दिल्लीः कांग्रेस नेता राहुल गांधी राहुल गांधी के एक बयान पर विवाद शुरू हो गया है। राहुल ने शुक्रवार को बीजेपी और आरएसएस पर हमला बोला था और जय श्रीराम की जगह सियाराम कहने की नसीहत दी थी। इस दौरान उन्होंने जय श्रीराम और जय सियाराम में फर्क बताया था। अब बीजेपी ने राहुल के इस बयान पर पलवार किया है। उत्तर प्रदेश के दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद और ब्रजेश पाठक, एमपी के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के अलावा कई और नेताओं ने राहुल गांधी को घेरा है। वहीं समाजवादी पार्टी ने बीजेपी पर ही तंज कसा है।

बीजेपी नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा है कि बीजेपी को राहुल गांधी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। वे इलेक्शन वाले हिंदू हैं। वहीं, बीजेपी ब्रजेश पाठक ने कहा कि राहुल गांधी नाटक मंडली के नेता हैं। वे कोट के ऊपर जनेऊ पहनते हैं। उनको भारत की संस्कृति के बारे में कुछ नहीं पता है। बस गली-गली दौड़ रहे हैं, क्योंकि जानता ने इनको नकार दिया है।

वहीं केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर कहा कि भगवान श्रीराम के अस्तित्व को नकारने वाली कांग्रेस के सांसद श्री राहुल गांधी जी को जय श्रीराम न सही बीजेपी ने जय सियाराम बोलने के लिए विवश कर दिया है, यह बीजेपी की वैचारिक विजय और कांग्रेसी विचारधारा की हार है! अभी आपसे जय श्री राधारानी सरकार की और जय श्रीकृष्ण भी कहलवाना है!

एमपी के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, “राहुल बाबा का ज्ञान, बाबा-बाबा ब्लैक शीप तक ही सीमित है। अरे भाई राम की शुरुआत श्री से ही होती है और श्री जो हैं, वह विष्णु भगवानजी की पत्नी लक्ष्मी और सीता जी के लिए ही इस्तेमाल होता है… जरा खोल कर तो देख लें इतिहास। उन्होंने कहा कि रामायण बुक पढ़ेंगे नहीं और गीता के पन्ने शायद उन्होंने पलटे ही नहीं होंगे तो इंटरनेट पर देख लें उसमें श्री का उल्लेख है। श्री राम और कृष्ण विष्णु जी के अवतार हैं और इसीलिए उनके नाम के आगे श्री लगता है। मुझे लगता है आपको यह बात उन्हीं पंडितजी ने बताई होगी जिन्होंने मंदिर का केक बनाकर कमलनाथ जी से कटवाया था।“

आपको बता दें कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा शुक्रवार को मध्य प्रदेश को आगर-मालवा में थी। इस दौरान आगर में एक सभा को संबोधित करते हुए ‘जय श्रीराम’, ‘जय सियाराम’ और ‘हे राम’ के नारों की अपने अंदाज में व्याख्या की। चलिए अब आपको बताते हैं कि राहुल ने क्या कहा था…

  • जय सियाराम’ इसका मतलब क्या है? जय सीता और जय राम, मतलब सीता और राम एक ही हैं। इसलिए नारा है जय सियाराम या जय सीताराम। भगवान राम सीता जी की इज्जत के लिए लड़े। हम जयसिया राम कहते हैं और समाज में महिलाओं का सीता की तरह आदर करते हैं।
  • जय श्रीराम, इसमें हम राम भगवान की जय कहते हैं। पंडित जी ने मुझसे कहा कि आप अपनी स्पीच में पूछिए कि भाजपा के लोग जय श्रीराम करते हैं, लेकिन जय सियाराम और हे राम क्यों नहीं करते।
  • RSS और भाजपा के लोग, जिस भावना से भगवान राम ने अपनी जिंदगी जी, उस भावना से जिंदगी नहीं जीते हैं। राम ने किसी के साथ अन्याय नहीं किया।
  • राम ने समाज को जोड़ने का काम किया। राम ने सबको इज्जत दी। RSS और भाजपा के लोग भगवान राम के जीने के तरीके को नहीं अपनाते। वो सियाराम और सीताराम कर ही नहीं सकते, क्योंकि उनके संगठन में एक महिला नहीं है, तो वो जय सिया राम का संगठन ही नहीं है, उनके संगठन में सीता तो आ ही नहीं सकती, सीता को तो बाहर कर दिया। ये बातें मुझे एक पंडित जी ने सड़क पर कहीं।
  • मैं RSS के लोगों से कहना चाहता हूं कि जय श्रीराम, जय सियाराम और हे राम का प्रयोग कीजिए। सीता जी का अपमान मत कीजिए।
  • गांधी जी हे राम कहते थे। गांधी जी का नारा था हे राम। हे राम का मतलब क्या? हे राम का मतलब राम एक जीने का तरीका था, भगवान राम सिर्फ एक व्यक्ति नहीं थे, एक जिंदगी जीने का तरीका थे, प्यार, भाईचारा, इज्जत, तपस्या, उन्होंने पूरी दुनिया को जीने का तरीका सीखाया।
  • गांधी जी हे राम कहते थे, उनका मतलब था, जो भगवान राम है, वो भावना हमारे दिल में है। और उसी भावना को लेकर हमें जिंदगी जीना है। ये हैं हे राम।

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