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आज का इतिहासः भारत में आज के ही दिन पहली बार जारी हुआ था एक रुपये का सिक्का - Prakhar Prahari
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आज का इतिहासः भारत में आज के ही दिन पहली बार जारी हुआ था एक रुपये का सिक्का

दिल्लीः ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कंपनी एक शुद्ध व्यापारिक संस्था थी। कंपनी एशिया में सिल्क, कॉटन, नील, चाय और नमक का व्यापार करती थी। 1640 के आसपास कंपनी ने भारत में 23 फैक्ट्रियां खोल ली थीं और यहां करीब 100 लोग काम करते थे। हालांकि कई सालों तक कंपनी का भारत के शासन-प्रशासन में कोई दखल नहीं था, लेकिन साल 1757 में प्लासी के युद्ध में जीत के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में शासन के अधिकार भी आने शुरू हो गए थे।

प्लासी के युद्ध में जीत के बाद कंपनी ने बंगाल के नवाब के साथ एक संधि की। इस संधि में कंपनी को सिक्के बनाने का अधिकार मिल गया। कंपनी ने कोलकाता में टकसाल (सिक्के बनाने की फैक्ट्री) की स्थापना की। इसके बाद 19 अगस्त 1757 को एक रुपए का पहला सिक्का जारी किया गया।

इससे पहले कंपनी ने सूरत, बॉम्बे और अहमदाबाद में भी टकसाल की स्थापना की थी, लेकिन एक रुपए का सिक्का पहली बार कोलकाता में ही बनाया गया। सूरत टकसाल की स्थापना सबसे पहले की गई थी, लेकिन वहां डिमांड के मुताबिक सिक्के नहीं बन पा रहे थे। इसलिए 1636 में अहमदाबाद में टकसाल की स्थापना की गई। 1672 में बॉम्बे में भी सिक्के बनाने की शुरुआत हुई। बॉम्बे में यूरोपियन स्टाइल के गोल्ड, सिल्वर और कॉपर के सिक्के बनाए जाते थे। गोल्ड के सिक्कों को कैरोलिना, सिल्वर के सिक्कों को एंजलीना और कॉपर के सिक्कों को कॉपरून कहा जाता था।

हालांकि अभी तक पूरे भारत में एक जैसे सिक्कों का चलन नहीं था। बंगाल, मद्रास और बॉम्बे प्रेसिडेंसी में अलग-अलग तरह के सिक्के चलते थे। इनका आकार, वजन और वैल्यू भी अलग-अलग होती थी। व्यापार के लिए ये बड़ी समस्या थी। इसलिए 1835 में यूनिफॉर्म कॉइनेज एक्ट पारित किया गया। इस एक्ट के लागू होने के बाद एक जैसे सिक्के जारी किए जाने लगे। इन सिक्कों पर एक तरफ ब्रिटिश किंग विलियम IV का हेड छपा होता था और दूसरी तरफ इंग्लिश और पर्शियन में सिक्का कितनी कीमत का है, ये छपा होता था।

1857 के विद्रोह के बाद भारत का शासन सीधे ब्रिटिश क्राउन के पास चला गया। इसके बाद सिक्कों पर ब्रिटिश मोनार्क की तस्वीर छपने लगी। पहले विश्वयुद्ध में चांदी की कमी होने की वजह से कागज के नोट जारी किए गए। 1947 में भारत आजाद हुआ, लेकिन 1950 तक यही सिक्के भारत में चलते रहे।

सोवियत संघ, अमेरिका और तालिबान की युद्धभूमि रहा अफगानिस्तान आज अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। आज ही के दिन 1919 में अफगानिस्तान ब्रिटेन से आजाद हुआ था।

हालांकि अफगानिस्‍तान कभी ब्रिटेन की कॉलोनी नहीं रहा, लेकिन ब्रिटिश शासन ने यहां तीन युद्ध लड़े थे। इन्हें एंग्लो-अफगान वॉर कहा जाता है। 1839 से 1842 तक पहला युद्ध लड़ा गया। ब्रिटेन को डर था कि रूस अफगानिस्तान पर कब्जा कर सकता है, इससे भारत में ब्रिटेन की सरकार को चुनौती मिलेगी। ब्रिटेन ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के लिए हमला कर दिया। इस युद्ध में ब्रिटेन को शुरुआती सफलता मिली और उसने दोस्त मोहम्म्द खान की जगह शाह शुजा को अफगान की गद्दी पर बैठा दिया, लेकिन जल्द ही कबीलों ने ब्रिटेन को अफगानिस्तान से भागने पर मजबूर कर दिया। 1843 में दोस्त मोहम्मद खान दोबारा गद्दी पर आ गया।

1875 में लॉर्ड लिटन भारत के गवर्नर जनरल बने। इस दौरान अफगानिस्तान में रूस का प्रभाव बढ़ रहा था। लिटन इससे चिंतित थे। उन्होंने अफगानिस्तान में एक मिशन भेजा, जिसे अफगानिस्तान ने बॉर्डर पर से ही लौटा दिया। दूसरी तरफ अफगानिस्तान ने रूस के राजदूत को काबुल में आने की अनुमति दे दी। इससे लिटन नाराज हो गए और उन्होंने 1878 में अफगानिस्तान पर हमला कर दिया। अफगानिस्तान का राजा शेर अली देश छोड़कर भाग गया और काबुल पर ब्रिटेन का कब्जा हो गया। इस युद्ध के बाद अफगानिस्तान की विदेश नीति को संभालने का जिम्मा ब्रिटेन के हाथों में आ गया।

पहले विश्वयुद्ध में ब्रिटेन ओटोमान साम्राज्य से लड़ रहा था और अफगानिस्तान ओटोमान के साथ खड़ा था। लिहाजा अफगानिस्तान में ब्रिटेन का विरोध होने लगा। 20 फरवरी 1919 को अफगानिस्तान के शासक हबीबुल्लाह खान की हत्या कर दी गई और उनका बेटा अमानुल्लाह खान राजा बना। अमानुल्लाह ने ब्रिटेन से आजादी का ऐलान कर दिया। हाल ही में विश्वयुद्ध से थका-हारा ब्रिटेन एक और युद्ध लड़ने के लिए तैयार नहीं था। अगस्त 1919 में रावलपिंडी में एक संधि हुई, जिसमें ब्रिटेन ने अफगानिस्तान की आजादी को मान्यता दे दी। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 19 अगस्त को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर-

1600: अहमद नगर पर अकबर का आधिपत्य।
1666: शिवाजी आगरा में फलों की टोकरी में छिपकर औरंगजेब की कैद से फरार।
1919: अफगानिस्तान ने ब्रिटेन से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की।
1949: भुवनेश्वर ओडिशा की राजधानी बना।
1960: स्पूतनिक 5 अंतरिक्ष यान से दो कुत्ते और तीन चूहे अंतरिक्ष में भेजे गए।
1964: दुनिया की पहली जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट ‘सिन्कोम-3’ लॉन्च की गई।
1966: तुर्की में भूकंप से तकरीबन 2400 लोग मरे।
1973: फ्रांस ने परमाणु परीक्षण किया।
1977: सोवियत संघ ने सेरी सागान में परमाणु परीक्षण किया।
1978: ईरान के सिनेमाघर में आग लगने से 422 लोगों की मौत।
1988: आठ सालों से चल रहे इरान-ईराक युद्ध में सीजफायर की घोषणा की गई।
1994: थ्योरेटिकल फिजिसिस्ट लिनस पॉलिंग का निधन हुआ। पॉलिंग एकमात्र ऐसे शख्स हैं, जिन्हें 2 इंडीविजुअल नोबल पुरस्कार मिले हैं।
1999: भारत की परमाणु नीति के मसौदे से नाराज जी-8 ने सभी तरह की मदद पर रोक लगाने की घोषणा की।
2004: दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनी गूगल ने अपने शेयर बाजार में उतारे।
2005: श्रीलंका सरकार और लिट्टे में शांति वार्ता फिर शुरू करने पर सहमति।
2007: अंतरिक्ष स्टेशन पर गए मिशन एंडेवर के यात्रियों ने स्पेसवॉक पूरा किया।
2008: पाइमान की सहायक कार्यकारी निदेशक मोसारत कदीय तथा एसोमैच के अध्यक्ष साजन जिंदल ने भारत-पाकिस्तान को लेकर व्यापार संबंधी रिपोर्ट जारी की।
2009: नौसेना के कमांडर दिलीप डोंडी स्वेदेश निर्मित नैसेना नौका महादेई के द्वारा सम्पूर्ण विश्व की यात्रा के लिए रवाना हुये।
2009: ईराक के बगदाद में सिलसिलेवार बम विस्फोट में 101 लोगों की मौत और 565 घायल।
2010: अमेरिकी सेना की अंतिम ब्रिगेड के कुवैत जाने के साथ ऑपरेशन इराकी फ्रीडम खत्म हुआ।
2013: बिहार के धमरा घाट में ट्रेन दुर्घटना में कम से कम 37 लोग मारे गए।

 

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