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जानिए पीएम मोदी ने महाकाल लोक के लोकार्पण से पहले उज्जैन में कब, कहां और क्या किया - Prakhar Prahari
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जानिए पीएम मोदी ने महाकाल लोक के लोकार्पण से पहले उज्जैन में कब, कहां और क्या किया

 उज्जैनः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल लोक देश को समर्पित किया। पीएम मोदी ने ‘महाकाल लोक’ के लोकार्पण से पहले शाम 6.30 बजे महाकाल के दर्शन किए और साष्टांग मत्था टेका। पीएम मोदी इंदौर से एयरफोर्स के चॉपर से पहले उज्जैन में हेलिपैड तक आए, यहां से सीधे शाम 6 बजे महाकाल मंदिर पहुंचे। यहां पहुंचने पर सबसे पहले नंदी को प्रणाम किया। महाकाल को चंदन, मोगरे और गुलाब की माला अर्पित कर जनेऊ चढ़ाया। नए वस्त्र अर्पित किए। सूखे मेवे और फल का भोग लगाया। वे संध्या आरती में शामिल हुए, इसके बाद महाकाल के दक्षिण दिशा में बैठकर रुद्राक्ष की माला से 3 मिनट तक जाप करते हुए ध्यान लगाया। दानपेटी में दक्षिणा भी दी।

इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने शाम 7 बजे ई-व्हीकल से ‘महाकाल लोक’ का परिसर भ्रमण किया। वे ई-व्हीकल से कमल सरोवर, रुद्रसागर और सबसे बड़ी म्यूरल्स वॉल देखने पहुंचे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें ‘महाकाल लोक’ में बने 108 पिलर और म्यूरल्स से जुड़ी जानकारी दी। पीएम ई-व्हीकल में और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल भी रहे।

कार्तिक मेला ग्राउंड में पीएम मोदी की सभा की शुरुआत 7.45 बजे हुई। यहां पर सबसे पहले कैलाश खेर ने महाकाल स्तुतिगान ‘भारत मध्ये स्वयंभू ज्योतिर्लिंग, यजामहे…’ की प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि संगीत और अध्यात्म को साथ लाना सपना था। आज ये पूरा हो रहा है। वहीं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज हम सभी गदगद हैं। भारत अत्यंत प्राचीन तथा महान राष्ट्र है। 5 हजार साल से ज्यादा तो ज्ञात इतिहास है हमारा…। दुनिया के विकसित देशों में जब सभ्यता के सूर्य का उदय नहीं हुआ था, तब हमारे यहां वेदों की ऋचाएं रच दी गई थीं।

आपको बता दें कि उज्जैन में रात को हेलिकॉप्टर के उड़ने और उतरने की सुविधा नहीं है। वापसी में प्रधानमंत्री सड़क मार्ग से इंदौर जा सकते हैं। इसी संभावना को देखते हुए उज्जैन के बीच 60 किलोमीटर लंबे हाईवे को स्पेशल लाइटिंग के जरिए दुल्हन की तरह सजाया गया है।

महाकाल का गर्भगृह और नंदी हाल के साथ ही परिसर के सभी मंदिर रंग-बिरंगी रोशनी से नहाए हुए हैं। यहां 40 से अधिक छोटे-बड़े मंदिरों और कोटितीर्थ कुंड के आस-पास पुष्प सज्जा भी की गई है। मंदिर समिति के अधिकारियों ने बताया कि सजावट के लिए सात शहरों से फूल मंगाए गए हैं। इनमें देसी गुलाब, गेंदा, सुगंधित पुष्प इसके अलावा विशेष किस्म के डच गुलाब, जरबेरा, लिली, रजनीगंधा, एंथोरियम शामिल हैं। विशेष किस्म के फूल पुणे और बेंगलुरु से मंगाए गए हैं।

6 राज्यों के 700 कलाकार पहुंचे हैं प्रस्तुति देने
पीएम मोदी के महाकाल लोक अवलोकन के दौरान मध्यप्रदेश की मालवा संस्कृति का नृत्य, गुजरात का गरबा, केरल के कलाकार कथक और आंध्र प्रदेश के कलाकार कुचिपुड़ी नृत्य की प्रस्तुति देंगे। विशेष बात यह है कि झारखंड के ट्राइबल एरिए से आए 12 कलाकार पीएम मोदी के सामने अपनी सांस्कृतिक परंपरा अनुसार भस्मासुर की प्रस्तुति देने के लिए पहुंचे। पीएम इलेक्ट्रिक व्हीकल से महाकाल लोक का अवलोकन करेंगे। इस दौरान वे कलाकारों से भी मिल सकते हैं।

उज्जैन स्थिति महाकाल 12 अक्टूबर से मंदिर दर्शन व्यवस्था में देश का सबसे सुव्यवस्थित मंदिर हो जाएगा। यहां दर्शन व्यवस्था अगले 50 साल को ध्यान में रखकर बनाई गई है। उद्घाटन के बाद श्रद्धालुओं को सबसे बड़ी सुविधा बिना भीड़ के सुविधाजनक और कम समय में दर्शन की मिलेगी। रात में सोने की तरह दमकने वाले कॉरिडोर में सुंदरता के साथ श्रद्धालुओं को शिवरात्रि, नागपंचमी और सिंहस्थ जैसे त्योहार पर दर्शन की ऐसी बेहतर व्यवस्था बनाई जा रही है, जो देश के किसी मंदिर में नहीं है।

किसी भी त्योहार पर न तो महाकाल पहुंचने वाले वाहनों को शहर से दूर रोका जाएगा और न ही कई किमी पैदल चलना होगा। श्रद्धालुओं को पार्किंग से लेकर महाकाल दर्शन तक पहुंचने में सिर्फ 20 मिनट लगेंगे, वहीं एक घंटे में 30 हजार लोग दर्शन कर सकेंगे। व्यवस्था ऐसी होगी कि एक दिन में 10 लाख श्रद्धालु भी पहुंच जाए तो उन्हें दर्शन कराए जा सकते हैं। ये फेस-1 की व्यवस्था है, जिसका उद्घाटन होगा।

फेस-2 की तैयारियां भी पूरी हो चुकी हैं। इसमें सिंहस्थ को ध्यान में रखकर प्लान किया गया है। सिंहस्थ के दौरान इंदौर, रतलाम, देवास, मक्सी जैसे किसी भी शहर से उज्जैन आने पर सिंहस्थ मेले के डेढ़ किमी नजदीक गाड़ियां पार्क हो सकेंगी। लोगों को मेला क्षेत्र में पहुंचने के लिए न तो कई किमी पैदल चलना होगा और न ही किसी पास की जरूरत होगी।

डेढ़ किमी क्षेत्र में भी तिरुपति की तरह बैटरी वाली सरकारी गाड़ियां चलेंगी। 30 सितंबर 2023 तक महाकाल आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 2500 गाड़ियों की पार्किंग तैयार हो जाएगी, वहीं सिंहस्थ को लेकर 7 हजार गाड़ियों की स्थाई पार्किंग व्यवस्था नदी के किनारे ही बनाई जा रही है। इसके लिए शिप्रा किनारे कॉरिडोर बनाने की योजना पर काम शुरू हो गया है।

General Desk

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