दिल्लीः 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। उस समय तीन रियासतों के विलय का मामला उलझा हुआ था। ये तीन रजवाड़े थे- जूनागढ़, कश्मीर और हैदराबाद। तीनों में हैदराबाद और जूनागढ़ की स्थिति एक-सी थी। इन दोनों रियासतों में 80 प्रतिशत से 85 फीसदी आबादी हिंदू थी और शासक मुस्लिम, लेकिन कश्मीर में परिस्थिति उल्टी थी। वहां राजा हिंदू था और तीन-चौथाई कश्मीरी मुसलमान थे।
अंग्रेजी हुकूमत ने इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 लागू किया था। इसके तहत लैप्स ऑफ पैरामाउंसी ऑप्शन दिया गया था। इससे राजा अपनी रियासत को भारत या पाकिस्तान से जोड़ सकते थे या फिर अपना स्वतंत्र राष्ट्र बना सकते थे। 15 अगस्त 1947 को जूनागढ़ के लोग कंफ्यूज थे क्योंकि जूनागढ़ के नवाब महाबत खान ने पाकिस्तान जाने का ऐलान कर दिया था। जूनागढ़ के दीवान शाहनवाज भुट्टो की इसमें मुख्य भूमिका रही थी।
इतिहासकार और महात्मा गांधी के पौत्र राजमोहन गांधी ने अपनी किताब- ‘पटेल अ लाइफ’ में लिखा है कि सरदार को कश्मीर में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन जब जिन्ना ने अपने ही धार्मिक आधार पर बंटवारे के सिद्धांत के खिलाफ जाकर जूनागढ़ और हैदराबाद को पाकिस्तान में जोड़ने की कोशिश की तो पटेल कश्मीर में दिलचस्पी लेने लगे थे।
यदि जिन्ना बिना किसी परेशानी के जूनागढ़ और हैदराबाद को हिंदुस्तान में आने देते तो कश्मीर को लेकर विवाद ही नहीं होता और वह पाकिस्तान में चला जाता। जिन्ना ने इस डील को ठुकरा दिया था। जूनागढ़ के सियासी हालात ऐसे थे कि लोग भी उग्र हो रहे थे। जूनागढ़ में तब लोगों ने सत्ता अपने हाथ में ली और आरझी हुकूमत बनाई।
इस लोकसेना के सरसेनापति रतुभाई अदाणी ने कहा था कि सरदार पटेल चाहते हैं कि जूनागढ़ के लोगों को ये जंग लड़नी चाहिए। अगर जूनागढ़ के लोग और उनके प्रतिनिधि आवाज उठाएंगे तो ही जूनागढ़ भारत में रह पाएगा। तब 23 सितंबर 1947 को आरझी हुकूमत बनाने का फैसला हुआ और 25 सितंबर को घोषणापत्र भी बना था।
8 नवंबर को भुट्टो ने दरख्वास्त दी कि आरझी हुकूमत नहीं बल्कि भारत सरकार जूनागढ़ का कब्जा ले लें। इसी आधार पर 9 नवंबर 1947 को भारत ने जूनागढ़ को नियंत्रण में लिया। इसके बाद जूनागढ़ का स्वतंत्रता दिवस 9 नवंबर को मनाया जाता है। सरदार पटेल की नाराजगी के बावजूद जूनागढ़ में 20 फरवरी 1948 को जनमत संग्रह कराया गया। 2,01,457 रजिस्टर्ड वोटर्स में से 1,90,870 लोगों ने वोट दिया। इसमें पाकिस्तान के लिए सिर्फ 91 मत मिले थे।
विशेषः अगस्त 2020 में उस समय विवाद खड़ा हुआ जब पाकिस्तान ने नया नक्शा जारी किया और जूनागढ़ को पाकिस्तान का हिस्सा बताया।
राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसलाः 09 नवंबर 1989 को अयोध्या में राममंदिर का शिलान्यास किया गया था। इसके ठीक 30 साल बाद यानी 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। पांच जजों की संविधान बेंच ने विवादित जमीन पर रामलला के हक में फैसला सुनाया। मुस्लिम पक्ष को नई मस्जिद बनाने के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन देने के भी निर्देश दिए। इससे सदियों पुराना विवाद खत्म हो गया।
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में अयोध्या मामले पर जो फैसला सुनाया, उसे सभी पक्षों ने मानने से इनकार कर दिया था। 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को मुस्लिम पक्ष, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़े में बराबर बांट दिया था।
खैर, पिछले साल आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर बनाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के लिए भूमिपूजन कार्यक्रम किया।
राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवसः सभी नागरिकों के लिये उचित निष्पक्ष और न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित करने हेतु जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 9 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस मनाया जाता है।
विश्व उर्दू दिवसः हर साल भारत में 9 नवम्बर को विश्व उर्दू दिवस (आलमी यौम-ए-उर्दू) मनाया जाता है। यह उर्दू के प्रसिद्ध शायर मुहम्मद इक़बाल का जन्मदिन भी है। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 09 नवम्बर को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर-