आज का इतिहासः 21 सिखों ने लिया था 14 हजार पठानों से लोहा, पराक्रम को देखकर ब्रिटिश संसद ने कहा था, आप लोगों को ब्रिटेन और भारत को गर्व है

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दिल्ली: मौजूदा समय में नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस का तिराह इलाकापाकिस्तान में है। करीब 6 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस इलाके में अंग्रेजों के 2 किले थे। ये किले गुलिस्तां और लॉक्हार्ट में थे। इन किलों के बीच में सारागढ़ी की चौकी थी।

स्थानीय पठान लोगों अपने इलाके में अंग्रेजों की घुसपैठ को पसंद नहीं आई थी। वे इन किलों से अंग्रेजों को भगाने के लिए हमले किया करते थे। अंग्रेजों ने लेफ्टिनेंट कर्नल जॉन हॉटन के नेतृत्व में 36 सिख रेजीमेंट की पांच कंपनियों को इस इलाके में तैनात कर रखा था। सारागढ़ी की कमांड हवलदार ईशर सिंह और 20 दूसरे जवानों के जिम्मे थी।

12 सितंबर 1897 को 12-14 हजार पठानों ने दोबारा सारागढ़ी पर हमला किया। इन हजारों पठानों से निपटने के लिए चौकी में 21 सिख जवान मौजूद थे। हजारों की तादाद में पठानों को देखकर सैनिकों ने इसकी सूचना कर्नल हॉटन को दी। हॉटन उस समय लॉक्हार्ट के किले में थे। उन्होंने कहा कि वे इतने कम समय में कोई मदद नहीं पहुंचा पाएंगे।

21 सिख सैनिकों ने अकेले ही हजारों पठानों से लड़ने का फैसला किया। पूरा इलाका- ‘बोले सो निहाल, सतश्री अकाल’ के नारे से गूंज उठा।

21 सैनिकों ने 2 बार पठानों को पीछे खिसकने पर मजबूर कर दिया। पठान किले के भीतर घुसने में कामयाब नहीं हो पाए। आखिर में उन्होंने फैसला लिया कि किले की दीवार को तोड़कर अंदर घुसा जाएगा। सिखों के पास गोलियां खत्म हो गईं तो उन्होंने अपनी राइफलों में लगे संगीन से हमला करना शुरू कर दिया।

6 घंटे तक चले युद्ध में 21 सैनिकों ने 600 से ज्यादा पठानों को मार गिराया। हालांकि किले पर पठानों ने कब्जा कर लिया, लेकिन 1 दिन बाद ही अंग्रेजों ने पठानों से किले को वापस छुड़ा लिया। आपको बता दें कि 2019 में आई अक्षय कुमार की फिल्म केसरी इसी युद्ध पर आधारित है।

आज ही के दिन तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने जर्मन वर्कर्स पार्टी की मीटिंग पहली बार अटेंड की थी। यहीं से उसे राजनीति में आने का शौक लगा और फिर उसने जो किया, उसने इतिहास को शर्मसार कर दिया।

कॉर्पोरल हिटलर को जर्मन वर्कर्स पार्टी की जासूसी का काम मिला था। 12 सितंबर 1919 को सादे कपड़ों में म्यूनिख के बियर हॉल में उसने पहली पार्टी मीटिंग अटेंड की। सभी वक्ताओं के बोलने के बाद हिटलर खड़ा हुआ और उसने सभी के साथ अपनी असहमति जताई।

राष्ट्रवाद के मुद्दे पर उसका भाषण इतना जबर्दस्त था कि उसे पार्टी का सदस्य बनने का आमंत्रण दिया गया। हिटलर दो साल में उसी पार्टी का सर्वेसर्वा बन गया। आगे चलकर इस पार्टी का नाम बदलकर नाजी पार्टी किया गया।

हिटलर की पार्टी ने पहले विश्व युद्ध के बाद जर्मनी में बढ़ी बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। यहूदी-विरोधी भावनाओं को हवा दी। 1930 तक नाजी पार्टी जर्मनी में एक बड़ी ताकत बन गई और 1933 में हिटलर जर्मनी का चांसलर बन गया। तानाशाही चरम पर थी और कहते हैं कि अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए ही हिटलर ने दुनिया को दूसरे विश्व युद्ध की चौखट पर पहुंचाया।

चांद पर पहुंचा था रूसः आज ही के दिन 1959 में सोवियत संघ ने लूना-2 स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किया था। चांद की दिशा में लॉन्च किया गया ये दूसरा स्पेसक्राफ्ट था। ये सौरमंडल के किसी भी ग्रह-उपग्रह को छूने वाला दुनिया का पहला मानवनिर्मित ऑब्जेक्ट था। पहले इसे 9 सितंबर को लॉन्च किया जाना था, लेकिन तकनीकी दिक्कत की वजह से लॉन्च को टालना पड़ा।

इस स्पेसक्राफ्ट में ऐसी व्यवस्था थी कि वह सोडियम गैस छोड़ता चल रहा था, ताकि उसे स्पेस में ट्रैक किया जा सके। यह भी पता चला कि गैस का स्पेस में बर्ताव क्या होता है। 33.5 घंटे की उड़ान के बाद यह स्पेसक्राफ्ट चांद की सतह पर क्रैश हो गया।

जर्मनी में अमेरिकी सेनाः

अमेरिकी सेना ने आज ही के दिन 1944 में पहली बार जर्मनी में प्रवेश किया था। दूसरे विश्वयुद्ध के खत्म होने के बाद से जर्मनी यूरोप में अमेरिका की रक्षा रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। युद्ध खत्म होने के बाद जर्मनी पर 10 साल तक मित्र देशों का कब्जा रहा। अमेरिकी सेना उसका ही हिस्सा थी। हालांकि, सेना की संख्या धीरे-धीरे कम होती गई। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 12 सितंबर को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर-

1217 : फ्रांसीसी सम्राट लुइस ने ब्रिटेन के महाराज हेनरी तृतीय से शांति समझौता किया।
1398 : तैमूरी राजवंश के शासक तैमूर लंग सिंधु नदी के तट पर पहुंचा।
1635 : स्वीडन और पोलैंड ने संघर्ष विराम संधि पर हस्ताक्षर किये।
1786 : लॉर्ड कॉर्नवॉलिस भारत का गर्वनर जनरल बना।
1873 : पहला व्यवहारिक टाइपराइटर ग्राहकों को बेचा गया।
1909 : जर्मन रसायशास्त्री र्फिट्स हॉफमैन ने सिंथेटिक रबर का पेटेंट हासिल किया।
1922 : पावो नुरमी ने 5000 मीटर दौड़ का विश्व रिकॉर्ड बनाया।
1923 : दक्षिणी रोड्सिया (अब जिम्बाब्वे) पर ब्रिटेन ने कब्जा किया।
1928 : फ्लोरिडा में भीषण तूफान से 6000 लोगों की मौत हुई।
1931 : महात्मा गांधी गोल मेज सम्मेलन में शामिल होने के लिए लंदन पहुंचे।
1938 : एडॉल्फ हिटलर ने चेकोस्लोवाकिया के सुडेनलैंड क्षेत्र के जर्मनों के लिए स्वायत्तता और आत्मनिर्भरता की मांग की थी।
1940 : फ्रांस के लास्कॉक्स में गुफा चित्रों की खोज की गई थी।
1940 : न्यू जर्सी के केनविल में हरक्यूलिस पाउडर कंपनी प्लांट में हुए एक विस्फोट 51 लोग मारे गए और 200 से ज्यादा घायल हो गए थे।
1944 : अमेरिकी सेना ने पहली बार जर्मनी में प्रवेश किया।
1948 : पाकिस्तान के नेता मोहम्मद अली जिन्ना के निधन के एक दिन बाद भारतीय सेना ने हैदराबाद राज्य के खिलाफ सैन्य अभियान शुरू किया।
1959 : तत्कालीन सोवियत संघ ने चंद्रमा पर एक बड़ा रॉकेट लुनिक-II लॉन्च किया था।
1966 : भारतीय तैराक मिहिर सेन ने डार्डानेलेस जलडमरूमध्य को तैरकर पार किया।
1968 : अल्बानिया ने खुद को वारसा संधि से अलग करने की घोषणा की।
1974 : इथियोपिया के सम्राट हैइल सेलासी, रास्तफारी आंदोलन के ‘मसीहा’ को, डर्ग द्वारा सैन्य विद्रोह के बाद, 58 साल के शासनकाल के समाप्त होने के बाद हटा दिया गया था।
1977 : दक्षिण अफ़्रीकी विरोधी नस्लवादी कार्यकर्ता स्टीव बिको की पुलिस हिरासत में मौत।
1987 : इथियोपिया ने अपना संविधान अपनाया।
1990 : पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी को एकीकृत करने के लिए अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्रांस, सोवियत संघ, पूर्व और पश्चिम जर्मनी ने समझौते पर हस्ताक्षर किये।
1991 : अंतरिक्ष शटल एसटीएस 48 (डिस्कवरी 14) का प्रक्षेपण।
1997: संयुक्त राष्ट्र के कार्यों की वार्षिक रिपोर्ट में 48 वर्ष बाद कश्मीर का जिक्र पहली बार नहीं किया गया।
1997 : 43.5 करोड़ मील लम्बी यात्रा के उपरांत ‘मार्स ग्लोबल सर्वेयर’ यान मंगल की कक्षा में पहुंचा।
1998: कुआलालंपुर में 16वें राष्ट्रमंडल खेल शुरू।
2000 : न्यूयार्क में अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन प्रारंभ हुआ।
2007 : रूस ने नॉन न्‍यूक्‍लियर वैक्‍यूम बम (इको फ़्रेंडली बम) का परीक्षण किया।
2009 : भारतीय महिला टीम विश्व शतरंज चैम्पियनशिप के आख़िरी दौर में अमेरिका को 3-1 से हराकर सातवें स्थान पर रहीं।
2010 : लेडी गागा और एमिनेम ने 27वां एमटीवी वीडियो संगीत पुरस्कार जीता।
2012 : एप्पल ने आईफोन-5 और आईओएस-6 जारी किया।
2015 : ब्रिटेन में जेरेमी कॉर्बिन लेबर पार्टी के नेता चुने गए।

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