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मनोरंजन

बयान पर बवालः इजरायल के फिल्म मेकर नदाव लैपिड ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ को बताया, वल्गर और प्रोपेगेंडा फिल्म, अशोक पंडित और अनुपम खेर ने की बयान की निंदा

गोवाः विवेक अग्निहोत्री की फिल्म कश्मीर फाइल एक बार फिर चर्चा में है। दरअसल इस फिल्म को लेकर इजरायल के फिल्म मेकर नदाव लैपिड एक बयान दिया है, जिस पर बवाल मच गया है। नदाव लैपिड ने गोवा में 53वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (IFFI) के समापन समारोह में सोमवार को ‘द कश्मीर फाइल्स’ को वल्गर और प्रोपेगेंडा फिल्म करार दिया। आपको बता दें कि नदाव लैपिड जब ये बयान दे रहे थे, उस समय मंच पर केंद्रीय मंत्री सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर भी मंच पर मौजूद थे।

आपको बता दें कि नदाव लैपिड के इस विवादित बयान के बाद उन्हें IFFI जूरी हेड बनाने वाली कमेटी भी निशाने पर आ गई है। लैपिड का नाम जूरी हेड के लिए जिन्होंने सुझाया था, उनमें करण जौहर, प्रसून जोशी, मनोज मुंतशिर, खुशबू सुंदर, प्रियदर्शन, बॉबी बेदी, हृषिता भट्ट, निखिल महाजन, ​​​​​​रवि कोट्‌टाराकारा, सुखविंदर सिंह और वाणी त्रिपाठी जैसे दिग्गज शामिल हैं।

उधर, भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने नदाव लैपिड को इस बयान को लेकर कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि भारत की मेजबानी और दोस्ती के बदले लैपिड के बयान पर मैं शर्मिंदा हूं और माफी मांगता हूं। उन्होंने कहा कि लैपिड का बयान असंवेदनशील और अभिमान से भरा हुआ है। आपको शर्म आनी चाहिए।

​​​​​​वहीं, बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर और फिल्म मेकर अशोक पंडित ने नदाव लैपिड के बयान पर विरोध जताया है। अनुपम खेर ने कहा कि भगवान उन्हें सदबुद्धि दें। वहीं, पंडित ने कहा कि कश्मीर फाइल्स को अश्लील नहीं कहा जा सकता है। उधर फिल्म फेस्टिवल की जूरी ने भी इस बयान से दूरी बना ली है। जूरी ने कहा कि यह लैपिड की निजी राय है। अब चलिए आपको बताते हैं कि फिल्म कश्मीर फाइल्स को लेकर नदाव लैपिड ने क्या कहा…

नदाव लैपिड  ने कहा, ”द कश्मीर फाइल्स फिल्म देखकर हम सभी डिस्टर्ब और हैरान थे। यह फिल्म हमें अश्लील और प्रोपेगेंडा बेस्ड लगी। इतने प्रतिष्ठित फिल्म समारोह के लिए ये फिल्म उचित नहीं है। मैं आप लोगों के साथ अपनी फीलिंग को खुले तौर पर इसीलिए शेयर कर सकता हूं, क्योंकि इस समारोह की आत्मा ही यही है कि हम यहां आलोचनाओं को स्वीकार करते हैं और उस पर चर्चा करते हैं।

इस समारोह में हमने डेब्यू कॉम्पिटिशन में 7 फिल्में देखीं और इंटरनेशनल कॉम्पिटिशन में 15 फिल्में देखीं। इसमें से 14 फिल्म सिनेमैटिक फीचर्स वाली थीं। 15वीं फिल्म द कश्मीर फाइल्स से हम सभी को परेशान और हैरान करने वाली थी।”

नदाव लैपिड का यह बयान सोशल मीडिया में वायरल हो गया है। उनके इस बयान की कई लोगों ने निंदा की है। फिल्म मेकर अशोक पंडित ने कहा कि फिल्म के लिए इस्तेमाल की गई लैपिड की इस भाषा पर मुझे कड़ी आपत्ति है। तीन लाख कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार को चित्रित करना अश्लील नहीं कहा जा सकता। मैं एक कश्मीरी पंडित के रूप में इस बेशर्म बयान की निंदा करता हूं।

उन्होंने कहा, अनुराग ठाकुर जी, मैं एक कश्मीरी पंडित जिसने नरसंहार देखा है, मांग करता हूं कि हमारी त्रासदी को अभद्र बताने वाले नदाव लपिड के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

वहीं इस फिल्म में अहम किरदार निभाने वाले अभिनेता दर्शन कुमार ने कहा कि किसी भी फिल्म को देखने के बाद हर व्यक्ति की अपनी राय होती है। लेकिन इस फैक्ट से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कश्मीर फाइल्स एक ऐसी फिल्म है, जिसमें कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा के बारे में बताया गया है। ये लोग अभी भी आतंकवाद के खिलाफ न्याय के लिए लड़ रहे हैं। इसलिए यह फिल्म अश्लीलता पर नहीं, बल्कि वास्तविकता पर है।

वहीं, कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि पीएम मोदी, उनकी बीजेपी सरकार, दक्षिणपंथी इकोसिस्टम सबने मिलकर कश्मीर फाइल्स को प्रमोट किया। उस फ़िल्म को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ने खारिज कर दिया है। ज़्यूरी प्रमुख ने इसे प्रोपेगेंडा-भद्दा बताया है और इसे फिल्म फेस्टिवल के लिए अनुचित बताया।

आपको बता दें कि फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ 11 मार्च 2022 को सिनेमा घरों में रिलीज हुई थी। यह फिल्म 1990 में हुए कश्मीर विद्रोह पर आधारित है। फिल्म में कश्मीरी हिंदुओं के पलायन और नरसंहार दर्दनाक की कहानी को दर्शाया गया है। इस फिल्म में अनुपम खेर, पल्लवी जोशी और मिथुन चक्रवर्ती जैसे स्टार्स ने लीड रोल निभाया है। कश्मीर फाइल्स ने अच्छा कारोबार किया था। इसने बॉक्स ऑफिस पर 290 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई की थी।

इस फिल्म की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी संसदीय दल की बैठक में फिल्म की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि ऐसी फिल्में बनती रहनी चाहिए। इनसे सच उजागर होता है। फिल्म में जो दिखाया गया है, कश्मीर के उस सच को दबाने की कोशिश की जाती रही है। सब फ्रीडम ऑफ स्पीच की बात करते हैं। इस देश में इमरजेंसी जैसी बड़ी घटना हुई, लेकिन इस पर कोई फिल्म नहीं बनीं। क्योंकि सत्य को बताने का लगातार प्रयास नहीं हुआ।

General Desk

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