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लाइफस्टाइल

सोते समय लेते हैं खर्राटे, तो हो जाएं सावधानी, पांच गंभीर बीमारियों का है संकेत

 दिल्लीः सोते समय खर्राटे लेना (Snoring) आम बात है। मौजूदा समय में कई लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। आपको बता दें कि ज्यादातर लोग खर्राटे को गंदी आदत के रूप में देखते है।, लेकिन इसे हल्के में लेते हैं। यदि आप भी इसे हल्के में लेते हैं, तो ऐसा न करें। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि यह आपके किसी गंभीर बीमारी के गिरफ्त में आने का संकेत हो सकता है। हालांकि लगभग हर कोई कभी न कभी खर्राटे लेता है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह एक क्रोनिक समस्या हो सकती है। आसान भाषा में रोज-रोज खर्राटे लेना अनहेल्दी होता है। इसके अलावा खर्राटे लेना आपके पार्टनर के लिए परेशानी का सबब भी बन सकता है।

कैसे रोकें खर्राटों कोः  इसके लिए जीवनशैली में बदलाव, जैसे वजन कम करना, सोने से पहले शराब से परहेज करना, करवट लेकर सोना, खर्राटों को रोकने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, चिकित्सा उपकरण और सर्जरी उपलब्ध हैं जो खर्राटों को कम करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, ये खर्राटे लेने वाले सभी लोगों के लिए उपयुक्त या आवश्यक नहीं हैं। यदि आप खर्राटे लेते हैं और इसे बस एक आदत समझकर नजरअंदाज कर रहें हैं, तो सावधान हो जाएं क्यों कि यह 5 गंभीर बीमारियों की जड़ हो सकता है।

आ सकता है स्ट्रोकः  एनसीबीआई के अनुसार, खर्राटे लेना 46 प्रतिशत तक स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाने का काम करता है। ऐसे में खर्राटे एक गंदी आदत से कई गुना ज्यादा है। यह धमनी के क्षतिग्रस्त होने का संकेत भी हो सकता है। इसलिए जरूरी है वक्त रहते डॉक्टर से परामर्श करें।

हार्ट अटैक का संकेतः वहीं क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक यदि आपको खर्राटे स्लीप एप्निया के वजह से आते हैं तो यह आपके लिए खतरे की घंटी हो सकती है। खर्राटे लेना किसी के लिए भी सुखद नहीं होता है, लेकिन हाल के शोध में पता चला है कि जो लोग अधिक खर्राटे लेते हैं उनमें हार्ट अटैक या हृदय रोग विकसित होने की संभावना अधिक होती है।

नोक्टूरिया से गहरा संबंधः रात में दो या अधिक बार बाथरूम का उपयोग करने के लिए उठना एक ऐसी स्थिति है जिसे निक्टुरिया कहा जाता है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों में खर्राटों से भी जुड़ा हुआ है। शोध से पता चलता है कि 55 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष जो अक्सर पेशाब करने के लिए उठते हैं, उनमें सौम्य प्रोस्टेट वृद्धि और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया दोनों हो सकते हैं।

डायबिटीज की रडार परः अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी द्वारा डायबिटीज और स्लीप एप्निया के संबंध पर किए गए अध्ययन के अनुसार, वे लोग जो बहुत तेज और रोज-रोज खर्राटे लेते हैं, उन्हें मधुमेह होने की 50% अधिक संभावना का सामना करना पड़ता है, उन लोगों की तुलना में जो खर्राटे नहीं लेते हैं। स्लीप एप्निया टाइप 2 मधुमेह के जोखिम से महत्वपूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है।

हाई ब्लड प्रेशर का साइलेंट इशाराः वहीं, Webmed के अनुसार, जो लोग सोते समय खर्राटे लेते हैं, या जिन्हें सांस लेने में अन्य समस्याएं होती हैं, उनमें उच्च रक्तचाप का खतरा ज्यादा होता है। साथ ही आप जितने छोटे होंगे, जोखिम उतना ही अधिक होगा।

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