दिल्लीः आज रोशनी का त्योहार दिवाली है। दीपावली के मौके पर आज दिन में लक्ष्मी पूजा के मुहूर्त नहीं है। शाम 5 बजे के बाद से ही लक्ष्मी पूजा की जा सकेगी,  क्योंकि कार्तिक अमावस्या शाम को शुरू होगी और अगले दिन शाम 5 बजे तक रहेगी, लेकिन 25 को सूर्य ग्रहण रहेगा। इसलिए लक्ष्मी पूजा के मुहूर्त शाम और रात में ही रहेंगे।

दीपावली के मौके पर 2000 साल बाद बुध, गुरु, शुक्र और शनि खुद की राशि में रहेंगे। साथ ही लक्ष्मी पूजा के समय पांच राजयोग भी रहेंगे। ये ग्रह योग सुख-समृद्धि और लाभ का संकेत दे रहे हैं। इसलिए इस बार दिवाली बहुत शुभ रहेगी।

अब बात दिवाली को लेकर प्रचलित मान्यताओं की करें, तो स्कंद, पद्म और भविष्य पुराण में दीपावली को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। एक कथा के मुताबिक महाराज पृथु ने पृथ्वी दोहन कर देश को धन और धान्य स‌े समृद्ध बनाया। इसलिए दीपावली मनाते हैं। श्रीमद्भागवत और विष्णुधर्मोत्तर पुराण के मुताबिक समुद्र मंथन से कार्तिक महीने की अमावस्या पर लक्ष्मी प्रकट हुई थीं।

मार्कंडेय पुराण का कहना है कि जब धरती पर सिर्फ अंधेरा था तब एक तेज प्रकाश के साथ कमल पर बैठी देवी प्रकट हुईं। वो लक्ष्मी थीं। उनके प्रकाश से ही संसार बना। इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजा की परंपरा हैं। वहीं, श्रीराम के अयोध्या लौटने के स्वागत में दीपावली मनाने की परंपरा है।

स्कंद और पद्म पुराण के अनुसार इस दिन दीपदान करना चाहिए। इससे पाप खत्म हो जाते हैं। ब्रह्म पुराण कहता है कि कार्तिक अमावस्या की आधी रात में लक्ष्मी अच्छे लोगों के घर आती हैं। इसलिए घर को साफ और सजाकर दीपावली मनाने की परंपरा है। इससे लक्ष्मी खुश होती हैं और लंबे समय तक घर में रहती हैं।

लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्तः

        दीपावली 2022 शुभ मुहूर्त

कैसे करें दिवाली पूजाः

  • पानी से भरे लोटे में गंगाजल मिलाएं। वह पानी कुशा या फूल से खुद पर छिड़कर पवित्र हो जाएं।
  • पूजा में शामिल लोगों को और खुद को तिलक लगाकर पूजा शुरू करें।
    पहले गणेश, फिर कलश उसके बाद स्थापित सभी देवी-देवता और आखिरी में लक्ष्मी पूजा करें।

गणेश पूजा की विधिः

ॐ गं गणपतये नम: मंत्र बोलते हुए गणेश जी को पानी और पंचामृत से नहलाएं। पूजन सामग्री चढ़ाएं। नैवेद्य लगाएं। धूप-दीप दिखाएं और दक्षिणा चढ़ाएं।

 

बहीखाता-सरस्वती पूजा विधिः

फूल-अक्षत लेकर सरस्वती का ध्यान कर के आह्वान करें। ऊँ सरस्वत्यै नम: बोलते हुए एक-एक कर के पूजन सामग्री देवी की मूर्ति पर चढ़ाएं। इसी मंत्र से पेन, पुस्तक और बहीखाता की पूजा करें। इसके बाद विष्णु पूजा करें।

विष्णु पूजा विधिः

मंत्र – ॐ विष्णवे नम:

भगवान विष्णु की मूर्ति को पहले पानी फिर पंचामृत से नहलाएं। शंख में पानी और दूध भर के अभिषेक करें। फिर कलावा, चंदन, अक्षत, अबीर, गुलाल और जनेऊ सहित पूजन सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद हार-फूल और नारियल चढ़ाएं। मिठाई और मौसमी फलों का नैवेद्य लगाएं। धूप-दीप दिखाएं और दक्षिणा चढ़ाकर प्रणाम करें।

दीप पूजन विधिः

मंत्र – ॐ दीपावल्यै नम:

  • एक थाली में 11, 21 या उससे ज्यादा दीपक जलाकर लक्ष्मी जी के पास रखें।
  • फूल और कुछ पत्तियां हाथ में लें। साथ में पूजन सामग्री भी लें।
  • मंत्र बोलते हुए फूल पत्तियां चढ़ाते हुए दीपमालिकाओं की पूजा करें।
  • दीपक की पूजा कर संतरा, ईख और धान चढ़ाएं।
  • धान भगवान गणेश, महालक्ष्मी और सभी देवी-देवताओं को भी अर्पित करें।

 

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