प्लेयर्स को सब्स्टीट्यूट नहीं कर सकेंगी।
टैक्टिकल सब्स्टीट्यूशन रूल के तहत किसी भी खिलाड़ी को रिप्लेस किया जा सकता है। भले ही वह बैटिंग कर आउट हो गया हो या अपने कोटे के ओवर डाल चुका हो। यानी जो खिलाड़ी सब्स्टीट्यूट होकर मैदान पर आएगा वह पूरी बैटिंग कर सकता है और अपने कोटे के पूरे चार ओवर भी डाल सकता है। हालांकि, एक पारी में ज्यादा से ज्यादा 10 विकेट ही हो सकेंगे। यानी किसी आउट हो चुके बल्लेबाज की जगह कोई सब्स्टीट्यूट आता है तो उसके लिए बाकी बचे खिलाड़ियों में से किसी को बैटिंग छोड़नी होगी।
अगर कोई खिलाड़ी मैच के दौरान खराब या धीमे स्ट्राइक रेट से बैटिंग कर रहा है तो उसे बैटिंग के दौरान भी रिप्लेस किया जा सकेगा। ये बिल्कुल टेस्ट में कन्कशन रूल की तरह है। जिसमें खिलाड़ी अगर चोटिल होकर बाहर चला गया तो उसकी जगह नया खिलाड़ी आता है। वहीं, टीम का कोई विकेट भी नहीं जाता।
कौन था पहला सब्स्टीट्यूट प्लेयरः
सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में 11 अक्टूबर 2022 को दिल्ली ने अपने खिलाड़ी ऋतिक शौकीन को रिप्लेस किया था। दिल्ली ने ओपनर हीतेन दलाल की जगह की ऑफ स्पिनर शौकीन को मणिपुर के खिलाफ मैच में उतारा था। इस तरह ऋतिक इम्पैक्ट प्लेयर रूल के अनुसार सब्स्टीट्यूट होने वाले पहले खिलाड़ी बने थे।
ऐसा नियम इंटरनेशनल क्रिकेट में भी थाः 2005-06 के दौरान वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट में सुपरसब सिस्टम था, जिसके तहत मैच के दौरान प्लेयर रिप्लेस कर सकते थे, लेकिन, जिस खिलाड़ी को मैदान से बाहर भेजा गया, अगर वह आउट हो चुका है तो नए खिलाड़ी को बैटिंग नहीं मिलती थी। वहीं, अगर बॉलर ने कुछ ओवर फेंक लिए तो नया खिलाड़ी अपने कोटे के पूरे ओवर नहीं फेंक सकता था। वह पुराने खिलाड़ी के बचे हुए ओवर ही फेंक सकता था।
वहीं, ऑस्ट्रेलिया की फ्रेंचाइजी लीग बिग-बैश लीग (BBL) में X-फैक्टर रूल है। इसके अनुसार, पहली पारी के 10 ओवर तक ही टीमें सब्स्टीट्यूट प्लेयर को प्लेइंग इलेवन में शामिल कर सकती हैं। जिस खिलाड़ी ने इस दौरान बैटिंग नहीं की या एक ओवर ही फेंका हो, उसे ही रिप्लेस किया जा सकता है।