न्यूयॉर्कः कश्मीर के मुद्दे पर बार-बार मुंह की खानी के बाद भी पाकिस्तान सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। पाकिस्तान ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया, जिसको लेकर भारत ने उसे लताड़ लगाई। भारत ने पाकिस्तान के इस कदम को झूठ फैलाने की कोशिश कर दिया। संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत के स्थायी मिशन के काउंसलर प्रतीक माथुर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अटूट हिस्सा है।

माथुर ने कहा, “हम यहां संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) रिफोर्म की बात कर रहे हैं लेकिन पाकिस्तान के एक प्रतिनिधि ने फिर से जम्मू-कश्मीर का अनुचित संदर्भ दिया है। वे मानें या न मानें जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। पाकिस्तान झूठ फैलाने की कोशिश कर रहा है। इसमें वे कभी कामयाब नहीं होंगे।“

उन्होंने कहा, “पाकिस्तान मल्टीनेशनल फोरम्स यानी बहुपक्षीय मंचों का इस्तेमाल करके झूठ फैला रहा है। वे ऐसा शायद सहानुभूति हासिल करने के लिए कर रहा है। ये काफी निराशाजनक है।“

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के समान प्रतिनिधित्व पर G4 को लेकर भाषण दिया। आपको बता दें कि भारत समेत चार देशों के समूह जी-4 ने गुरुवार को चेताया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार को जितना टाला जाएगा, उतना ही उसके प्रतिनिधित्व में कमी आएगी। जी-4 ने कहा कि अगर यूएनएससी की सदस्यता में विस्तार किया जाता है तो इससे मौजूदा संघर्षों से प्रभावी तरीके से निपटा जा सकेगा। जी-4 समूह में भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान हैं।

रुचिरा कंबोज ने कहा कि यूएनएससी में समान प्रतिनिधित्व पर प्रस्ताव करीब 40 साल पहले 1979 में महासभा के एजेंडा में शामिल किया गया था। उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्य की बात है कि चार दशक बाद भी इस मुद्दे पर कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।’ उन्होंने समान प्रतिनिधित्व और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता में विस्तार तथा सुरक्षा परिषद से जुड़े अन्य मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में जी-4 की ओर से बोल रही थीं।

 

भारत की खरी-खरीः आपको बता दें कि इससे पहले मई 2022 में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ओपन डिबेट में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को निरस्त करने और परिसीमन आयोग के हालिया आदेश का मुद्दा उठाया था। उन्होंने भारत में कश्मीरी लोगों के उत्पीड़न और उन पर अत्याचार का भी आरोप लगाया था।

इन आरोपों को गलत बताते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के काउंसलर राजेश परिहार ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का एक अभिन्न हिस्सा थे, हैं और रहेंगे। इसमें वे क्षेत्र भी शामिल हैं जो पाकिस्तान के कब्जे में हैं। इससे कोई भी देश इनकार नहीं कर सकता है। पाकिस्तान हमारी मदद करना चाहता है तो वह स्टेट स्पॉन्सर्ड आतंकवाद को रोकने में योगदान दे सकता है।

इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने UNGA के 77वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा था कि वो वह पाकिस्तान और भारत के बीच शांति और अच्छे व्यवहार चाहते हैं। ये शांति जम्मू-कश्मीर विवाद के न्याय और स्थायी समाधान पर निर्भर है।

शाहबाज शरीफ ने कश्मीर को लंबा विवाद करार देते हुए कहा- भारत ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को बदलने के लिए 5 अगस्त 2019 को एकतरफा कदम उठाया। भारत के फैसले से समाधान और मुश्किल हो गया है। जम्मू कश्मीर को हिंदू टेरेटरी बनाने की साजिश हो रही है। यहां भारत के फैसले से उनका मतलब कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने से था।

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