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जेल में राजीव गांधी हत्याकांड की दोषी से मिली थीं प्रियंका, नलिनी बोली, पिता की हत्या के बारे में पूछा और रो पड़ीं - Prakhar Prahari
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जेल में राजीव गांधी हत्याकांड की दोषी से मिली थीं प्रियंका, नलिनी बोली, पिता की हत्या के बारे में पूछा और रो पड़ीं

दिल्लीः पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के 6 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शनिवार को जेल से रिहा कर दिया गया। इसमें सबसे चर्चित नाम नलिनी रविवार को बताया कि राजीव गांधी की बेटी प्रियंका 2008 में मुझसे वेल्लोर सेंट्रल जेल में मिलने आई थीं। उन्होंने पिता की हत्या के बारे में सवाल किया। मैं जो कुछ भी जानती थी, सारी जानकारी प्रियंका को दी, जिसे सुन वह रो पड़ीं।

नलिनी से मुलाकात के दौरान हुई बातचीत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने पूरी जानकारी देने से इनकार कर दिया। उसका कहना था कि उस मुलाकात में और क्या बातें हुईं, इसका खुलासा नहीं किया जा सकता। ये प्रियंका के निजी विचार थे, जिन्हें मैं नहीं बता सकती हूं।

नलिनी ने कहा कि मैं गांधी परिवार की आभारी हूं। मौका मिला तो मैं उनसे जरूर मिलूंगी। मैं तमिलनाडु में कुछ जगह जाकर देखना चाहती हूं। विशेष रूप से कमला सर मेमोरियल। मैं उन सभी लोगों से मिलना चाहती हूं जिन्होंने मुझे जेल से बाहर निकलने में मदद की। मैं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से भी मिलना चाहती हूं। मैं उनसे मिलकर उनका शुक्रिया अदा करना चाहती हूं।

नलिनी ने जेल के दिनों को याद करते हुए कहा कि मैं दो महीने की प्रेग्नेंट थी, फिर भी मुझे जेल में रखा गया। वहां लोग फांसी की सजा पाए दोषियों की तरह व्यवहार करते थे। अब परिवार मेरी प्राथमिकता है। मेरा पूरा जीवन बर्बाद हो चुका है। इसलिए मैं अब घर में रहकर परिवार पर ध्यान दूंगी। मेरे पति वी श्रीहरन उर्फ ​​मुरुगन जहां भी जाएंगे, मैं वहीं जाऊंगी। 55 वर्षीय की नलिनी ने कहा वह निर्दोष हैं। आपको बता दें कि नलिनी देश में सबसे लंबे समय तक जेल में रहने वाली महिला कैदी हैं। उन्हें 1991 में 24 साल की उम्र में गिरफ्तार किया गया था।

आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के छह दोषियों को शनिवार शाम तमिलनाडु की अलग-अलग जेलों से रिहा किया गया। इनमें नलिनी श्रीहरन, उसका पति वी श्रीहरन के अलावा संथन, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन शामिल हैं। इनमें श्रीहरन और संथन श्रीलंका के नागरिक हैं।

सोनिया ने नलिनी को माफ कर दिया थाः आपको बतका दें कि नलिनी को राजीव गांधी की हत्या के आरोप में जब गिरफ्तार किया गया था, तब वह गर्भवती थी। उसकी प्रेग्नेंसी को दो महीने हो गए थे। तब सोनिया गांधी ने नलिनी को माफ कर दिया था। उन्होंने कहा था कि नलिनी की गलती की सजा एक मासूम बच्चे को कैसे मिल सकती है, जो अब तक दुनिया में आया ही नहीं है।

आपको बता दें कि 21 मई, 1991 को राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान धनु नाम की एक लिट्टे आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी थी। लिट्टे की महिला आतंकी धनु (तेनमोजि राजरत्नम) ने राजीव को फूलों का हार पहनाने के बाद उनके पैर छूए और झुकते हुए कमर पर बंधे विस्फोटकों में ब्लास्ट कर दिया। धमाका इतना जबर्दस्त था कि कई लोगों के चीथड़े उड़ गए। राजीव और हमलावर धनु समेत 16 लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि 45 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।

पूर्व राजीव गांधी की हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट ने साजिश में शामिल 26 दोषियों को मृत्युदंड दिया था। मई 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने 19 लोगों को बरी कर दिया। बचे हुए सात में से चार आरोपियों (नलिनी, मुरुगन उर्फ श्रीहरन, संथन और पेरारिवलन) को मृत्युदंड सुनाया और बाकी (रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार) को उम्रकैद। चारों की दया याचिका पर तमिलनाडु के राज्यपाल ने नलिनी की मृत्युदंड को उम्रकैद में बदला। बाकी आरोपियों की दया याचिका 2011 में राष्ट्रपति ने ठुकरा दी।

भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे राजीवः 1984 में तत्काली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस तीन-चौथाई सीटें जीतने में कामयाब रही थी। उस समय कांग्रेस ने 533 में से पार्टी ने 414 सीटें जीतीं। राजीव जब प्रधानमंत्री बने, तब उनकी उम्र महज 40 साल थी। वे देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल में स्कूलों में कंप्यूटर लगाने की व्यापक योजना बनाई। राजीव गांधी के कार्यकाल में ही जवाहर नवोदय विद्यालय स्थापित हुए। गांव-गांव तक PCO के जरिए टेलीफोन पहुंचे।

इस दौरान भ्रष्टाचार के आरोप भी उन पर लगे। सिख दंगे, भोपाल गैस कांड, शाहबानो केस, बोफोर्स कांड, काला धन और श्रीलंका नीति को लेकर राजीव सरकार की आलोचना हुई। लिहाजा चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और वीपी सिंह की सरकार बनी। 1990 में ये सरकार गिर गई और कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर की सरकार बनी। 1991 में यह सरकार भी गिर गई और चुनाव का ऐलान हुआ। इन्हीं चुनावों के लिए प्रचार करने राजीव तमिलनाडु गए थे। जहां उनकी हत्या कर दी गई।

General Desk

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