नोएडाः सुपरटेक का ट्विन टावर अब इतिहास बन गया। नोएडा के सेक्टर 93 में स्थित सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर रविवार को दोपहर ढाई बजे ढहा दिए गए। 100 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाले सुपर टेक के दोनों टावर गिरने में सिर्फ 12 सेकेंड का समय लगा। दोनों टावरों को गिराने के लिए 3700 किलो बारूद का इस्तेमाल किया गया। विस्फोट से पहले करीब 7 हजार लोगों को एक्सप्लोजन जोन से हटाया गया।
सुपर टेक के दोनों टावरों गिरने के बाद प्रशासन के क्लियरेंस तक 5 रास्तों पर ट्रैफिक की आवाजाही रुकी रहेगी। सुरक्षा के लिए यहां नोएडा पुलिस के 560 से ज्यादा जवान मुस्तैद हैं। साथ ही इमरजेंसी के लिए एंबुलेंस भी तैनात की गई थी। विस्फोट के बाद इलाके में पॉल्यूशन लेवल मॉनिटर करने के लिए स्पेशल डस्ट मशीन लगाई गई हैं।
आपको बता दें कि सुपर टेक के ट्विन टावर को गिराने के लिए विस्फोट की जिस तकनीक का इस्तेमाल किया गया, उसकी खासियत यही रही कि आसपास की किसी इमारत को नुकसान नहीं पहुंचा। घनी आबादी के बीचोंबीच बने दोनों टावर अपनी जगह पर जमींदोज हो गए और केवल धूल का गुबार ही नजदीकी इमारतों तक पहुंचा। अब आपको बताते हैं कि सुपरटेक के ट्विन टावर की पूरी कहानी –
- नोएडा अथॉरिटी ने 2004 में सुपरटेक को हाउसिंग सोसाइटी बनाने के लिए प्लॉट अलॉट किया था। 2005 में बिल्डिंग प्लान मंजूर हुआ। इसमें 10 मंजिल के 14 टावर बनाने की इजाजत थी। 2006 में सुपरटेक ने प्लान में बदलाव कर 11 मंजिल के 15 टावर बना लिए। नवंबर 2009 में प्लान फिर बदलकर 24 मंजिल के दो टावर शामिल कर लिए गए। मार्च 2012 में 24 मंजिल को बढ़ाकर 40 कर लिया। जब रोक लगी, तब तक इनमें 633 फ्लैट बुक हो चुके थे।
- सुपरटेक के ट्विन टावर से सटी एमरेल्ड गोल्ड सोसाइटी के रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन प्रेसिडेंट उदयभान सिंह तेवतिया मामले को लेकर कोर्ट पहुंचे। उन्होंने 2012 में अवैध निर्माण के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। हाई कोर्ट ने 2014 में ट्विन टावर को अवैध घोषित कर गिराने का आदेश दिया। कहा कि जिन लोगों ने यहां फ्लैट बुक किए हैं, उन्हें 14 फीसदी ब्याज के साथ उनका पैसा लौटाया जाए।
- सुपरटेक बिल्डर ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया और 31 अगस्त 2021 को आदेश दिया कि तीन महीने के अंदर यानी नवंबर 2021 को टावर गिरा दिए जाएं। नोएडा अथॉरिटी ने कोर्ट में कहा कि 22 मई 2022 तक ये काम कर लिया जाएगा। आखिर में इसकी तारीख 28 अगस्त 2022 तय हुई। याचिका लगाने वाले तेवतिया के मुताबिक, टावर टूटने के के फायदे 3 महीने बाद दिखने लगेंगे।
- सुपरटेक के ट्विन टावर गिराने का काम भारत की एडिफाइस और साउथ अफ्रीका की कंपनी जेट डिमोलिशन को मिला। जेट कंपनी को मुश्किल डिमोलिशन के 5 अवार्ड मिल चुके हैं। वह जोहान्सबर्ग में 108 मीटर ऊंची बैंक ऑफ लिस्बन की बिल्डिंग, साउथ अफ्रीका में ही एक पावर स्टेशन और राजधानी प्रिटोरिया में घनी आबादी में बने 14 मंजिला ट्विन टावर गिरा चुकी है। एडिफाइस भी गुजरात का ओल्ड मोटेरा स्टेडियम गिरा चुकी है।
- एडिफाइस के डायरेक्टर उत्कर्ष माहेश्वरी के मुताबिक, सुपरटेक का एक टावर 29 और दूसरा 32 मंजिला है। दोनों टावरों में 9800 छेद किए गए। हर छेद में करीब 1400 ग्राम बारूद डाला गया। कुल 3700 किलो बारूद इस्तेमाल हुआ। इसमें 325 किलो सुपर पावर जेल, 63,300 मीटर सोलर कार्ड, सॉफ्ट टयूब, जिलेटिन रॉड, 10,900 डेटोनेटर और 6 IED शामिल हैं। इस पर करीब 55 करोड़ रुपए खर्च हुए। यह खर्च भी सुपरटेक से ही लिया जाएगा।
— ANI (@ANI) August 28, 2022
एक्सप्लोजन जोन की निगरानी के लिए एक बस में मोबाइल इंसिडेंट कमांड सेंटर बनाया गया। इसकी जिम्मेदारी सेंट्रल नोएडा के DCP एस राजेश ने संभाली। उन्होंने बताया कि ट्विन टावर के आसपास एक्सक्लूजन जोन में सुबह 7 बजे से ही बैरिकेडिंग कर दी गई थी। ट्विन टावर के सामने और आसपास 7 सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। इनकी फीड कमांड सेंटर पर ऑब्जर्व की जा रही थी।