दिल्लीः आज सात नवंबर यानी महान वैज्ञानिक सीवी रमन का जन्मदिन है। विज्ञान का नोबेल जीतने वाले पहले भारतीय रमन का जन्म 07 नवंबर 1888 में मद्रास प्रेसीडेंसी में हुआ था। सीवी रमन ने साबित किया कि जब किसी पारदर्शी वस्तु के बीच से प्रकाश की किरण गुजरती है तो उसकी वेव लेंथ (तरंग दैर्ध्य) में बदलाव दिखता है। इसे रमन इफेक्ट कहा जाता है। अपने इसी आविष्कार के लिए उन्हें 1930 में विज्ञान का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। सर सीवी रमन को विज्ञान के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए 1954 में भारत रत्न से नवाजा गया था।
सीवी रमन ने 1907 में असिस्टेंट अकाउंटेंट जनरल की नौकरी की, लेकिन हमेशा से विज्ञान ही उनका पहला प्यार रहा। वे किसी न किसी तरह लैबोरेटरी में पहुंचकर अपनी रिसर्च करते रहते थे। 1917 में उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ी और कलकत्ता यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर हो गए। यहीं पर 28 फरवरी 1928 को उन्होंने केएस कृष्णन समेत अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर रमन इफेक्ट की खोज की। यही कारण है कि इस दिन को भारत में हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। सीवी रमन का 82 साल की आयु में 1970 में निधन हो गया।
रमन इफेक्ट का इस्तेमाल आज भी कई जगहों पर हो रहा है। जब चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी होने की घोषणा की तो इसके पीछे भी रमन स्पैक्ट्रोस्कोपी का ही कमाल था। फॉरेंसिक साइंस में भी रमन इफेक्ट काफी उपयोगी साबित हो रहा है। अब यह पता लगाना आसान हो गया है कि कौन-सी घटना कब और कैसे हुई थी।
मैडम क्यूरी का जन्मदिनः मैरी क्यूरी यानी मैडम क्यूरी का जन्म 7 नवंबर 1868 को ही पोलैंड के वार्सा में हुआ था। माता-पिता दोनों शिक्षक थे, इस वजह से पढ़ाई-लिखाई का माहौल मिला। पेरिस में आगे की पढ़ाई के लिए गईं तो वहां पियरे क्यूरी से मुलाकात हुई। पियरे क्यूरी की लैब में काम करते हुए दोनों की दोस्ती रिश्ते में बदल गई और 1895 को दोनों ने शादी कर ली।
मैरी क्यूरी ऐसी इकलौती महिला हैं, जिन्होंने दो बार नोबेल पुरस्कार जीता है। 1903 में फिजिक्स और 1911 में केमिस्ट्री का नोबेल प्राइज। उन्होंने पति के साथ मिलकर रेडियो एक्टिविटी की खोज की, जिसके लिए 1903 में उन्हें संयुक्त नोबेल पुरस्कार मिला। बदकिस्मती से एक साल बाद ही पियरे क्यूरी की एक्सीडेंट में मौत हो गई। मैरी क्यूरी ने पेरिस यूनिवर्सिटी में पढ़ाया और 1911 में केमिस्ट्री में रेडियम के शुद्धिकरण और पोलोनियम की खोज के लिए अपना दूसरा नोबेल प्राइज जीता।
रेडिएशन के संपर्क में आने की वजह से अपलास्टिक एनीमिया का शिकार होकर 4 जुलाई 1934 को उनकी मौत हो गई। खास बात यह था कि मैरी क्यूरी की बेटी आइरिन ने भी 1935 में केमिस्ट्री का नोबेल प्राइज जीता।
बिपिन चंद्र पाल का जन्मदिनः 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी के शुरु में भारत (India) में आजादी का आंदोलन अपना स्वरूप लेने के लिए छटपटा रहा था। 19वीं सदी के अंतिम दशक में कांग्रेस नरम और गरम दल में बंट गई थी। प्रारंभ में नरम दल के नेता प्रभावी दिखे, लेकिन बाद में गरम दल के नेता ज्यादा सुर्खियों में रहे। इनमें बाल, पाल और लाल यान बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल और लाला लाजपत राय की तिकड़ी बहुत प्रसिद्ध हुई। पंजाब के लाल, महाराष्ट्र से बाल और बंगाल के पाल अपने क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि देशभर में लोकप्रिय हो गए थे। इस तिकड़ी में बिपिन चंद्र पाल (Bipin Chandra Pal) को क्रांतिकारी विचारों का जनक के तौर पर जाना जाता है.
पाल यानी बिपिन चंद्र पाल एक एक शिक्षक, समाज सुधारक, वक्ता, लेखक और पत्रकार के रूप में भी एक जाना माना नाम था। पाल का जन्म 07 नवंबर 1858 को तत्कालीन बंगाल के सिल्हेट जिले के पोइली गांव में हुआ था, जो मौजूदा समय में बांग्लादेश में है। पाल के पिता रामचन्द्र पाल जमींदार होने के साथ- साथ फारसी भाषा के भी विद्वान थे।
पाल को भारत में क्रांतिकारी विचारों का जनक भी कहा जाता है। बचपन से ही पाल के विचारों में ओज और स्पष्टता साफ झलकती थी और वे अपनी बात रखने में कभी पीछे नहीं रहते थे। पाल जितने स्पष्टवादी सार्वजनिक जीवन में रहे उतने ही स्पष्टवादी और क्रांतिकारी अपने निजी जीवन में भी रहे। उन्होंने अपनी पहले पत्नी की मौत के बाद एक विधवा से शादी की जो उनके समय में बहुत ही बड़ी बात थी।
कांग्रेस से जुड़ते ही पाल जल्दी ही एक बड़े नेता के रूप में स्थापित हो गए। जल्दी ही उनकी दोस्ती लाला लाजपत राय और बाल गंगाधर तिलक से हो गई। इसके बाद तीनों ने मिलकर क्रांतिकारी परिवर्तन के विरोध के उग्र स्वरूपों को अपनाया और जल्दी ही देश में लाल बाल पाल के नाम से मशहूर हो गए। पूर्ण स्वराज, स्वदेशी आंदोलन, बहिष्कार और राष्ट्रीय शिक्षा देश के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख हिस्से हो गए जिसमें पास के साथ अरविंद घोष का भी नाम जुड़ गया था।
पाल ने स्वदेशी और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार जैसे उपायों के जरिए देश में गरीबी और बेरोजगारी को कम करने की वकालत की. उन्होंने रचनात्मक आलोचना के जरिए देश के लोगों में राष्ट्रवाद की भावना पैदा करे पर जोर दिया. उनका में बंगाल पब्लिक ओपिनियन, द इंडिपेंडेंट इंडिया, लाहौर ट्रिब्यून, द हिन्दू रिव्यु , द न्यू इंडिया, परिदर्शक, द डैमोक्रैट, बन्देमातरम, स्वराज, बंगाली में पत्रिकाओं में उनके ऐसे इरादे साफ तौर पर झलकते थे.
1905 के बाद बाल, पाल और लाल की तिकड़ी बंगाल विभाजन के विरोध में विशेष तौर से देश भर में लोकप्रिय हुई। पाल तो बंगाल में पहले से ही लोकप्रिय हो चुके थे। इस मौके पर अंग्रेजी सरकार के वे मुखर विरोधी हो गए। उनके उग्र और सुधारवादी तरीकों से अंग्रेजों के खिलाफ लोगों को जागरूक करने का काम करते रहे। आइएक एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 07 नवंबर को घटित हुईं घटनाओं पर-
1831: ब्राजील में गुलामों का व्यापार प्रतिबंधित हुआ।
1862ः मुगल सल्तनत के अंतिम शासक बहादुर शाह द्वितीय का रंगून में निधन हुआ।
1876 : बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने बंगाल के एक गांव में वन्दे मातरम् गीत की रचना की थी।
1893ः कोलोराडो में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला।
1917: रूस में सफल बोल्शेविक क्रांति।
1951: जार्डन में संविधान पारित किया गया।
1968: तत्कालीन सोवियत संघ ने परमाणु परीक्षण किया।
1978ः इंदिरा गांधी को भारतीय संसद के लिए दोबारा चुना गया।
1982ः तुर्की में संविधान को लागू किया गया।
1996: भारत में तूफान की वजह से आंध्र प्रदेश में 2,000 लोगों की मौत हुई।
1996 : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मार्स ग्लोबल सर्वेयर का प्रक्षेपण किया।
1998 : दुनिया का सबसे बुजर्ग जॉन ग्लेन नाम का अंतरिक्षयात्री सुरक्षित धरती पर वापस लौटे।
1998 : अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत और पाकिस्तान पर लगे प्रतिबंधों में ढील देने की घोषणा की।
2000 : अमेरिकी राष्टपति पद हेतु मतदान संपन्न।
2000: भारत में हरित क्रांति के जनक सी. सुब्रह्मण्यम का निधन हुआ।
2002ः ईरान ने अमेरिकी उत्पादों के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाया।
2003ः अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश ने गर्भपात पर रोक संबंधी विधेयक पर हस्ताक्षर किए।
2005ः कुख्यात डकैत निर्भय सिंह गुज्जर (64) की पुलिस मुठभेड़ में मौत।
2006 : भारत और आसियान विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के लिए एक फ़ंड बनाने पर सहमत हुए।
2008 : कश्मीर के प्रसिद्ध कवि रहमान राही को ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया।
2012ः ग्वाटेमाला में भूकंप से 52 की मौत हुई।
2018ः यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या किया। एक महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया था।
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