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कूनो में पीएम मोदी ने छोड़े चीते, खींची तस्वीर, सहमे हुए चीते ने भारतीय सरजमीं पर रखा कदम

ग्वालियरः चीतों का दीदार करने को लेकर भारत का 70 साल का इंतजार शनिवार को खत्म हो गया। नामीबिया से आए आठ चीतों ने सहमे हुए भारतीय सरजमीं पर पहला कदम रखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में बॉक्स खोलकर 3 चीते को क्वारंटीन बाड़े में छोड़ा। पीएम मोदी ने ने चीते भेजने के लिए नामीबिया के प्रति आभार व्यक्ति किया और लोगों से इन चीतों को देखने के लिए धैर्य बनाए रखने की अपील की। साथ ही चीतों को लेकर कांग्रेस के दावों पर पलटवार किया।

पीएम मोदी ने कहा, “कूनो में चीता फिर से दौड़ेगा तो यहां बायोडायवर्सिटी बढ़ेगी। यहां विकास की संभावनाएं जन्म लेंगी। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।“ उन्होंने कहा कि पर्यटकों और उत्साही लोगों को जंगल में चीतों को देखने के लिए अभी कुछ महीने इंतजार करना होगा। उन्होंने कहा कि जानवरों को अपने नए घर में ढलने के लिए कुछ समय चाहिए। इतना ही नहीं उन्होंने कांग्रेस के दावों पर भी पलटवार किया है।

पीएम मोदी ने कहा, ”ये चीते अनजान इस इलाके में मेहमान बनकर आए हैं। कूनो राष्ट्रीय उद्यान को अपना घर बनाने में सक्षम होने के लिए हमें इन चीतों को कुछ महीने का समय देना होगा।”

आपको बता दें कि पीएम मोदी के लिए कूनो में 10 फीट ऊंचा प्लेटफॉर्मनुमा मंच बनाया गया था। इसी मंच के नीचे पिंजरे में चीते थे। प्रधानमंत्री मोदी ने लीवर के जरिए बॉक्स को खोला। चीते बाहर आते ही अनजान जगह में सहमे हुए दिखे। सहमते कदमों के साथ इधर-उधर नजरें घुमाईं और चहलकदमी करने लगे। लंबे सफर की थकान चीतों पर साफ दिख रही थी। चीतों के बाहर आते ही इस दौरान पीएम मोदी ने ताली बजाकर उनका स्वागत किया। मोदी ने कुछ फोटो भी क्लिक किए। 500 मीटर चलकर मोदी मंच पर पहुंचे थे। उनके साथ राज्यपाल मंगूभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी थे। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन भी है।

पीएम मोदी के संबोधन की अहम बातें…

  • हमने उस समय को भी देखा, जब प्रकृति के दोहन को शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक मान लिया गया था। 1947 में जब देश में केवल 3 चीते बचे थे, तो उनका भी शिकार कर लिया गया।
  • ये दुर्भाग्य रहा कि 1952 में हमने चीतों को विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक सार्थक प्रयास नहीं किए। आज आजादी के अमृत काल में देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है।
  • यह एक ऐसा काम है, राजनीतिक दृष्टि से जिसे कोई महत्व नहीं देता, इसके पीछे हमने वर्षों ऊर्जा लगाई। चीता एक्शन प्लान बनाया। हमारे वैज्ञानिकों ने नामीबिया के एक्सपर्ट के साथ काम किया। पूरे देश में वैज्ञानिक सर्वे के बाद नेशनल कूनो पार्क को शुभ शुरुआत के लिए चुना गया। ​​​
  • प्रकृति और पर्यावरण, पशु और पक्षी भारत के लिए सस्टेनेबिलिटी और सिक्योरिटी के विषय नहीं हैं। हमारे लिए ये सेंसिबिलिटी और स्प्रिचुअलिटी का भी आधार हैं।
  • ‘प्रोजेक्ट चीता’ पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण की दिशा में हमारा प्रयास है। विशेषज्ञों द्वारा विस्तृत अध्ययन के बाद कूनो राष्ट्रीय उद्यान को चीतों की रिहाई के लिए चुना गया है।

कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को दावा किया था कि ‘प्रोजेक्ट चीता’ के प्रस्ताव को मनमोहन सिंह की सरकार के शासनकाल में स्वीकृति मिली थी। पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए ट्वीट कर कहा था कि प्रोजेक्ट चीता का प्रस्ताव 2008-09 में तैयार हुआ। मनमोहन सिंह जी की सरकार ने इसे स्वीकृति दी। अप्रैल 2010 में तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश जी अफ्रीका के चीता आउट रीच सेंटर गए। कांग्रेस ने कहा था कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाई, 2020 में रोक हटी। अब चीते आएंगे।

पीएम मोदी के ग्वालियर पहुंचने पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने उनका स्वागत किया। सीएम शिवराज ने कहा कि एमपी के लिए इससे बड़ा कोई तोहफा नहीं। देश में चीते विलुप्त हो गए थे और इन्हें फिर से बसाना एक ऐतिहासिक कदम है। यह इस सदी की सबसे बड़ी वन्यजीव घटना है। इससे मध्यप्रदेश में पर्यटन को तेजी से बढ़ावा मिलेगा।

Delhi Desk

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