दिल्लीः एनआईए (NIA)  यानी नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी पीएफआई (PFI) यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। एनआईए के अधिकारी गुरुवार तड़के 3.30 बजे से 10 राज्यों में कई ठिकानों पर छापेमारी कर रहे हैं। एनआईए यह छापेमारी टेरर फंडिंग केस में कर रही है। एनआईए इस मामले में पीएफआई से जुड़े 100 लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस रेड को NIA के करीब 200 अधिकारी अंजाम दे रहे हैं।

इधर, छापेमारी के बीच केरल के मल्लपुरम और कर्नाटक के मंगलुरु में संगठन के कार्यकर्ता NIA को खिलाफ सड़क पर उतर आए हैं। PFI ने बयान जारी करते हुए कहा है कि आवाज दबाने के लिए यह कार्रवाई की जा रही है। सेंट्रल एजेंसी हमारे लोगों को प्रताड़ित कर रही है।

एनआईए की छापेमारी की वजहः

  • जुलाई में पटना पुलिस ने बिहार की राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ में छापेमारी कर आतंकी साजिश का खुलासा किया था। खुलासे के मुताबिक आंतकियों के निशाने पर प्रधानमंत्री मोदी थे। इस केस में PFI के कार्यकर्ताओं का नाम सामने आने के बाद सितंबर में NIA ने बिहार में छापेमारी की थी।
  • कर्नाटक के उडुपी में इसी साल के शुरुआत में हिजाब का विवाद शुरू हुआ। कर्नाटक सरकार के मुताबिक इस विवाद के पीछे भी PFI के कार्यकर्ता थे। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि PFI की साजिश की वजह से कर्नाटक में हिजाब का विवाद पैदा हुआ।

केरल में प्रोफेसर टीजे जोसेफ का हाथ काटने की घटना 2010 में घटित हुई थी। इसी घटना के बाद PFI सबसे पहले चर्चा में आया था। प्रोफेसर जोसेफ पर एक प्रश्नपत्र में पूछे गए सवाल के जरिए पैगंबर मोहम्मद साहब के अपमान का आरोप लगा था। इसके बाद आरोप है कि PFI कार्यकर्ताओं ने प्रोफेसर जोसेफ के हाथ काट दिए थे।

आपको बता दें कि मनिथा नीति पसाराई (MNP) और नेशनल डेवलपमेंट फंड (NDF) नामक संगठन ने मिलकर 2007 में पीएफआई का गठन किया था। ये संगठन शुरुआत में दक्षिण भारत के राज्यों में ही सक्रिय था, लेकिन अब यूपी-बिहार समेत 20 राज्यों में संगठन का विस्तार हो चुका है।

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