दिल्लीः प्रदूषण के कारण दिल्ल और एनसीआर के लोगों को लोगों को परेशानियां का सामना करना पड़ रहा है। विशेषकर दमा से ग्रसित लोगों को बुरा है। मौजूदा समय में सांस की समस्या झेल रहे लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। विशेषज्ञ सुबह के समय सैर से बचने की सलाह दे रहे हैं। इससे निपटने के लिए ग्रैप का तीसरा चरण भी लागू हो चुका है। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के अनुसार, दिल्ली में बुधवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 354 (बहुत खराब) श्रेणी में दर्ज किया गया।

नोएडाः  राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सट नोएडा में हवा की गुणवत्ता भी बेहद खराब है यहां एक्यूआई 406 यानी गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। वहीं, गुरुग्राम में भी स्थिति अच्छी नहीं है और यहां एक्यूआई 346 यानी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पाया गया। दिल्ली का समग्र एक्यूआई 354 यानी बहुत खराब श्रेणी में बना हुआ है। दिल्ली हवाई अड्डे के पास इसे 350 ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया।

नियमों की अनदेखी कर निर्माणः गुरुग्राम का एक्यूआई मंगलवार को 390 दर्ज किया गया। प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए ग्रैप का तीसरा चरण लागू किया गया है। इसके बावजूद शहर में नियमों को दरकिनार कर प्रतिबंधित कार्य जारी है। यहां कृष्णा कॉलोनी इलाके के आधा दर्जन से ज्यादा प्लॉटों में भवनों का निर्माण कार्य चल रहा था।

दिल्ली का बुरा हालः राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का प्रकोप सत्रह दिनों में दस गुने के करीब बढ़ गया है। अक्टूबर की दस तारीख को ही दिल्ली की हवा साल में सबसे ज्यादा साफ-सुथरी रही थी, लेकिन, सिर्फ 17 दिनों के भीतर ही मंगलवार को दिल्ली की हवा साल की सबसे ज्यादा जहरीली हो गई।

गाजियाबादः  दिल्ली से सटे यूपी के गाजियाबाद में वायु प्रदूषण पर लगाम नहीं लग पा रही है। यहां मंगलवार को वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गई। लोनी जनपद का सर्वाधिक प्रदूषित इलाका बना हुआ है। रूपनगर औद्योगिक क्षेत्र में प्लास्टिक के गुल्ले बनाने वाली अवैध फैक्ट्री को जिला प्रशासन ने सील किया। यहां प्लास्टिक का कचरा जलाया जा रहा था।

फरीदाबादः केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार हरियाणा के फरीदाबाद का एक्यूआई 403 दर्ज किया गया। मंगलवार को फरीदाबाद देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा। इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

बढ़ रही हैं बीमारियां- आईएचएमई के अनुसार, हवा में मौजूद दूषित सूक्ष्म कण पीएम 2.5 गंभीर बीमारियों का भी कारण बन रहा है। सांस के जरिए दूषित सूक्ष्म कण फेफड़ों से होते हुए शरीर के नाजुक अंगों तक पहुंच रहा है। इसी कारण दुनियाभर में हृदय, मधुमेह और श्वसन तंत्र से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो रही हैं।

वायु में 22.5 फीसदी पीएम 2.5 कण- केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, गत सोमवार को राजधानी की हवा में पीएम 2.5 कण की कुल मात्रा 22 फीसदी थी, जबकि गत रविवार को प्रदूषित कण की यह मात्रा 26 फीसदी थी। यह पीएम 2.5 का इस साल का सर्वाधिक स्तर है।

क्यों बिगड़ी हवा की गुणवत्ताः  मौसम के अलग-अलग कारकों और पराली के धुएं ने दिल्ली की हवा को बहुत तेजी से प्रदूषित किया है। बंगाल की खाड़ी में बने हवा के कम दबाव के क्षेत्र और पश्चिमी विक्षोभ के सम्मिलन से इस बार अक्तूबर के दूसरे सप्ताह में उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में अच्छी बरसात हुई थी।

क्या कहते हैं आंकड़ेः  इस बारिश का खासा असर वायु गुणवत्ता पर भी पड़ा था। यहां तक कि 10 अक्तूबर के दिन दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 44 के अंक पर रहा था। इस स्तर की हवा को गुड यानी अच्छी श्रेणी में रखा जाता है। इस दिन दिल्ली की हवा सबसे साफ सुथरी रही थी। लेकिन, सिर्फ सत्रह दिनों के भीतर एक नवंबर को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 424के अंक पर पहुंच गया। यानी लगभग दस गुने की बढ़ोतरी हुई है।

दिल्ली के प्रदूषण में 14 फीसदी रही पराली की हिस्सेदारी मंगलवार को पराली के धुएं की हिस्सेदारी 14 फीसदी रही। पराली के धुएं के चलते दिल्ली के वातावरण पर प्रदूषण की एक परत छाई हुई है। खासतौर पर सुबह और शाम के समय धुंध के साथ इसे स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। इससे पूर्व, सोमवार के दिन यह हिस्सेदारी 22 फीसदी रही थी।

प्रदूषण के मद्देनजर परिवहन विभाग ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी है। तीन महीने में 68 हजार से अधिक चालान राजधानी में प्रदूषण जांच नहीं कराने वाले वाहनों पर परिवहन विभाग ने कार्रवाई तेज कर दी है। उसका असर भी दिखाई देने लगा है। दिल्ली में पीयूसी जांच कराने वाले वाहनों की संख्या बढ़ गई है। अगस्त से अब तक पीयूसी जांच न कराने वाले 68 हजार 500 वाहनों का चालान कट चुका है।

 

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