तीन रुपये प्रति लीटर सस्ता हो सकता है पेट्रोल-डीजले, अंतरराष्ट्रीय बाजार में सात महीने से निचले स्तर पर पहुंचा क्रूड आयल का दाम

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दिल्लीः देश में जल्द ही पेट्रोल और डीजल की कीमत में तीन रुपये प्रति लीटर की गिरावट आ सकती है। इसकी मुख्य वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में कमी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड) के दाम 7 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। इंटरनेशनल मार्केट में अभी क्रूड के दाम 92 डालर प्रति बैरल पर हैं और विशेषज्ञ उम्मीद जता रहे हैं कि इसमें अभी और कमी आ सकती है। ऐसे में आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम 3 रुपए प्रति लीटर तक कम हो सकते हैं। इससे पहले फरवरी में कच्चा तेल 90 डॉलर प्रति बैरल के करीब था, जो जून में 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था।

आपको बता दें कि देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में आखिरी बार बदलाव 21 मई को हुआ था। उस दिन केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करते हुए दाम घटाए थे।इस फैसले के बाद देश में पेट्रोल के दाम 9.50 रुपये प्रति लीटर और डीजल 7 रुपये प्रति लीटर सस्ता हुआ था। इसके बाद से ही बाजार में पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर बने हुए हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में क्रूड 85 डॉलर प्रति बैरल पर आ सकता है। ऐसे में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 से 3 रुपए प्रति लीटर की कमी आ सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक कच्चा तेल 1 डॉलर प्रति बैरल महंगा होने पर देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें 55-60 पैसे प्रति लीटर बढ़ जाती हैं। इसी तरह इसमें 1 डॉलर की कमी होने पर पेट्रोल-डीजल के दाम भी 55-60 पैसे प्रति लीटर कम हो जाते हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें जून में 125 डॉलर प्रति बैरल के करीब थीं, जो सितंबर के पहले हफ्ते में 92 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं। इस हिसाब से क्रूड करीब 26 फीसदी कमजोर हो चुका है। चीन और यूरोप के कई देशों की अर्थव्‍यवस्‍थाएं दबाव में हैं। ऐसे में आगे भी क्रूड की डिमांड कमजोर रह सकती है।

आपको बता दें कि जून 2010 तक केंद्र सरकार पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण ऑयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी, लेकिन 19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑयल कंपनियों को सौंप दिया।

अभी ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं।

भारत अपनी जरूरत का 85फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदते हैं। इसकी कीमत हमें डॉलर में चुकानी होती है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से पेट्रोल-डीजल महंगे होने लगते हैं। कच्चा तेल बैरल में आता है। एक बैरल यानी 159 लीटर कच्चा तेल होता है।

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