संवाददाता- नरेन्द्र कुमार वर्मा, प्रखर प्रहरी

दिल्लीः अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में धूमधाम से वार्षिक सांस्कृतिक और खेल उत्सव मनाया गया। रंगारंग आयोजन में छात्रों द्वारा रैंप वॉक सहित कई प्रदर्शन किए गए। संस्थान के डॉक्टरों और कर्मचारियो ने भी दिखाई प्रतिभा।कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पदम् श्री पुरस्कार विजेता जोड़ी नलिनी अस्थाना और कमलिनी अस्थाना थी।

नलिनी अस्थाना और कमलिनी अस्थाना कथक के बनारस घराने की प्रसिद्ध नर्तकियाँ हैं और उन्होंने दुनिया भर में भारतीय नृत्य शैली को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कोई भी रचनात्मक कला मन, शरीर और आत्मा को फिर से जीवंत कर देती है। कमलिनी अवस्थी ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम में प्रतिभागियों की रचनात्मक भावनाओं को बढने का मौका मिलता है और कलाकारों का दिल सकारात्मकता से भर जाता है। यही रचनात्मकता हमें बेहतर इंसान बनने और बेहतर समाज बनाने में मदद करती है। बाहरी स्रोतों से आने वाला बहुत सारा ज्ञान शैक्षणिक संस्थानों में हमारे दिमाग में प्रवेश करने से आता है जबकि इसके विपरीत, कला की भावना अंदर पैदा होती है और खुशी की स्थिति में बाहर प्रदर्शित होती है।

आनंदोत्सव नाम से शुरू हुआ यह कार्यक्रम अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान का वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम था, जिसमें अनेक दिलचस्प घटनाओं जैसे कि कबाड़ से जुगाड़, आयुर्वेदिक शब्दावली पर आधारित डंब चरडे, आयुर्वेदिक श्लोकों की एक अंताक्षरी और विभिन्न नृत्य और संगीत प्रदर्शन भी हुए।समापन समारोह की शुरुआत एआईआईए की निदेशक प्रो. (डॉ.) तनुजा नेसारी ने सभी मुख्य अतिथियों के साथ दीप प्रज्वलन के साथ की। इस मौके पर डॉ तनुजा मनोज नेसारी ने संस्थान की विभिन्न पहलों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा आनंदोस्तव हमारे संस्थान के डॉक्टरों, कर्मचारियों, प्रोफेसरों, छात्रों की कड़ी मेहनत और प्रयासों का जश्न हैं। आज एआईआईए ने भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में अपनी जगह बनाई हैं।

दुनिया के विभिन्न हिस्सों के कई प्रतिनिधिमंडलों ने अपने-अपने देशों में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए हमारे साथ काम करने की इच्छा दिखाई है।नेसरी ने कला और संस्कृति के क्षेत्र में मुख्य अतिथियों का स्वागत भी किया और उन्हें भारत में कत्थक का दूत बताते हुए कला और संस्कृति के क्षेत्र में उनके योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने स्वागत भाषण के दौरान अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की विभिन्न उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा, “हम पद्म श्री बहन की जोड़ी को पाकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं, जिन्हें समुद्र तल से 18,000 वर्ग फुट की ऊंचाई पर प्रदर्शन करने के लिए दुनिया भर में जाना जाता है।” इस कार्यक्रम में

निदेशक ने फैकल्टी इंचार्ज कामिनी धीमान, डॉ. योगेश, डॉ. शालिनी राय, डॉ. अरुण कुमार महापात्र, डॉ. नम्रता, डॉ. निधि शर्मा, डॉ. शिवानी गिलधियाल, डॉ. प्रशांत धर्मराजन, डॉ. प्रशांत गुप्ता, डॉ. प्रशांत गुप्ता, डॉ. अनंतरमण पीवी, डॉ. मीना देवगड़े, डॉ. कमल कुमार, डॉ. अंकुर त्रिपाठी, डॉ. मीरा भोजानी, डॉ. शिव कुमार हर्ती, डॉ. प्रमोद यादव, डॉ. संदीप सिंह तिवारी, डॉ. दिव्या कजारिया, डॉ. संतोष कुमार भट्टेड और डॉ. ऋचा त्रिपाठी को उनके योगदान के लिए जमकर सराहा।एआईआईए, भारत में आयुर्वेद का शीर्ष संस्थान, आयुष मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है, जिसका उद्देश्य आयुर्वेद के पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक उपकरणों और प्रौद्योगिकी के बीच तालमेल लाना है।

संस्थान में 25 विशेष विभाग, 8 अंतर-अनुशासनात्मक अनुसंधान प्रयोगशालाओं के साथ 12 क्लीनिक और आयुर्वेद में वैश्विक प्रचार और अनुसंधान के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सहयोगी केंद्र है। आयुर्वेद चिकित्सा और स्वास्थ्य विज्ञान की सबसे पुरानी प्रणाली है जो 3,000 से अधिक वर्षों से चली आ रही है। आयुर्वेद का मुख्य उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा के बीच आध्यात्मिक संतुलन को बहाल करना है। न केवल भारत में बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में जीवन विज्ञान की बहुत मांग है।

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