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अंकिता हत्याकांड की जांच से हटाए गए मुस्ताफाः दरिंदा शाहरूख को बचाने का लगा था आरोप - Prakhar Prahari
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अंकिता हत्याकांड की जांच से हटाए गए मुस्ताफाः दरिंदा शाहरूख को बचाने का लगा था आरोप

रांचीः झारखंड के दुमका की अंकिता हत्याकांड में आरोपों से घिरे पुलिस अधिकारी नूर मुस्तफा को इस केस की जांच से हटा दिया गया है। आपको बता दें कि एसडीपीओ नूर मुस्तफा पर अंकिता के कातिल शाहरुख को बचाने की कोशिश का आरोप लग रहा था। इसको लेकर बीजेपी उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही थी। हालांकि उनके खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं लिया गया है।

दुमका के एसपी अंबर लकड़ा ने बताया कि एसडीपीओ नूर मुस्तफा को मामले की निगरानी से हटा दिया गया है। उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। अब मामले की जांच निरीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारी करेंगे, जिसकी निगरानी एसपी स्तर के अधिकारी करेंगे।

क्या है पूरा मामलाः

दुमका के नगर थाना क्षेत्र के जरूवाडीह का रहने वाला शाहरुख हुसैन नाम के युवक की मोहल्ले के हिन्दू लड़की अंकिता सिंह से पिछले कुछ महीनों जान पहचान हुई थी। अंकिता 12 वीं की छात्रा थी और स्कूल जाते- आते शाहरुख से मुलाकात होती थी। प्राप्त जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ दिनों से शाहरुख उसे प्रपोज कर रहा था, लेकिन अंकिता उसे नजरअंदाज कर रही थी। शाहरुख को उसकी बेरुखी नागवार गुजरी और उसने इसका अंजाम भुगतने की धमकी अंकिता को दी थी।

शाहरूख अपने धमकी को हकीकत बदलने के लिए सुबह चार बजे पेट्रोल की बोतल लेकर अंकिता के घर के पीछे उस खिड़की के पास पहुंचा, जहां अंकिता सोती थी। खुली खिड़की से उसने सोई हुई अंकिता पर पेट्रोल उड़ेल कर माचिस जलाकर आग के हवाले कर दिया और वहीं खड़े होकर आग के लपटों में घिरी चीखती- चिल्लाती अंकिता को देखता रहा। आग के लपटों में घिरी अंकिता दरवाजे खोल बाहर भागी।  घर में मौजूद परिवार के लोग उसकी चीख सुनकर जग गए और किसी तरह आग को बुझाया, लेकिन तब तक वह काफी जल चुकी थी। अंकिता के घरवालों ने खिड़की की आग बुझाने के दौरान शाहरुख को वहीं खड़े देखा।

वहीं चिख-पुकार की आवाज सुनकर आस-पड़ोस के लोग भी वहां पहुंचने लगे, तो पकड़े जाने के डर से आरोपी शाहरुख वहां से भाग खड़ा हुआ।

आपको बता दें कि यह घटना 23 अगस्त को जरूवाडीह में अंकिता के घर सुबह चार बजे घटी। घर में उस वक्त अंकिता के दादा दादी ,उसके पिता और उसका छोटा भाई मौजूद था।

अंकिता सिंह मरते समय अपने के आखिरी शब्द कहा था कि ‘जैसे हम मर रहें हैं, वैसे ही शाहरुख़ को भी तड़प कर मरना चाहिए’ । अंकिता के इस शब्द ने लोगों को अंदर तक झकझोर के रख दिया। अंकिता की मौत पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। लोगों के गुस्से की ‘आग’ में घी डालने का काम किया आरोपी शाहरुख की पुलिस कस्टडी से सामने आई मुस्कुराते हुए तस्वीर ने। देखते ही देखते शाहरुख की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। अंकिता को इंसाफ दिलाने के लिए ट्विटर पर ‘जस्टिस फॉर अंकिता’ और ‘अंकिता के हत्यारे को फांसी दो’ हैशटैग ट्रेंड करने लगे। लोगों के अंदर का गुस्सा ट्विटर पर दिखाई देने लगा।

General Desk

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