मोरबीः गुजरात के मोरबी पुल टूटने से मरने वालों की संख्या सोमवार सुबह तक 140 से ज्यादा पहुंच गई है। वहीं, 170 लोग रेस्क्यू किए गए हैं। यह हादसा रविवार शाम 6.30 बजे घटित हुआ था। अब सवाल उठ रहा है कि 7 महीनें पहले रिनोवेशन के लिए बंद हुए पुल को बगैर फिटनेस सर्टिफिकेट के क्यों खोला गया? प्राप्त रिपोर्ट्स के मुताबिक पुल की मरम्मत करने वाली कंपनी के खिलाफ FIR दर्ज कर की गई है।

आपको बता दें कि मार्च 2022 में मोरबी की ओरेवा ग्रुप (अजंता मेन्युफेक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड) को पुल के रखरखाव का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार मोरबी नगरपालिका के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह जाला ने कहा कि पुल मोरबी नगरपालिका की संपत्ति है, लेकिन हमने 15 सालों तक रखरखाव और संचालन के लिए इसे कुछ महीनों पहले ओरेवा ग्रुप को सौंपा था। हालांकि, निजी कंपनी ने हमें जानकारी दिए पुल आने वालों के लिए खोल दिया था। इसके चलते हम पुल का सेफ्टी ऑडिट नहीं करा सके।’

उन्होंने बताया कि रिनोवेशन के काम के बाद इसे जनता के लिए खोल दिया गया था लेकिन स्थानीय नगरपालिका ने अब तक कोई फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया था।’ मच्छु नदी पर इस पुल का निर्माण 19वीं सदी में किया गया था। घटना में जान गंवाने वालों के परिजनों को 6-6 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया गया है।

कमाई बनी वजह? आपको बता दें कि पुल की यात्रा के लिए आने वाले लोग टिकट खरीद रहे थे। अब आशंकाएं जताई जा रही हैं कि ज्यादा कमाई के लालच में क्षमता से ज्यादा लोगों को पुल पर जाने दिया गया। आपको बता दें कि इस पुल की क्षमता 100 लोगों की थी और प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक हादसे के समय पुल पर 500 लोग थे। हादसे में घायल हुए धीरज बाबूभाई सोलंकी अपने दो भतीजों को गंवा चुके हैं। उन्होंने जानकारी दी कि वह पुल के बीच में थे और पुल अचानक बैठ गया। सोलंकी ने बताया कि पुल भरा हुआ था। टिकट को लेकर जानकारी दी कि उन्होंने खुद के लिए 70 रुपये और बच्चों के लिए 12 रुपये का टिकट खरीदा था। वह बचावकार्य करने वालों का लगातार धन्यवाद कर रहे हैं।

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