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आज है शहीद ए-आजम भगत सिंह की जयंती, भारत मां के महान सपुत के बारे में हासिल करें रोचक जानकारियां

दिल्लीः देश की आजादी की खातिर अपने प्राण न्योछावर करने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह की आज जयंती है। मातृभमि के लिए हंसते-हंसते अपनी जान कुर्बान करने वाले भारत मां के वीर सपूत और भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह की जयंती पर देश भर में कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। अपने कारनामों, विचारों और ओजस्वी व्यक्तित्व से भगत सिंह आज भी देश के नौजवानों के दिलों में अपनी एक अलग जगह रखते हैं। भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों और भाषणों ने गुलाम भारत के युवाओं के दिलों में आजादी पाने की ललक जगाई थी। कहा जाता है कि जब भगत सिंह को फांसी दी जा रही थी, तो भी उनके चेहरे पर मुस्कान थी, सर और सीना गर्व से ऊपर उठा हुआ था। चलिए आपका भारत मां के इस सपुत के बारे में कुछ रोचक जानकारियां आपको देते हैं-

  • 28 सितंबर, 1907 को भगत सिह का जन्म पंजाब प्रांत में लायपुर जिले के बंगा में किशन सिंह और माता विद्यावती के घर हुआ था।
  • भगत सिंह के पिता किशन सिंह, चाचा अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे। भगत सिंह की पढ़ाई लाहौर के डीएवी हाई स्कूल में हुई।
  • 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी वाले दिन रौलट एक्ट के विरोध में देशवासियों की जलियांवाला बाग में सभा हुई। ब्रिटिश जनरल डायर के क्रूर और दमनकारी आदेशों के चलते निहत्थे लोगों पर अंग्रेजी सैनिकों ने ताबड़बतोड़ गोलियों की बारिश कर दी। इस अत्याचार ने देशभर में क्रांति की आग को और भड़का दिया। 12 साल के भगत सिंह पर इस सामुहिक हत्याकांड का गहरा असर पड़ा। उन्होंने जलियांवाला बाग के रक्त रंजित धरती की कसम खाई कि अंग्रेजी सरकार के खिलाफ वह आजादी का बिगुल फूंकेंगे। उन्होंने लाहौर नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर ‘नौजवान भारत सभा’ की स्थापना कर डाली।
  • भगत सिंह ने सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर काकोरी कांड को अंजाम दिया।
  • शहीद ए-आजम भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर 17 दिसंबर 1928 को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज़ अफसर जेपी सांडर्स को मारा था। इसमें चन्द्रशेखर आज़ाद ने उनकी पूरी सहायता की थी।
  • क्रांतिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर भगत सिंह ने अलीपुर रोड दिल्ली स्थित ब्रिटिश भारत की तत्कालीन सेंट्रल असेंबली के सभागार में 8 अप्रैल 1929 को अंग्रेज़ सरकार को जगाने के लिये बम और पर्चे फेंके थे।
  • भगत सिंह जन्म के समय एक सिख थे, उन्होंने अपनी दाढ़ी मुंडवा ली और हत्या के लिए पहचाने जाने और गिरफ्तार होने से बचने के लिए अपने बाल काट लिए। वह लाहौर से कलकत्ता भागने में सफल रहे।
  • शहीद ए-आजम भगत सिंह अपने हर भाषण और लेख में इसका जिक्र में ‘इंकलाब जिंदाबाद’ नारा का जिक्र करते थे।
  • 7 अक्टूबर 1930 को भगत सिंह को मौत की सजा सुनाई गई थी, जिसे उन्होंने साहस के साथ सुना।
  • 24 मार्च 1931 को भगत सिंह को फांसी देना तय किया गया था, लेकिन अंग्रेज इतना डरे हुए थे कि उन्हें 11 घंटे पहले ही 23 मार्च 1931 को उन्हें 7:30 बजे फांसी पर चढ़ा दिया गया।
General Desk

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