दिल्लीः राष्ट्रीय दिल्ली में लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। यहां पर शुक्रवार सुबह एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 472 तक पहुंच गया। पूरी दिल्ली में घने कोहरा छाया हुआ है। आपको बता दें कि AQI हवा की क्वालिटी मापने का पैमाना है, 450 से ऊपर होने पर इसे बेहद गंभीर माना जाता है यानी फेफड़ों के लिए खतरनाक यह बेहत खतरनाक है। बढ़ते प्रदूषण के कारण नोएडा प्रशासन ने शुक्रवार से 8वीं तक के बच्चों की क्लासेस ऑनलाइन लेने का फैसला किया है। वहीं, दिल्ली में शनिवार से प्राइमरी स्कूल बंद रहेंगे। इस बात की जानकारी दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।
उधर, प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस मामले पर 10 नवंबर को सुनवाई होगी। बढ़ते पॉल्यूशन के कारण दिल्ली में ग्रेैप की चौथी स्टैज लागू हो गई है। इसके तहत एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमिशन ने दिल्ली- NCR में डीजल से चलने वाले वाहनों पर रोक लगा दी है। हालांकि, CNG और इलेक्ट्रिक वाहनों पर कोई बैन नहीं है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के आंनद विहार में AQI 473, मुंडका में AQI 476, वजीरपुर में AQI 475, नरेला में AQI 477, जहांगीरपुरी में AQI 485, रोहिणी में AQI 474, विवेक विहार में AQI 475, नजफगढ़ में AQI 481, इंडिया गेट पर AQI 448, IGI एयरपोर्ट पर AQI 453, अशोक विहार में AQI 471, सोनिया विहार में AQI 473, अलीपुर में AQI 476, आईटीओ पर AQI 444, मंदिर मार्ग पर AQI 374 एक्यूआई दर्ज हुआ है। वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के पास 563 AQI दर्ज किया गया।
सरकार ने उठाए हैं ये कदम…
उधर, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा और ग्रेटर नोएडा में प्रशासन की ओर से शुक्रवार से कक्षा एक से लेकर आठ तक के बच्चों की क्लासेस ऑनलाइन लेने का फैसला किया है। गौतम बौद्ध नगर के जिला विद्यालय निरीक्षक धर्मवीर सिंह ने 9वीं से 12वीं तक की क्लास भी ऑनलाइन चलाने का आदेश दिया है। 8 नवंबर तक सभी स्कूलों में खेल या बैठक जैसी एक्टिविटी पूरी तरह प्रतिबंधित रहेंगी।
धमघोंटू प्रदूषण बढ़ने से अस्पतालों की ओपीडी में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। पहले ओपीडी में हर रोज 20-25 सांस के मरीज आते थे, यह संख्या अब बढ़कर 70-75 हो गई है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दिल्ली सरकार से स्कूलों को बंद करने का आग्रह किया है।
लोकल सर्कल के सर्वे के अनुसार, दिल्ली-NCR के 53% लोगों का कहना है कि पराली जलाना प्रदूषण बढ़ने का प्रमुख कारण है। 20 हजार लोगों पर किए गए सर्वे में 13% ने प्रदूषण के लिए वाहनों को जिम्मेदार माना। वहीं, 56% लोग दिल्ली में ऑड-इवन फॉर्मूला लागू करने का विरोध कर रहे हैं।
प्रदूषण के कारण सिर्फ सांस संबंधी बीमारियां ही नहीं बल्कि हार्ट और ब्रेन स्ट्रोक के साथ ही गर्भपात का भी खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि द लैंसेट की स्टडी बताती है कि वायु प्रदूषण बेहद खराब श्रेणी में होने से गर्भवती के सांस लेने का असर भ्रूण पर होता है। इससे भ्रूण का विकास कम हाेता है, साथ ही गर्भपात का खतरा भी बढ़ता है।
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