दिल्ली डेस्कः समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया। उन्होंने आज सुबह 8 बजकर 16 मिनट पर हरियाणा के गुरुग्राम स्थिति मेदांता अस्पताल में 82 साल की उम्र में अंतिम सांस ली।
मुलायम सिंह यूरिन इन्फेक्शन के चलते 26 सितंबर से मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। मुलायम सिंह के बेटे एवं यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के ट्विटर हैंडल पर मुलायम सिंह के निधन की जानकारी दी। उनका अंतिम संस्कार यूपी के सैफई में मंगलवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मुलायम सिंह को 2 अक्टूबर को ऑक्सीजन लेवल कम होने के बाद ICU में शिफ्ट किया गया था। उन्हें यूरिन में इन्फेक्शन के साथ ही ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ गई थी। बाद में उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया था।
आपको बता दें कि मुलायम सिंह यादव दो साल से बीमार चल रहे थे। परेशानी अधिक बढ़ने पर उन्हें अक्सर हॉस्पिटल में भर्ती कराया जाता रहा। पिछले साल उन्हें कोरोना भी हुआ था।
मुलायम सिंह का जन्म 22 नंवबर 1939 को उत्तर प्रदेश के सैफई में हुआ था। जवानी के दिनों में पहलवानी का शौक रखने वाले मुलायम सिंह ने 55 साल तक राजनीति की। मुलायम सिंह 1967 में 28 साल की उम्र में जसवंतनगर से पहली बार विधायक बने। उनके परिवार का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं था। 5 दिसंबर 1989 को मुलायम पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बाद में वे दो बार और प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने केंद्र में देवगौड़ा और गुजराल सरकार में रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली। नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह सात बार लोकसभा सांसद और नौ बार विधायक चुने गए।
मुलायम सिंह यादव की पढ़ाई-लिखाई इटावा, फतेहाबाद और आगरा में हुई। मुलायम कुछ दिन तक मैनपुरी के करहल में जैन इंटर कॉलेज में प्राध्यापक भी रहे। पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर मुलायम सिंह की दो शादियां हुईं। पहली पत्नी मालती देवी का निधन मई 2003 में हो गया था। अखिलेश यादव मुलायम की पहली पत्नी के ही बेटे हैं।
4 अक्टूबर 1992 को लखनऊ में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी बनाने की घोषणा की थी। मुलायम सपा के अध्यक्ष, जनेश्वर मिश्र उपाध्यक्ष, कपिल देव सिंह और मोहम्मद आजम खान पार्टी के महामंत्री बने। मोहन सिंह को प्रवक्ता नियुक्त किया गया। इस ऐलान के एक महीने बाद यानी 4 और 5 नवंबर को बेगम हजरत महल पार्क में उन्होंने पार्टी का पहला राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया। इसके बाद नेताजी की पार्टी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में स्थायी मुकाम बना लिया।
राजनीति में एंट्री करने से पहले मुलायम कुश्ती लड़ते थे। एग्जाम छोड़कर कुश्ती लड़ने चले जाते थे। 1960 में जब मुलायम कॉलेज में पढ़ते थे, तब कवि सम्मेलन के मंच पर दरोगा को एक युवा ने चित कर दिया।
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