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जनसंख्या वृद्धि पर डॉ. भागवत ने जताई चिंता, बोले, नियंत्रण के लिए नीति बने और सब पर समान रूप से लागू हो

नागपुरः दशहरा के मौके पर बुधवार को महाराष्ट्र के नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ मुख्यालय में शस्त्र पूजा की गई। इस दौरान संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत बताई। उन्होंने दुनिया के उदाहरण देते हुए जनसंख्या असंतुलन का मुद्दा उठाया और कहा कि भारत को जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने महिला सशक्तिकरण समेत कई अहम मुद्दे भी उठाए।

आरएसएस मुख्यालय में शस्त्र पूजा के दौरान पहली बार महिला मुख्य अतिथि संतोष यादव मौजूद रहीं। संतोष दो बार माउंट एवरेस्ट फतेह करने वाली दुनिया की एक मात्र महिला हैं। साथ ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद रहे। इस दौरान डॉ. मोहन भागवत ने पॉपुलेशन, मंदिर, जातिवाद जैसे अहम मुद्दों का जिक्र किया और कहा कि बढ़ती हुई आबादी में हम धार्मिक असंतुलन को नजरंदाज नहीं कर सकते हैं। आइए एक नजर डालते हैं डॉ. भागवत के संबोधन की अहम बातों परः

  • जनसंख्या जितनी अधिक होगी बोझ उतना ही ज्यादा होगा। हमको यह देखना होगा कि हमारा देश 50 साल के बाद कितने लोगों को खिला और झेल सकता है। इसलिए जनसंख्या की एक पॉलिसी बने और वह सब पर समान रूप से लागू हो।
  • जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ धार्मिक आधार पर जनसंख्या संतुलन भी बहुत जरूरी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
  • धर्म आधारित जनसंख्या असंतुलन ऐसा विषय है, जिसकी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है। जन्म दर में अंतर और लालच या घुसपैठ की वजह से होने वाले धर्मांतरण भी बड़ी समस्या है।’
  • किसी भी देश में 57 करोड़ युवाओं की संख्या नहीं है। हमारा पड़ोसी देश चीन बुजुर्ग हो चला है। लेकिन हमें विचार को समझना होगा।
  • जनसंख्या असंतुलन के चलते भौगोलिक सीमाओं में भी बदलाव होता है।’ इस दौरान उन्होंने असंतुलन के कारण भी गिनाए।
  • जन्मदर में अंतर के अलावा जबरन, लुभाकर या लालच से धर्मांतरण और घुसपैठ भी इसके बड़े कारण हैं।
  • डॉ. भागवत ने कोसोवो और दक्षिण सुडान जैसे देशों का उदाहरण दिया, जो जनसंख्या में धर्म के असंतुलन के चलते पैदा हो गए।
  • संघ प्रमुख ने साफ कहा कि जनसंख्या को लेकर एक समग्र नीति बननी चाहिए और उसमें किसी को छूट नहीं मिलनी चाहिए। सभी पर समान रूप से नीति लागू होनी चाहिए। यदि कोई चीज लाभ वाली बात है तो समाज आसानी से स्वीकार कर लेता है।

डॉ. मोहन भागवत ने तीन महिला पहले कर्नाटक की श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में भी जनसंख्या वृद्धि का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि जनसंख्या बढ़ाने और खाने का काम तो जानवर भी करते हैं। ये जंगल में सबसे ताकतवर रहने के लिए जरूरी है। ताकतवर ही जिंदा रहेगा, ये जंगल का कानून है। इंसानों में ऐसा नहीं है। इंसानों में जब ताकतवर दूसरे की रक्षा करता है तो ये ही इंसानियत की निशानी है।

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