दिल्लीः लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध 16 दौर की सैन्य वार्ता के बाद भी खत्म नहीं हो सका है। आपको बता दें कि चीनी लड़ाकू विमान जुलाई में तो भारतीय हवाई सीमा में 10 किलोमीटर अंदर तक आ गए थे। हालांकि, भारतीय वायु सेना की जवाबी कार्रवाई की, तो चीनी विमान वापस अपनी सीमा में भाग गए। इसके बाद से ही सीमा पर दोनों तरफ हवाई गश्त काफी तेज हो गई है।
भारतीय वायु सेना ने सुखोई एसयू-30एमकेआई, मिग-29 और राफेल लड़ाकू विमानों को तैनात किया है, जबकि चीन ने जेएफ-20, जे-10 और जे-16 को भारत से लगी सीमा के नजदीक बने एयरबेसों पर रखा है। मौजूदा समय में भारत के पास सबसे शक्तिशाली लड़ाकू विमान राफेल है, जबकि चीन के पास उसका जेएफ-20 स्टील्थ लड़ाकू विमान है। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत के राफेल को रोकने के लिए चीन के पास कौन-कौन सी हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें हैं।
पीएल-8- चीन ने 1980 के दशक की शुरुआत में इफ्रारेड गाइडेड पीएल-8 मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया था। पीएल-8 को इजरायल के राफेल पाइथन-3 मिसाइल की कॉपी माना जाता है। पाइथन-3 को राफेल अडवांस डिफेंस सिस्टम ने विकसित किया है। कई विशेषज्ञों का दावा है कि चीन की पीएल-8 मिसाइल का निर्माण उस समय इजरायल के सहयोग से किया गया था। उस समय चीन 1982 में लेबनान के ऊपर इजरायल के पायथन-3 मिसाइल के प्रदर्शन से प्रभावित हुआ था और उसने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का अनुरोध किया था। पीएल-8 मिसाइल पहली बार चीनी वायु सेना में 1988 में तैनात हुई थी। यह मिसाइल 3.5 मैक की स्पीड से उड़ने में सक्षम है। इस मिसाइल की ऑपरेशनल रेंज मात्र 20 किलोमीटर की है। ऐसे में इसे नजदीकी मुठभेड़ के दौरान ही लॉन्च किया जा सकता है। हालांकि, चीन ने इसके कई और वेरिएंट्स बनाए हैं, जिनकी रेंज पुराने से कहीं ज्यादा है। इस मिसाइल को जे-10 लड़ाकू विमान और जे-20 लड़ाकू विमान पर तैनात किया गया है।
पीएल-10- चीन ने पीएल-8 की सीमित ताकत के मद्देनजर पीएल-10 मिसाइल का निर्माण किया। इसे PL-एडवांस्ड शॉर्ट-रेंज मिसाइल (PL-ASRM) के रूप में भी जाना जाता है। यह चीन के एयर टू एयर मिसाइलों में सबसे अडवांस है। इसकी तुलना अमेरिका के मिसाइलों से की जाती है। PL-10 में एक इमेजिंग इंफ्रारेड (IIR) सीकर, थ्रस्ट-वेक्टरिंग एग्जॉस्ट नोजल, लेजर प्रॉक्सिमिटी फ्यूज लगा हुआ है। चीन का दावा है कि यह मिसाइल 90 डिग्री के कोण पर भी टर्न लेने में सक्षम है। इमेजिंग इंफ्रारेड से लैस होने के कारण यह मिसाइल बेहतर तरीके से अपने लक्ष्य का पता लगाती है। इतना ही नहीं, दुश्मन के रडार जाम से बचने के लिए भी इसमें कई उपकरणों को फिट किया गया है। इस मिसाइल की लंबाई करीब 3 मीटर की है, जो 20 किलोमीटर की दूरी तक अपने लक्ष्य पर निशाना साध सकती है।
पीएल-15- पीएल-1 के डेवलपमेंट के दौरान ही चीन ने पीएल-15 मिसाइल पर भी काम करना शुरू कर दिया था। पीएल-15 एक्टिव रडार गाइडेड एयर टू एयर मिसाइल है। चीन इस मिसाइल को अमेरिका एआईएम-120डी की तरह बनाना चाहता था। PL-15 को लुओयांग स्थित CAMA ने डेवलप किया है। इस मिसाइल का पहला परीक्षण 2011 में किया गया था, हालांकि चीन मीडिया में इसका पहला जिक्र 2015 में किया गया। PL-15 को 2015 से 2017 के आसपास चीनी सैन्य सेवा में शामिल किया गया। इस मिसाइल को चेंगदू जे-10 सी, शेनयांग जे-16 और चेंगदू जे-20 लड़ाकू विमानों पर तैनात किया गया है।। इसे शेनयांग जे-11बी पर भी देखा गया है। ड्यूअल पल्स रॉकेट मोटर से लैस होने के कारण इस मिसाइल की रेंज और स्पीड काफी अच्छी है। पीएल-15 मिसाइल 200 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तक मार कर सकती है। इस मिसाइल में इलेक्ट्रॉनिकली स्कैंड एरै रडार सीकर लगा हुआ है। यह मिसाइल 3.8 से 4 मीटर लंबी है, जो मैक 4 की स्पीड से उड़ सकती है।
पीएल-17 यानी पीएल-20- चीन के पास पीएल-15 के अलावा एक और एयर टू एयर मिसाइल है। इसे पीएल-17 या पीएल-20 के नाम से जाना जाता है। इसके बारे में सार्वजनिक रूप से बहुत ही सीमित जानकारी है। आम तौर पर पश्चिम में पीएल-एक्सएक्स के रूप में जाना जाता है। इसे एक बहुत लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल बताया जाता है। इस मिसाइल को एरियल रिफ्यूलर और अवाक्स विमानों को निशाना बनाने के लिए विकसित किया गया है। इस मिसाइल को दुश्मन के हवाई क्षेत्र में काफी दूरी पर उड़ रहे हाई वैल्यू टारगेट को बर्बाद करने के लिए बनाया गया है। इसे पीएल-17 या पीएल-20 का नाम दिया जा सकता है।
चीन के पास पीएल-15 के अलावा एक और एयर टू एयर मिसाइल है। इसे पीएल-17 या पीएल-20 के नाम से जाना जाता है। इसके बारे में सार्वजनिक रूप से बहुत ही सीमित जानकारी है। आम तौर पर पश्चिम में पीएल-एक्सएक्स के रूप में जाना जाता है। इसे एक बहुत लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल बताया जाता है। इस मिसाइल को एरियल रिफ्यूलर और अवाक्स विमानों को निशाना बनाने के लिए विकसित किया गया है। इस मिसाइल को दुश्मन के हवाई क्षेत्र में काफी दूरी पर उड़ रहे हाई वैल्यू टारगेट को बर्बाद करने के लिए बनाया गया है। इसे पीएल-17 या पीएल-20 का नाम दिया जा सकता है।
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