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धर्म/राशिफल

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आजः पूजा के लिए है पांच शुभ मुहूर्त, जानें विधि

दिल्लीः आज भगवान श्रीकृष्ण का 5249वां जन्मोत्सव है। आज ही के दिन रात के आठवें मुहूर्त में प्रभु का जन्म हुआ था, इसलिए आज रात 12.05 के बाद 12:45 तक मथुरा, वृंदावन, द्वारका, नाथद्वारा और इस्कॉन मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। लोग अपने घरों में भी इस समय कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे। आधी रात के मुहूर्त के साथ ही पूजा के लिए दिनभर में कुल पांच मुहूर्त रहेंगे। इस त्योहार पर आठ बड़े शुभ योग भी बन रहे हैं। ऐसा पिछले 400 सालों में नहीं हुआ। इसलिए ये जन्माष्टमी पर्व बहुत खास है।

शुक्रवार यानी 19 अगस्त को महालक्ष्मी, बुधादित्य, ध्रुव और छत्र नाम के शुभ योग रहेंगे।  साथ ही कुलदीपक, भारती, हर्ष और सत्कीर्ति नाम के राजयोग बन रहे हैं। इस तरह जन्माष्टमी पर इन आठ योगों का महासंयोग पिछले 400 सालों में नहीं बना। इन योगों में पूजा करने से पुण्य फल और बढ़ जाएगा। खरीदारी और नई शुरुआत के लिए पूरा दिन शुभ रहेगा।

आपको बता दें कि ये परंपरा सेहत के नजरिये से भी खास है, क्योंकि इस पर्व पर बारिश का मौसम होता है। इस मौसम में खाना देरी से और कम पचता है। इस कारण बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है। ये ही वजह है कि व्रत-उपवास करने से मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है और सेहत में भी सुधार होता है।

पुराणों में कहा गया है इस दिन बिना अन्न खाए भगवान कृष्ण की पूजा करने से पिछले तीन जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। जन्माष्टमी पर उपवास के साथ श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। अष्टमी को जया तिथि भी कहते हैं, यानी यह जीत दिलाने वाली तिथि है। इस उपवास से सभी कामों में जीत मिलती है। उपवास इसलिए ताकि भगवान की पूजा करते समय मन, शरीर और विचार शुद्ध रहें। रोग, कष्ट और दरिद्रता खत्म होती है। कृष्ण सुख और समृद्धि देते हैं।

विधि : जन्माष्टमी के ब्रह्म मुहूर्त से अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त तक व्रत करना चाहिए। इसके बाद अगले दिन रोहिणी नक्षत्र खत्म होने पर व्रत खोलने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। हालांकि, कुछ लोग रात में 12 बजे के बाद ही व्रत पूरा कर देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। जानकारों का कहना है कि कोई व्रत अंग्रेजी कैलेंडर की तारीख से नहीं बल्कि सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक रहता है।

नियम : उपवास में सेहत और स्थिति के अनुसार फलों का जूस और सूखे मेवे लिए जा सकते हैं। दिन में थोड़ा फलाहार भी ले सकते हैं। शाम को पूजन के बाद राजगीरा, सिंघाड़ा, आलू से बनी चीजें खाई जा सकती हैं। आरती के बाद दूध पी सकते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि जिन महिलाओं के छोटे बच्चे हो, उन्हें कुछ जरूर खाना चाहिए।

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